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निर्णयों के प्रकार | Types of Decisions in Hindi

निर्णयों के प्रकार | Types of Decisions in Hindi
निर्णयों के प्रकार | Types of Decisions in Hindi

प्रबन्ध में अनेक प्रकार के निर्णय लिये जाते हैं, वर्णन कीजिए।

निर्णयों के प्रकार (Types of Decisions)

पीटर एफ० ड्रकर के अनुसार, ” प्रबन्ध निर्णय लेने की प्रक्रिया है।” जिसका अन्तर्गत प्रबन्ध द्वारा अनेक प्रकार के निर्णय लिये जाते हैं। इन निर्णयों व उनके महत्व एवं प्रभाव के आधार पर एच० आई० इन्साफ ने अपनी पुस्तक ‘Corporate Strategy’ में निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया है-

(अ) व्यूह रचना सम्बन्धी निर्णय (Strategic Decisions ) – ऐसे निर्णय जो संगठन के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक स्पष्ट करते हैं व्यूह रचना सम्बन्धी निर्णय कहलाते हैं। ऐसे निर्णयों के माध्यम से व्यावसायिक उपक्रम अपना लक्ष्य स्पष्ट करता है, उपलब्ध अवसरों और बाहरी वातावरण के कारण उत्पन्न वर्तमान सीमाओं एवं रूकावटों के अनुरूप अपने साधनों को समायोजित करने का प्रयास करता है तथा अपने उत्पाद के विपणन के क्षेत्र को सीमाबद्ध करता है। संयंत्र की स्थिति एवं उसका अभिन्यास, उत्पाद श्रेणी, उसमें विविधता एवं उसका विकास, वितरण के माध्यम, पूँजीगत व्यय आदि के सम्बन्ध में लिये गये निर्णय व्यूह रचना सम्बन्धी निर्णय ही होते हैं।

(ब) प्रशासकीय निर्णय (Admin strative Decisions) – ऐसे निर्णय जो संस्था के साधनों तथा अनुकूलतम कार्य निष्पत्ति की सुविधाओं से सम्बन्धित होते हैं, प्रशासकीय निर्णय कहलाते हैं। संगठन के ढाँचे में सुधार करने, अधिकार सत्ता एवं उत्तरदायित्व के सम्बन्धों का निर्धारण करने, सूचना प्रणाली की स्थापना करने, वित्त, उपकरण, सामग्री, कर्मचारी आदि प्राप्त करने से सम्बन्धित निर्णय प्रशासकीय निर्णय हैं। ऐसे निर्णयों का उद्देश्य व्यूह रचना सम्बन्धी निर्णयों को कार्य रूप में परिणत करने हेतु एक प्रशासनिक वातावरण तैयार करना होता है।

(स) कार्य संचालन सम्बन्धी निर्णय (Operating Decisions ) – ऐसे निर्णय जो कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा कार्य करते समय दिन-प्रतिदिन लिये जाते हैं उन्हें कार्य संचालन या कार्यकारी निर्णय कहते हैं। इनका उद्देश्य व्यूह रचना सम्बन्धी एवं प्रशासकीय निर्णयों को कार्य रूप में परिणत करना तथा उन्हे गति प्रदान करना होता है। बजट, उत्पादन लक्ष्य, इन्वेन्ट्री स्तर, विक्रय लक्ष्य, कर्मचारी प्रशिक्षण एवं विकास आदि के सम्बन्ध में लिये गये निर्णय इसी श्रेणी में आते हैं।

उपरोक्त तीनों वर्गों तथा अन्य व्यावसायिक निर्णयों को एक निश्चित एवं सतत क्रम में रखा जाये तो यह ज्ञात होता है कि इन निर्णयों को निम्न वर्गों में भी रखा जा सकता है-

(1) कार्यात्मक तथा अकार्यात्मक निर्णय (Programmed and Non-Programmed Decisions) – कार्यात्मक निर्णयों से आशय ऐसे निर्णयों से है जो कि दुहराने वाली प्रकृति के होते हैं तथा जिन्हें लेने के लिये एक निश्चित एवं सुव्यवस्थित प्रणाली निर्धारित की जाती है। ये नैत्यक एवं पुनरावृत्ति प्रकृति के होते हैं। इसके विपरीत अकार्यात्मक निर्णय वे निर्णय होते हैं, जो अनुपम, अनोखे एवं बेजोड़ प्रकृति के होते हैं तथा किसी विशेष परिस्थिति के उत्पन्न होने के लिये जाते हैं। इस प्रकार के निर्णयों की प्रवृत्ति तथा विधि को तय नहीं किया जा सकता है।

