शिक्षाशास्त्र / Education

विस्मरण (विस्मृति) क्या हैं? इसके प्रकार, कारण एवं विस्मरण को कम करने के उपाये

विस्मरण (विस्मृति) क्या हैं? इसके प्रकार, कारण एवं विस्मरण को कम करने के उपाये सुझाइए। 

पूर्व में सीखी हुई किसी बात अथवा देखी गयी वस्तु का स्मरण न कर पाना विस्मृति कहलाता है। हमारे जीवन की बहुत सी सीखी हुई बातें या अनुभव ऐसे होते हैं जो कुछ समय बाद हमें याद नहीं रहते और इनका कोई स्थायी प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर नहीं पड़ता है। इन्हीं बातों को हम भूल जाते हैं। आवश्यक बातों को याद रखना जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है और वह आवश्यक बातें तभी याद रखी जा सकती है जब हम अनावश्यक बातों को भूल जाएं। वास्तव में यह अनावश्यक बातें एक खरपतवार की तरह है जिन्हें भूल जाना ही हितकर है। इस अर्थ में विस्मृति महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह स्मृति की सहायता करती है। स्मृति की तरह विस्मृति भी एक जटिल प्रक्रिया है और विद्वानों ने इसे परिभाषित करने का प्रयास किया है। कुछ प्रमुख परिभाषाओं का उल्लेख हम यहाँ कर रहे हैं।

विस्मृति की परिभाषाएं

हंसराज भाटिया के अनुसार, “जब व्यक्ति मूल प्रेरक की सहायता के बिना, भूतकालीन अनुभवों को चेतनावस्था में ही नहीं ला पाता, तब इस क्रिया को ‘विस्मृति’ कहते हैं।”

मन के अनुसार, “ग्रहण किये गये तथ्यों को धारण न कर सकना ही विस्मृति है”

ड्रेवर के अनुसार, “विस्मृति का अर्थ है किसी अवसर पर प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव को स्मरण रखने या कुछ समय पूर्व सीखे हुए किसी कार्य को करने की असफलता।”

इंगलिश और इंगलिश, “विस्मरण वह अस्थायी या स्थायी हानि है जो पूर्व सीखी गयी वस्तु के संबंध में होती है, इसके कारण पुनः स्मरण पहचान अथवा कार्य करने की योग्यता समाप्त हो जाती है।”

विस्मृति के प्रकार :

1. सक्रिय विस्मृति – जब कोई व्यक्ति किसी अनहोनी बात को भुलाना चाहता है और प्रयासों माध्यम से इस तथ्य को भुलाने में सफल होता है तब हम इसे विस्मृति की संज्ञा देते हैं। इस प्रकार की विस्मृति में पहले से सीखा गया कार्य या विषय वस्तु वर्तमान सीखी गयी क्रिया और धारणा को प्रभावित करती है। जब तक भुलाये जाने वाला विषय या तथ्य मनुष्य के मस्तिष्क से नहीं निकल जाता तब तक व्यक्ति की स्थिति असमान्य रहती है। वह अजीब सी उलझन महसूस करता है और इसको भूल जाने के बाद ही व्यक्ति की क्रियायें सामान्य हो पाती हैं। संक्षेप में जानबूझकर सोच समझकर विषय वस्तु व तथ्यों को भुलाने की क्रिया सक्रिय विस्मृति कहलाती है।

2. निष्क्रिय विस्मृति : निष्क्रिय विस्मृति वह है जिसमें तथ्यों या विषयों को भुलाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता बल्कि स्मृति की प्रक्रिया के दौरान ही कुछ बातों को स्वतः ही भूल जाते हैं। इसमें व्यक्ति द्वारा भूलने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। विस्मृति का यह प्रकार विभिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न होता है। इस प्रकार की विस्मृति का कारण मनुष्य स्वयं नहीं होता, वह भूलना नहीं चाहता लेकिन फिर भी भूल जाता है। स्पष्ट है प्रयास न करने पर भूल जाने की प्रक्रिया निष्क्रिय विस्मृति कहलाती हैं।

भूलने (विस्मरण) के प्रमुख कारण :

1. संवेगात्मक असंतुलन – संवेगात्मक असंतुलन बिगड़ जाने पर मनुष्य की याद करने की शक्ति क्षीण होने लगती है और वह सीखी हुई बातों को भूलने लगता है। अधिक भय, चिंता, क्रोध और घराबहट में हम अक्सर बहुत सी सीखी हुई बातें भूल जाते हैं और हमारा व्यवहार असामान्य हो जाता है।

