अनुवाद की प्रक्रिया की विवेचना कीजिए।
अनुवाद की प्रक्रिया- अनुवाद करने की प्रक्रिया के नाइडा आदि ने तीन चरण माने हैं—पाँठ-विश्लेषण, अंतरण, पुनर्गठन कुछ रूसी विचारकों ने चार चरण माने स्वयं अनुवाद की प्रक्रिया के पाँच चरण मानने के पक्ष में हूँ। वस्तुतः अनुवाद करते समय मैंने स्वयं पाया है, कि स्पष्टतः या अस्पष्टतः, अनुवादक को इन पाँचों चरणों से गुजरना पड़ता है। ये पाँच चरण हैं-
(i) पठन-पाठन- पहला चरण अनूद्य सामग्री को पढ़ने का है। यह पाठ-पठन के दृष्टियों से किया जाता है। भाषिक अर्थ की दृष्टि से तथा वैषयिक अर्थ की दृष्टि से पाठ पठन में हो सकता है कि कहीं भाषा कठिन हो और उसे समझने की आवश्यकता हो। इसके लिए उस भाषा के अच्छे जानकार या कोष आदि की सहायता ली जा सकती है। ऐसे ही यह भी संभव है कि विषय की दुरूहता के कारण कहीं पाठ समझ में न आ रहा हो। इसके लिए विषय के जानकार या विषय की प्रामाणिक पुस्तकों से सहायता ली जा सकती है। यहां यह भी संकेत्य है कि अर्थ के निर्धारण में काल, देश, लिंग, वचन, प्रसंग आदि उन बातों का विचार अवश्य करना चाहिए जो अर्थ-निर्धारण के लिए आवश्यक माने जाते हैं।
(ii) पाठ-विश्लेषण- दूसरे चरण में अनुवाद की दृष्टि से पाठ का विश्लेषण करते हैं। आवश्यकतानुसार पाठ पर, इस चरण में निशान लगाये जा सकते हैं। इस विश्लेषण में मुख्य बल इस बात पर दिया जाना चाहिए कि कहाँ शब्द का अनुवाद करना है, कहाँ पदबंध का, कहाँ उपवाक्य का, कहाँ वाक्य का और कहाँ एक वाक्य को एकाधिक वाक्यों में तोड़कर अनुवाद करना है तथा कहाँ एकाधिक वाक्यों को एक वाक्य में मिलाकर अनुवाद करना है। कभी-कभी प्रोक्तिस्तरीय अनुवाद की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
(iii) भाषांतरण – इस तीसरे चरण में, दूसरे चरण के पाठ-विश्लेषण के आधार पर विभक्त स्रोत भाषा की इकाइयों का लक्ष्य भाषा की इकाइयों में अंतरण करते हैं। यह अंतरण मुख्यतः तीन प्रकार का हो सकता है— (क) किसी इकाई का समान इकाई में जिसे शब्द शब्द, पदबंध-पदबंध, उपवाक्य-उपवाक्य, वाक्य-वाक्य, वाक्यबंध-वाक्यबंध अंतरण कह सकते हैं। (ख) बड़ी इकाई इकाई छोटी इकाई (जैसे उपवाक्य पदबंध), (ग) छोटी इकाई – बड़ी इकाई (जैसे पदबंध-उपवाक्य)
(iv) समायोजन – यहाँ आकर अंतरिम पाठ का लक्ष्य भाषा की दृष्टि से समायोजन करते हैं। इस समायोजन में हमारा ध्यान तीन बातों पर जाना चाहिए- (क) भाषा में सहज प्रवाह हो। (ख) स्त्रोत भाषा की छाया न हो। उदाहरण के लिए I have taken my meals के हिन्दी अनुवाद ‘मैंने अपना खाना ले लिया है’ में स्रोत भाषा की छाया है। हिन्दी का ठीक वाक्य होगा – ‘मैंने खाना खा लिया है’। (ग) अर्थ स्पष्ट हो। यह अर्थ की स्पष्टता दोनों प्रकार की हो भाषिक अर्थ, वैषयिक अर्थ ।
(v) मूल से तुलना – अनुवाद को चौथे चरण में आकर अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं समझ लेनी चाहिए। उसे अंत में मूल से एक बार तुलना अवश्य कर लेनी चाहिए। यहाँ देखने की बात यह होती है कि अनुवाद मूल से कम कह रहा हो, न अधिक कह रहा हो और न कुछ हटकर कह रहा हो अर्थात् वह अर्थ-संकोच, अर्थ-विस्तार तथा अर्थादेश दोषों से मुक्त हो तथा यथासंभव उसकी भाषा शैली भी मूल के अनुरूप हो ।
