निगम (समामेलित) नियोजन को लाभ-दोषों की विवेचना कीजिए।
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निगम नियोजन के लाभ (Merits of Corporate Planning)
निगम नियोजन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-
1. इससे कम्पनी के भविष्य के बारे में क्रमबद्ध दृष्टिकोण अपनाना सम्भव होता है।
2. इससे कम्पनी के अल्पकालीन, मध्यकालीन तथा दीर्घकालीन उद्देश्यों में सामंजस्य स्थापित करना सम्भव होता है।
3. इससे संस्था में स्थायित्व आता है और प्रतिस्पर्धा का सामना करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
4. निगम नियोजन द्वारा उपलब्ध सीमित साधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।
5. उत्पादन का श्रेष्ठ प्रमाप निश्चित करके उसे प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
6. इससे भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप संस्था को तैयार किया जाता है।
7. इससे कम्पनी के प्रबन्धकों व कर्मचारियों को सही दिशा-निर्देश मिलता है जिससे उनके मनोबल में वृद्धि होती है।
8. पूर्व निर्धारित उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सकता है
9. निराशा एवं अनिश्चितता की भावना का उन्मूलन होता है तथा आर्थिक विकास की गति में तीव्रता आती है।
10. प्रभावी व्यूह रचना अथवा मोर्चाबन्दी करने में सहायता मिलती है।
निगम नियोजन के दोष (Demerits of Corporate Planning)
निगम नियोजन के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
1. वर्तमान परिवर्तनशील अर्थव्यवस्था में जहाँ नित्य नये आविष्कार हो रहे हैं और ग्राहक की रूचियों में परिवर्तन हो रहे हैं वहाँ निगम नियोजन सार्थक नहीं हैं।
2. परिवर्तनों की गति तथा तीव्रता में अन्तर आने पर निगम नियोजन असफल हो जाता है ।
3. यह नियोजन दीर्घकालीन होने के कारण जोखिम से परिपूर्ण है।
4. निगम नियोजन को अनेक तत्व का विश्लेषण करना कठिन होता है।
5. निगम नियोजन की सफलता के लिए पर्याप्त मात्रा में साधनों की आवश्यकता पड़ती है यदि साधन सीमित है तो योजना का औचित्य निरर्थक हो जाता है।
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