माँग को प्रभावित करने वाले तत्त्व (Factors Affecting Demand)
ऐसे अनेक घटक है जो वस्तुओं की माँग को भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रभावित करते हैं। ऐसे प्रमुख घटक निम्नवत् है-
(1) वस्तु की कीमत— यह वस्तुओं तथा सेवाओं की माँग को प्रभावित करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है। सामान्यतया किसी वस्तु की कीमत के बढ़ने पर उसकी माँग घट जाती है जबकि कीमत के घटने पर उसकी माँग बढ़ जाती है।
(2) जनसंख्या में परिवर्तन- सामान्यतः किसी देश की जनसंख्या के बढ़ने पर वहाँ अधिकांश वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है। इसके विपरीत, जनसंख्या के घटने पर सामान्यतः अधिकांश वस्तुओं की मांग घट जाती है। जनसंख्या की रचना (composition) में परिवर्तन का भी वस्तुओं की मांग पर प्रभाव पड़ता है— (1) यदि स्त्रियों की संख्या में वृद्धि हो जाती है तो क्रीम, पाउडर, चूड़ियों आदि की माँग बढ़ जाती है। (ii) यदि जनसंख्या में वृद्धों की संख्या अधिक है तो छड़ी, ऐनक, नकली दाँत आदि की मांग अधिक होगी।
(3) मुद्रा की मात्रा में परिवर्तन- देश में मुद्रा की मात्रा के बढ़ने पर कीमतें भी बढ़ जाती हैं। इसके विपरीत, मुद्रा की पूर्ति (मात्रा) के घटने पर कीमतें भी घट जाती हैं।
(4) जलवायु तथा मोसम में परिवर्तन- गर्मी के मौसम में बर्फ, शर्बत, बिजली की पंखे आदि वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है, इसके विपरीत, सर्दी के मौसम में चाय, कॉफी, ऊन, कोयला आदि वस्तुओं की मांग में वृद्धि हो जाती है।
(5) रुचि तथा फैशन में परिवर्तन- उपभोक्ताओं की रुचि तवा फैशन में परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तुओं की मांग में परिवर्तन हो जाते हैं। जिस वस्तु का फैशन नहीं रहता उसकी माँग एकदम घट जाती है।
(6) धन के वितरण में परिवर्तन- धन के वितरण के समान होने पर निर्धन तथा मध्यम वर्ग के व्यक्तियों की मांग बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में अनिवार्य तथा आरामदायक वस्तुओं की अधिक मांग की जाती है जबकि विलासिता की वस्तुओं की माँग कम हो जाती है। इसके विपरीत, धन के वितरण के असमान होने पर स्कूटर, कूलर, पंखा, टेलीविजन आदि आरामदायक वस्तुओं की माँग घट जाती है।
(7) वस्तु की पूर्ति में परिवर्तन- किसी वस्तु की पूर्ति के बढ़ने पर उसकी कीमत घट जाती है जिससे उसकी मांग बढ़ जाती है।
(8) वचत की सुविधाएँ– देश में बैंकिंग, बीमा आदि की सुविधाएँ उपलब्ध होने पर अल्प बचत बढ़ जाती है जिससे वस्तुओं की माँग घट जाती है।
(9) सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन- सम्बन्धित वस्तुएँ दो प्रकार की हो सकती हैं—(1) पूरक वस्तुएँ (complementary goods) – जब किसी आवश्यकता को सन्तुष्ट करने के लिए दो या दे से अधिक वस्तुओं की माँग संयुक्त रूप से की जाती है तो ऐसी वस्तुएँ ‘पूरक वस्तुएँ’ कहलाती हैं, जैसे कार व पैट्रोल, पैन व स्याही आदि की माँग। संयुक्त मांग वाली वस्तुओं में से किसी एक वस्तु की कीमत के बढ़ने पर दूसरी वस्तु की माँग घट जाती है। उदाहरणार्थ, पेट्रोल की कीमत में निरन्तर वृद्धि होने पर कार की माँग अपेक्षाकृत घट जाती है। (ii) स्वानापन्न वस्तुएँ (substitutes)– जिन वस्तुओं का प्रयोग एक-दूसरे के स्थान पर किया जा सकता है उन्हें स्थानापन्न वस्तुएँ कहते हैं, जैसे चाय तथा कॉफी। इनमें से किसी एक वस्तु की कीमत के बढ़ने पर दूसरी वस्तु (स्थानापन्न बस्तु) की मांग बढ़ जाती है।
(10) उपभोक्ताओं की आय- सामान्यतः किसी वस्तु की माँग तथा उपभोक्ताओं की आय में सीधा सम्बन्ध होता है, अर्थात् उपभोक्ताओं की आय के बढ़ने पर वस्तु की मांग बढ़ती है तथा आय के घटने पर वस्तु की मांग घटती है। किन्तु कुछ वस्तुएँ ऐसी भी होती हैं जिनकी माँग तथा उपभोक्ताओं की आय में विपरीत सम्बन्ध होता है, अर्थात् आय के बढ़ने पर ऐसी वस्तुओं की मांग घट जाती है और आय के घटने पर मांग बढ़ जाती है। इन्हें गिफ्फन पदार्थ अथवा निम्न कोटि की वस्तुएँ कहते हैं।
(11) व्यापार की स्थिति- मन्दी काल में वस्तुओं की कीमतों के घटने के बावजूद वस्तुओं की माँग घट जाती है। इसके विपरीत, तेजी-काल में वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने के बावजूद उनकी मांग बढ़ जाती है।
(12) ज्ञान में वृद्धि- उपभोक्ताओं के ज्ञान में वृद्धि होने पर विभिन्न वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है। इसी कारण आजकल वस्तुओं के उत्पादकों तथा निर्माताओं द्वारा विज्ञापन पर इतनी अधिक धनराशि व्यय की जाती है।
(13) कीमत में परिवर्तन की सम्भावना- यदि भविष्य में किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि की आशंका होती है तो वर्तमान में ऐसी वस्तु की मांग बढ़ जाती है। इसके विपरीत, किसी वस्तु की कीमत में भविष्य में कमी होने की सम्भावना होने पर वर्तमान में ऐसी वस्तु की माँग घट जाती है।
(14) सरकारी नीति- आजकल सरकार कुछ वस्तुओं के उपभोग को हतोत्साहित करने के लिए ऐसी वस्तुओं पर भारी कर लगा देती है। इससे ऐसी वस्तुओं की कीमत के बढ़ने पर उनकी मांग घट जाती है। इसके विपरीत, सरकार कुछ वस्तुओं के उपभोग को प्रोत्साहित करने हेतु उन पर कर आदि की छूट देती है जिससे कीमतें कम होने पर ऐसी वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है।
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