IMPORTANT LINK
- कार्यालयी पत्राचार क्या हैं? कार्यालयी पत्राचार की प्रमुख विशेषताएँ
- परिपत्र से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा परिपत्र का प्रारूप
- प्रशासनिक पत्र क्या हैं? प्रशासनिक पत्र के प्रकार
- शासकीय पत्राचार से आप क्या समझते हैं? शासकीय पत्राचार की विशेषताऐं
- शासनादेश किसे कहते हैं? सोदाहरण समझाइए।
- प्रयोजनमूलक हिन्दी से क्या अभिप्राय है? प्रयोजनमूलक एवं साहित्य हिन्दी में अन्तर
- राजभाषा से क्या आशय है? राजभाषा के रूप में हिन्दी की सांविधानिक स्थिति एंव राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अन्तर
- हिन्दी के विभिन्न रूप, सर्जनात्मक भाषा तथा संचार भाषा
- प्रयोजन मूलक हिन्दी का अर्थ | प्रयोजन मूलक हिन्दी के अन्य नाम | हिन्दी के प्रमुख प्रयोजन रूप या क्षेत्र | प्रयोजन मूलक हिन्दी भाषा की विशेषताएँ
- शैक्षिक तकनीकी का अर्थ और परिभाषा लिखते हुए उसकी विशेषतायें बताइये।
- शैक्षिक तकनीकी के प्रकार | Types of Educational Technology in Hindi
- शैक्षिक तकनीकी के उपागम | approaches to educational technology in Hindi
- अभिक्रमित अध्ययन (Programmed learning) का अर्थ एंव परिभाषा
- अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार | Types of Programmed Instruction in Hindi
- महिला समाख्या क्या है? महिला समाख्या योजना के उद्देश्य और कार्यक्रम
- शैक्षिक नवाचार की शिक्षा में भूमिका | Role of Educational Innovation in Education in Hindi
- उत्तर प्रदेश के विशेष सन्दर्भ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009′ के प्रमुख प्रावधान एंव समस्या
- नवोदय विद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया एवं अध्ययन प्रक्रिया
- पंडित मदन मोहन मालवीय के शैक्षिक विचार | Educational Thoughts of Malaviya in Hindi
- टैगोर के शिक्षा सम्बन्धी सिद्धान्त | Tagore’s theory of education in Hindi
- जन शिक्षा, ग्रामीण शिक्षा, स्त्री शिक्षा व धार्मिक शिक्षा पर टैगोर के विचार
- शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त या तत्त्व उनके अनुसार शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्य
- गाँधीजी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन | Evaluation of Gandhiji’s Philosophy of Education in Hindi
- गाँधीजी की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था के गुण-दोष
- स्वामी विवेकानंद का शिक्षा में योगदान | स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन
- गाँधीजी के शैक्षिक विचार | Gandhiji’s Educational Thoughts in Hindi
- विवेकानन्द का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान | Contribution of Vivekananda in the field of education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ | संस्कृति की विशेषताएँ | शिक्षा और संस्कृति में सम्बन्ध | सभ्यता और संस्कृति में अन्तर
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त | Principles of Curriculum Construction in Hindi
Disclaimer