2. समय व्यवधान- समय का व्यवधान भूलने की प्रक्रिया पर असर डालता है। यदि हम किसी याद की गयी विषय वस्तु को लम्बे समय तक नहीं दोहराते हैं तो यह विषयवस्तु हमें भूलने लगती है। यही प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार समय बीतने पर धीरे-धीरे शारीरिक घाव भर जाते हैं। समय बीतने पर धीरे-धीरे हमारे चेतना में स्थायी हुई स्मृति चिन्ह धूमिल होने लगते हैं और भूलने की प्रक्रिया सक्रिय हो जाती है।

3. क्रिया का न करना – यदि हम किसी सीखी हुई क्रिया को बहुत लम्बे समय तक नहीं करते तो इस क्रिया से संबंधित स्मृति चिन्ह भी हमारी चेतना में क्षीण होने लगते हैं और हम इस क्रिया को भूल जाते हैं।

4. थकावट- थकान भी भूलने की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। अक्सर देखा गया है कि जब हम बहुत अधिक थके हुए होते हैं तो शरीर में शक्ति की कमी का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति में हम अचेतन मन में पड़े हुए अपने स्मृति चिन्हों को वेतन मन तक नहीं ला पाते और जिस विषय वस्तु को हम पुनः स्मरण करना चाहते हैं उसे हम पुनः स्मरण नहीं कर पाते। थोड़ी देर विश्राम कर लेने के बाद वहीं बात जो हमें थकान की अवस्था में याद नहीं आ रही होती वह याद आ जाती है। स्पष्ट है थकावट की स्थिति में मानव की भूलने की प्रक्रिया अधिक सक्रिय हो जाती है।

5. संशय की स्थिति- यदि किसी पुनः स्मरण किये जाने वाले तथ्य या विषय वस्तु के विषय में हमारे मन में कोई संशय होता है तो भी हम विषयवस्तु को सही ढंग से याद नहीं कर पाते। संशय की स्थिति में चेतन एवं अचेतन मन के बीच एक संघर्ष की स्थिति बनती हैं और अचेतन मन से स्मृति चिन्ह चेतन मन में नहीं आ पाते।

6. नशा – जो व्यक्ति मादक द्रव्यों एवं पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं उनकी स्मरण शक्ति का भी धीरे-धीरे ह्रास होने लगता है और अधिक सेवन से तो स्मरण की शक्ति बहुत ही क्षीण हो जाती है। नशे की अवस्था में भी स्मरण शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नशे की अवस्था में व्यक्ति की याद करने की शक्ति बहुत कम हो जाती है और इस हालत में वह क्या क्रियाएं कर रहा है इसका भी ज्ञान उसे नहीं रहता।

7. इच्छा का अभाव – किसी विषयवस्तु या बात को याद करने की इच्छा भी उसकी स्मरण शक्ति को प्रभावित करती है। यदि हमें किसी चीज को याद करने की इच्छा नहीं होती और हमें उसे याद करने को कहा जाता है तो हम उसे याद तो कर लेते हैं लेकिन बहुत थोड़े समय में ही उसे भूल जाते हैं। इस प्रकार अनिच्छा से याद की गयी विषय वस्तु बिना ही प्रयास के भूल जाती है।

8. मानसिक रोग एवं दुर्घटना – मानसिक रोग या ऐसी दुर्घटना जो मस्तिष्क पर – चोट करे, याद करने की शक्ति को प्रभावित करती है। मानसिक रोगी की स्मरण शक्ति बहुत कमजोर हो जाती है और कभी-कभी तो वह सभी कुछ भूल जाता है। मस्तिष्क में गहरी चोट लगने की स्थिति में तो मनुष्य की याद्दाश्त पूरी तरह से चली जाती है। याद्दाश्त का पूरी तरह से चले जाने का कारण मस्तिष्क पर आघात लगाने से स्नायु तत्रों का छिन्न-छिन्त्र हो जाना है।

9. विषय वस्तु का स्वरूप – मनुष्य की विस्मृति बहुत कुछ सीखी जाने वाली वस्तु की विषय वस्तु पर निर्भर करती है। यदि सीखी जाने वाली विषय वस्तु जटिल एवं आरोचक है तो यह आसानी से विस्मृत हो जाती है।

10. विषयवस्तु का परिमाण – विषय वस्तु के स्वरूप की ही भांति विषयवस्तु का परिमाण भी विस्मरण को प्रभावित करता है। यदि विषय वस्तु बहुत लम्बी है तो उसे याद करने में अधिक समय लगता है और वह जल्दी ही भूल भी जाती है। इसके विपरीत यदि विषय वस्तु छोटी है तो वह जल्दी ही याद हो जाती है और लम्बे समय तक याद भी रहती है।

11. सीखने की विधियां – सीखने की विधियां भी विस्मरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। यदि कोई विषय वस्तु सीखने की उचित एवं रोचक विधियों से सीखी गयी है तो वह लम्बे समय तक याद रहती है। इसके विपरीत यदि कोई विषयवस्तु उचित विधि से नहीं सीखी गयी तो वह जल्द ही भूल जाती है।

