माँग की मूल्य सापेक्षता का माप (Measurement of Price Elasticity of Demand)
“माँग की मूल्य सापेक्षता के माप’ का अर्थ यह ज्ञात करना है कि माँग की मूल्य सापेक्षता इकाई से अधिक (> 1) है या इकाई से कम (< 1) है अथवा इकाई के बराबर (= 1) है माँग की मूल्य सापेक्षता को मापने की चार प्रमुख विधियाँ हैं–(1) कुल व्यय विधि, (2) प्रतिशत विधि (3) बिन्दु विधि (4) चाप विधि।
(1) कुल व्यय विधि (Total Expenditure or Outlay Method)—इस विधि का प्रतिपादन एल्फ्रेड मार्शल ने किया था इस विधि के अनुसार माँग की लोच को मापने के लिए यह मालूम किया जाता है कि किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उस वस्तु पर किए गए कुल व्यय में कितना परिवर्तन तथा किस दिशा में होता है। कुल व्यय की गणना वस्तु की कीमत को उसकी माँगी गई मात्रा से गुणा करके की जाती है, अर्थात् TE = Px D। इस विधि के अनुसार माँग की लोच (मूल्य सापेक्षता) की निम्न तीन श्रेणियाँ होती हैं-
(i) इकाई के बराबर (e= 1)- यदि वस्तु की कीमत के घटने या बढ़ने के बावजूद वस्तु पर किया गया कुल व्यय स्थिर (अपरिवर्तित) रहता है तो माँग की लोच इकाई के बराबर होती है।
(ii) इकाई से अधिक (e > 1)– यदि कीमत के घटने से वस्तु पर किया गया कुल व्यय बढ़ जाए अथवा कीमत के बढ़ने से कुल व्यय घट जाए तो माँग की लोच इकाई से कम होती है।
(iii) इकाई से कम (e < 1)- यदि यस्तु की कीमत के घटने से वस्तु पर किया गया कुल व्यय घट जाए तथा कीमत के बढ़ने से कुल व्यय बढ़ जाए तो माँग की लोच इकाई से कम होती है।
(2) प्रतिशत या आनुपातिक विधि (Percentage or Proportionate Method) इस विधि का प्रयोग सर्वप्रथम प्रो० फ्लक्स (Flux) ने किया था। इसलिए इसे फ्लक्स विधि भी कहा जाता है। इस विधि के अनुसार माँग की मूल्य सापेक्षता ज्ञात करने के लिए मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन से भाग कर दिया जाता है।
माप (Measurement)- मांग की लोच निम्न तीन प्रकार की हो सकती है-
(i) इकाई के बराबर (sp=1) -जब माँग तथा कीमत दोनों में समान प्रतिशत परिवर्तन होता है तो माँग की मूल्य सापेक्षता इकाई के बराबर होगी।
(ii) इकाई से कम (ep < 1)-जब कीमत में प्रतिशत परिवर्तन की तुलना में माँग में कम प्रतिशत परिवर्तन होता है सो माँग की मूल्य सापेक्षता इकाई से कम होती है, जैसे कीमत में 5096 कमी होने पर माँग में केवल 30% वृद्धि होना।
(iii) इकाई से अधिक (ep > 1) जब कीमत में प्रतिशत परिवर्तन की अपेक्षा मांग में प्रतिशत परिवर्तन अधिक होता है तो मांग की मूल्य सापेक्षता इकाई से अधिक होती है, जैसे- कीमत में 25% कमी होने पर माँग में 40% वृद्धि होना।
(3) बिन्दु विधि (Point Method) -माँग की लोच को मापने की इस विधि को रेखागणितीय विधि (Geometrical Method) भी कहा जाता है। यदि हम माँग वक्र के किसी एक बिन्दु पर माँग की मूल्य सापेक्षता का माप करना चाहें तो इसके लिए बिन्दु विधि का प्रयोग किया जाता है। लेफ्टविच के अनुसार, “माँग वक्र के किसी बिन्दु पर कीमत के सूक्ष्म परिवर्तन के फलस्वरूप जो मूल्य सापेक्षता मापी जाती है उसे बिन्दु सापेक्षता कहते हैं। ” मांग वक्र के भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर मांग की मूल्य सापेक्षता भी भिन्न-भिन्न होती है।
जब किसी वस्तु की कीमत तथा मांग में सूक्ष्म परिवर्तन हो तो ऐसी स्थिति में विन्दु विधि द्वारा माँग वक्र के किसी बिन्दु पर माँग की लोच ज्ञात की जाती है। इस विधि के अनुसार माँग वक़ पर स्थित किसी विन्दु पर मांग की लोच को निम्न सूत्र को सहायता से मापा जाता है-
Ep = माँग वक्र का बिन्दु से निचला भाग (Lower Portion of Demand Curve)/मांग वक्र का विन्दु से ऊपरी भाग (Upper Portion of Demand Curve)
इस सूत्र द्वारा माँग की लोच (मूल्य सापेक्षता) दो प्रकार के माँग वक्रों पर ज्ञात की जाती है-(i) जब माँग वक्र एक सीधी रेखा है, तथा (ii) जब माँग चक्र एक वक्रीय रेखा है।
(i) सीधा माँग वक्र (Linear Demand Curve)- बिन्दु विधि की सहायता से माँग वक्र के विभिन्न बिन्दुओं पर माँग की लोच को मापा जा सकता है।
(ii) बक्रीय मांग वक्र (Non-linear Demand Curve)-जब मांग वक्र वकीय रेखा होती है तो मांग वक्र के किसी बिन्दु पर माँग की मूल्य सापेक्षता ज्ञात करने के लिए स्पर्श रेखा खींची जाती है। यह बिन्दु स्पर्श रेखा को दो भागों में बाँट देगा। स्पर्श रेखा के निचले हिस्से को ऊपरी हिस्से से भाग देने पर जो भजनफल आता. है वही माँग की मूल्य सापेक्षता की माप है।
(4) चाप विधि (Arc Method)-बिन्दु विधि द्वारा मूल्य सापेक्षता का उचित माप उसी अवस्था में किया जा सकता है जबकि कीमत तथा मांग में बहुत सूक्ष्म परिवर्तन होते हैं। किन्तु यदि परिवर्तन अधिक मात्रा में होते हैं तो इस विधि द्वारा सही निष्कर्ष नहीं निकाले जा सकेंगे। ऐसी स्थिति में डाल्टन तथा वाटसन द्वारा प्रस्तुत चाप विधि उपयुक्त सिद्ध होगी। लेफ्टविच (Leftwitch) के अनुसार, “माँग वक्र पर दो बिन्दुओं के बीच कीमत-लोच चाप को कीमत-लोच कहते हैं।
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