उद्दीपन परिवर्तन कौशल से आप क्या समझते हैं ? इसके घटकों एवं लाभों की विवेचना कीजिए।
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उद्दीपन परिवर्तन कौशल (Stimulus Variation Skill)
उद्दीपन आवेग से सम्बन्धित है। उद्दीपन शब्द मूलतः मनोविज्ञान से प्राप्त हुआ है। उद्दीपन का अभिप्राय प्रायः उस वस्तु या क्रिया से होता है जिस पर कोई प्रतिक्रिया प्राप्त होती शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में उद्दीपन का अर्थ शिक्षक द्वारा की गई उन क्रियाओं से होता है जिन पर छात्रों से प्रतिक्रिया करने की अपेक्षा की जाती है।
उद्दीपन परिवर्तन से तात्पर्य शिक्षक क्रियाओं में इस प्रकार का परिवर्तन करना है जिससे अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बन सके। उद्दीपन द्वारा शिक्षक इसे निम्न प्रकार से कर सकता है
- कक्षा में निरीक्षण कार्य आरम्भ करके; जैसे- कक्षा के चक्कर लगाना।
- अन्तः क्रिया का स्वरूप परिवर्तित करके।
- व्याख्यान के मध्य चार्ट / मॉडल आदि का प्रदर्शन करके।
- शारीरिक मुख-मुद्राओं में परिवर्तन करके।
- बोलने की गति परिवर्तित करके।
- छात्रों का ध्यान विशेष जगह पर केन्द्रित करके; जैसे- इस नक्शे को ध्यान से देखें।
- छात्रों को श्यामपट्ट पर कार्य करने को आमन्त्रित करके।
- अन्तराल (Pause) का प्रयोग करके।
उद्दीपन परिवर्तन कौशल के घटक (Factors of Stimulus Variation Skill)
इसके प्रमुख घटक निम्न हैं-
(i) शरीर संचालन (Body Movements)- कक्षा में शिक्षक की शारीरिक क्रियाएँ बहुत महत्त्व रखती हैं। आवश्यकता से अधिक शारीरिक क्रियाएँ भी अवांछनीय होती हैं और बहुत शारीरिक क्रिया-रहित शिक्षक भी कक्षा में एक अरुचिकर पत्थर की पूर्ति के समान होता है और ऐसे शिक्षक कक्षा में बिना हिले-डुले पढ़ाते हैं।
(ii) हाव-भाव या भाव मुद्रा (Gestures)- हाव-भाव या भाव मुद्रा भी कक्षा में पाठ को प्रभावशाली बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं। इसके अन्तर्गत सुख मुद्रा (हँसना, भौं चढ़ाना, संवेग आदि), आँखों के संकेत, सिर हिलाना, हाथ से संकेत करना (रुकने का संकेत, कार्य जारी रखने का संकेत चुप रहने का संकेत आदि शामिल हैं)।
(iii) आवाज में उतार-चढ़ाव लाना (Changes in Speech Pattern)- एक ही सुर में कक्षा में निरन्तर बोलते रहने से विद्यार्थी ऊब जाते हैं और उनका ध्यान पाठ से हट जाता है। शिक्षक को चाहिए कि वह अपनी आवाज में उतार-चढ़ाव लाता रहे।
(iv) भाव-केन्द्रीकरण (Focussing)- इस कौशल के माध्यम से किसी विशेष बिन्दु घटना आदि की ओर विद्यार्थियों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए किया जाता है। केन्द्रीकरण की इस प्रक्रिया में शाब्दिक केन्द्रीकरण (Verbal Focussing) मुद्रात्मक केन्द्रीकरण तथा शाब्दिक-मुद्रात्मक केन्द्रीकरण (Verbal or Oral-Gesture-Focussing) शामिल हैं। शाब्दिक केन्द्रीकरण में शब्दों का प्रयोग करके तथा उन्हें बार-बार दोहरा कर ध्यान का केन्द्रीकरण किया जाता है। जैसे- सभी बच्चे इधर देखो, मेरी ओर ध्यान से देखो, बाहर किसी को नहीं देखना, क्योंकि अब मैं बहुत ही महत्त्वपूर्ण घोषणा करने जा रहा हूँ। मुद्रात्मक केन्द्रीकरण में केवल भाव मुद्राओं (Gestures) के सहारे ही विद्यार्थियों का ध्यान वांछित दिशा की ओर या वस्तु की ओर आकर्षित करता है।
(v) शिक्षक-विद्यार्थी में अन्तःक्रिया का प्रारूप में परिवर्तन- (Change in Interaction Style) कक्षा में शिक्षक और छात्र के बीच अन्तःक्रिया का होना अति आवश्यक है। अन्यथा कक्षा का वातावरण नीरस और अति उबाऊ-सा बनकर रह जायेगा। लेकिन कक्षा में इन अन्तः क्रिया का प्रारूप निरन्तर बदलते रहना चाहिए।
(vi) दृश्य-श्रव्य क्रम परिवर्तन (Change in Audio Visual Sequence)- पढ़ाते समय कक्षा में प्रयोग की जाने वाली सहायक सामग्री के क्रम में निरन्तर परिवर्तन करते रहने से विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षक की ओर केन्द्रित रहता है। शिक्षक को चाहिए कि कभी दृश्य सामग्री का प्रयोग करे तो कभी श्रव्य सामग्री का ।
(vii) विराम प्रयोग (Pause)- कक्षा में शिक्षक को अपनी व्याख्या प्रक्रिया में आवश्यकतानुसार विराम का भी प्रयोग करना चाहिए।
उद्दीपन- परिवर्तन कौशल की शैक्षिक उपयोगिता (Educational Utility of Stimulus Variation Skill)
उद्दीपन परिवर्तन कौशल की शैक्षिक उपयोगिता निम्न हैं-
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा छात्रों में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा छात्रों में नवीन सोच एवं चिन्तन की प्रवृत्ति का विकास होता है।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा छात्रों की प्रतिभा में निखार आता है।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा निष्कर्ष रूप में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावी बनती है।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा प्रकरण की विस्तृत जानकारी छात्रों को मिलती है।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा छात्र शिक्षक सम्बन्ध स्वस्थ होते हैं।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा छात्र रुचि लेने लगते हैं।
- उद्दीपन परिवर्तन कौशल द्वारा छात्र सक्रिय हो जाते हैं।
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