बच्चों द्वारा सीखने की प्रक्रिया में स्मृति का महत्वपूर्ण स्थान है। बिना अच्छी स्मृति के बालक दिये गये पाठों एवं विषयवस्तु को याद नहीं कर पाते जिसका परिणाम उनकी परीक्षाओं पर विपरीत पड़ता है। कक्षाओं में वह अध्यापक के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाते और परीक्षा भवनों में भी वह अपने द्वारा याद किये गये प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थ रहते हैं। जिससे उनका भावी जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में यह बहुत आवश्यक है कि छात्रों में विस्मृति को कम करने के उपाय किये जाएं। शिक्षकों को समय-समय पर यथासंभव उपाय करने चाहिए जिससे कि बच्चों में विस्मृति को कम किया जा सके। कुछ प्रमुख उपाय का उल्लेख हम यहां कर रहे हैं जिन्हें अपनाकर शिक्षक बच्चों में विस्मृति को कम कर सकते हैं।

विस्मरण को कम करने के उपाय :

1. शिक्षकों द्वारा पढ़ाये गये विषयों को समय-समय पर कक्षा में दोहराते रहना चाहिए।

2. बालकों को पढ़ाते समय उचित एवं मनोवैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

3. बच्चों को आत्मविश्वास के साथ विषयों को पढ़ने, सीखने और समझने के लिए. प्रेरित किया जाना चाहिए।

4. शिक्षक को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों में किसी प्रकार की भावना ग्रंथियों का विकास न होने पाये।

5. बालकों को निरन्तर अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

6. शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ बालक ही अपनी विषयवस्तु को ठीक ढंग से याद कर पाते हैं। अतः शिक्षक को चाहिए कि वह बालकों को शारीरिक तथा मानसिक दृष्टि से स्वस्थ रहने में उनकी यथासंभव सहायता करें।

7. शिक्षकों को चाहिए कि जिस पाठ की वह कक्षा में पढ़ाने जा रहे हैं उस पाठ के प्रति बालकों में रुचि उत्पन्न करें और उस पाठ को रुचिपूर्ण ढंग से ही पढ़ाने का प्रयास करें।

8. सीखने की बहुत सी विधियां हैं लेकिन क्रिया द्वारा सीखना विस्मृति को बहुत हद तक कम कर देता है। इस क्रिया द्वारा सीखी गयी विषयवस्तु बच्चे आसानी से नहीं भुला पाते।

9. सहचर्य के नियमों का ज्ञान भी विस्मृति को कम करने में सहायक होता है।

10. किसी विषयवस्तु को याद कर लेने के पश्चात भी यदि उस विषयवस्तु को फिर दोहराया जाए और पुनः याद किया जाए तो भी विस्मृति कम होती है।

11. शिक्षकों को चाहिए कि वह इस बात का ध्यान रखें कि कक्षा में पढ़ायी जाने वाली विषयवस्तु पर बालकों का ध्यान केन्द्रित हो ।

12. यदि कक्षा का वातावरण बालकों के ध्यान केन्द्र करने की प्रक्रिया में बाधक होता है तो भी विस्मृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः शिक्षकों को चाहिए कि वह कक्षा के वातावरण को उचित बनाये रखने का प्रयास करें।

इन सब प्रयासों के किये जाने से निःसंदेह विस्मृति कम होगी ओर बच्चों में स्मृति सुदृढ़ होगी। वास्तव में जहां स्मृति सीखने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है वहीं विस्मृति भी सीखने की प्रक्रिया में सहायता प्रदान करती है। वैसे तो यह कथन एक अजीब सा लगता है लेकिन वास्तविकता यही है कि विस्मृति भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि हम बहुत सी बातों को सीखने हैं या हमें सिखायी जाती है तो इनमें से कुछ बातें निःसंदेह अर्थपूर्ण एवं अरुचिपूर्ण होती है। इन सभी बातों को याद रख पाना संभव नहीं होता और यदि इन सब बातों को याद रखने का प्रयास किया जाता है तो यह अर्थपूर्ण एवं विवेकशील विषयों को याद रखने के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। जिस प्रकार अच्छी फसल लेने के लिए खरपतवारों को उखाड़ फेंकना जरूरी है ठीक उसी प्रकार अच्छी स्मृति बनाये रखने के लिए अरुचिपूर्ण एवं निरर्थक बातों को भुला देना बहुत आवश्यक है। इस अर्थ में विस्मृति का निःसंदेह एक महत्व बन जाता है। संक्षेप में विस्मृति के महत्व को निम्न प्रकार से बताया जा सकता है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment