नियोजन कितने प्रकार को होते है?
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नियोजन के प्रकार (Kinds of Planning)
नियोजन के प्रकार को निम्न आधारों पर समझा जा सकता है-
(I) समय के आधार पर
समय के आधार परयोजनाओं को निम्न चार भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) अल्पकालीन योजनाएँ- इस प्रकार की योजनाएँ दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक अथवा वार्षिक लक्ष्यों और समस्याओं के लिए बनाई जाती है।
(2) मध्यकालीन योजनाएँ – इसकी अवधि दो से पाँच वर्षों की होती है।
(3) दीर्घकालीन योजनाएँ- इनकी अवधि पाँच से अधिक वर्षों की होती है।
(4) परिप्रेक्ष्य योजना- इस प्रकार की योजना सुदीर्घकाल के लिए तैयार की जाती है। निश्चित ही ऐसी योजना में सूक्ष्म बातों का समावेश नहीं होता, बल्कि पन्द्रह से पच्चीस वर्षों के लिए मोटे तौर पर लक्ष्य और रास्ता निर्धारित किया जाता है।
(II) प्रबन्ध के स्तर के आधार पर
प्रबन्ध के स्तर की दृष्टि से योजनाएँ इस प्रकार की हो सकती हैं-
(1) उच्चस्तरीय योजनाएँ- इस प्रकार की योजनाओं का सम्बन्ध सर्वोच्च प्रबन्धकों से होता है। उनमें सम्पूर्ण उपक्रम से सम्बन्धित उद्देश्य, लक्ष्य, नीति, प्रविधि, बजट आदि शामिल हैं।
(2) मध्य-स्तरीय योजनाएँ- ये योजनाएँ मध्य प्रबन्धकों द्वारा अपने विभागीय लक्ष्यों और युक्तियों के सम्बन्ध में तैयार की जाती हैं।
(3) निम्नस्तरीय योजनाएँ- इन योजनाओं का सम्बन्ध पर्यवेक्षकों से होता है। इसमें कर्मचारियों के लिए जाने वाले कार्य और सामग्रियों से सम्बन्धित आँकड़े होते हैं।
(III) सीमाओं के आधार पर
कार्यक्षेत्र की सीमाओं के आधार पर योजनाओं को इन दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) आन्तरिक योजनाएँ- इसका सम्बन्ध उपक्रम की आन्तरिक क्रियाओं, जैसे-संगठन, प्रारूप उत्पादन की मात्रा एवं किस्म आदि से होता है।
(2) बाह्य योजनाएँ – उपक्रम की वे क्रियाएँ जो बाहरी लोगों से सम्बन्धित होती हैं, जैसे परिवहन, विपणन, शासकीय विभागों और जनता से सम्बन्धित बातें इस प्रकार की योजनाओं की विषय सामग्री होती है।
(iv) उपयोग के आधार पर
उपयोग के आधार पर योजनाएँ दो प्रकार की होती हैं-
(1) एकल उपयोग योजना- इस प्रकार की योजना केवल एक बार काम आकर समयातीत हो जाती है, जैसे- विशेष कार्यक्रम या प्रोजेक्ट आदि।
(2) पुनः उपयोग योजना- नीतियाँ, प्रविधियाँ, नियम आदि बार-बार काम आते रहते हैं। अतः ये पुनः उपयोग योजना के अन्तर्गत आते हैं।
(v) अन्य प्रकार की योजनाएँ
समय के साथ तरह-तरह की और भी योजनाएँ समाने आ रही हैं, जैसे-
(1) थोपी हुई योजना- इस प्रकार की योजना स्वैच्छिक न होकर किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा थोपी जाती है।
(2) अनुरोध आधारित योजना- वह योजना, जो किसी के अनुरोध पर तैयार की जाती है।
(3) नवीकरण योजना- उत्पादन, विपणन आदि तकनीकों में नवीनीकरण सम्बन्धी योजना इसमें आती है।
(4) सुधार योजना- इसका सम्बन्ध किसी जटिल समस्या के सुधारात्मक समाधान से होता है।
(5) विकास योजना- यह उपक्रम किसी क्षेत्र या सम्पूर्ण प्रगति से सम्बन्धित होता है।
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