(2) दैनिक तथा आधारभूत निर्णय (Routine and Basic Decisions ) – ऐसे निर्णय जो व्यवसाय की सामान्य प्रकृति में बार-बार लिये जाते हैं तथा जिनके सम्बन्ध में कम सोच-विचार करने की आवश्यकता होती है उन्हे दैनिक तथा सामान्य निर्णय कहते हैं। इसके विपरीत काफी सोच-विचार कर लिये जाने वाले निर्णय आधारभूत निर्णय होते हैं। यह महत्वपूर्ण निर्णय प्रायः उच्च प्रबन्धक द्वारा लिये जाते हैं जबकि दैनिक निर्णय क्रियाशील प्रबन्धकों द्वारा लिये जाते हैं।

(3) संगठनात्मक तथा व्यक्तिगत निर्णय (Organisation and Personal Decisions ) – किसी व्यावसायिक संस्था के पदाधिकारी के रूप में कोई औपचारिक निर्णय लिया जाता है, तो संगठनात्मक निर्णय कहलाते हैं। इसके विपरीत किसी संस्था के पदाधिकारियों द्वारा अपने विषय लिए गए निर्णयों को व्यक्तिगत निर्णय कहते हैं।

(4) नियोजित तथा (Planned and Unplanned Decisions ) – नियोजित निर्णय पूर्व निर्धारित योजना पर आधारित होते हैं और इनके लिए प्रायः वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। इसके विपरीत ऐसे निर्णय जो विशेष परिस्थिति में या अमुक अवसर पर लिए गए हों एवं जिनका आधार कोई पूर्व निर्धारित योजना न हो अनियोजित निर्णय कहलाते हैं।

(5) एकाकी एवं सामूहिक निर्णय ( Individual and Group Decisions ) – जब व्यवसाय का आकार छोटा होता है तथा उस पर एक ही व्यक्ति का नियन्त्रण होता है तो उस व्यक्ति (स्वामी) के द्वारा लिए गए निर्णय एकाकी कहलाते हैं। इसके विपरीत सामूहिक निर्णय ऐसे निर्णय होते हैं जो किसी समूह द्वारा लिए जाते हैं। मैक्फरलैण्ड के अनुसार, “समूह द्वारा लिया गया निर्णय एकाकी व्यक्ति द्वारा लिए निर्णय से अधिक अच्छा होता है। “

(6) नीति एवं संचालन सम्बन्धी निर्णय ( Policy and Operating Decisions ) – ऐसे निर्णय जो शीर्ष प्रबन्ध द्वारा उपक्रम की नीतियों के सम्बन्ध में लिए जाते हैं और जो सम्पूर्ण उपक्रम को प्रभावित करते हैं उन्हें नीति विषयक निर्णय या प्रशासकीय निर्णय कहते हैं। संस्था की वित्तीय संरचना, विपणन ढाँचा, सूचना प्रणाली आदि प्रशासकीय निर्णयों द्वारा निर्मित की जाती है। इसके विपरीत संचालन के सामान्य मामलों से सम्बन्धित जो निर्णय निम्न प्रबन्ध द्वारा लिए जाते हैं उन्हें संचालन सम्बन्धी या चाल निर्णय कहते हैं। उदाहरण के लिए बोनस अंश जारी करने का निर्णय नीति सम्बन्धी है जबकि ऐसे अंशों को जारी करने का हिसाब लगाना संचालन सम्बन्धी निर्णय है।

(7) प्रमुख व गौण निर्णय ( Major and Minor Decisions ) – जो निर्णय किसी महत्वपूर्ण मामले के सम्बन्ध में लिए जाते हैं, उन्हें प्रमुख निर्णय कहते हैं, जैसे- संयन्त्र का क्रय, वस्तुओं के विक्रय मूल्य में वृद्धि, नवीन उत्पादन का प्रारम्भ। इसके विपरीत जब सामान्य मामलों के विषय में निर्णय लिए जाते हैं एवं जिनके विषय में अपेक्षाकृत कम सोचने-समझने की आवश्यकता पड़ती है उन्हें नैत्यिक या सामान्य निर्णय कहते हैं।

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Anjali Yadav

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