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व्यक्तित्व का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | Meaning, Definition and Characteristics of Personality in Hindi

व्यक्तित्व से आप क्या समझते हो? व्यक्तित्व को परिभाषित कीजिए और व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा- व्यक्तित्व अंग्रेजी भाषा के शब्द “परसोनैलिटी” का हिन्दी रूपान्तर हैं, जिसका जन्म लैटिन भाषा के शब्द “परसोना’ से हुआ हैं।

“परसोना’ का अर्थ है, बनावटी स्वरूप। प्राचीन मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व को बाहरी रूप से दिखायी देने वाला बनावटी स्वरूप बताया है। आज मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व की इस धारणा से सहमत नहीं हैं। आधुनिक विद्वानों ने व्यक्तित्व की अनेक परिभाषाएँ प्रस्तुत की हो। कुछ ने व्यक्तित्व को सामाजिकता, कुछ ने प्रतिक्रिया, कुछ ने उद्दीपकों, कुछ ने सामाजिक तथा सांस्कृतिक गुणनफल, कुछ ने मानव की आन्तरिक विशेषताओं के गठन तथा कुछ ने सम्पूर्ण मानवीय गुणों के कुल योग के रूप में परिभाषित किया। इन सभी परिभाषाओं का निष्कर्ष यह है कि व्यक्तित्व मानव के आन्तरिक तथा बाहरी गुणों का गठन है। नीचे की पंक्तियों में हम प्रमुख परिभाषाओं को प्रस्तुत कर रहे हो जिससे व्यक्तित्व की धारणा और अधिक स्पष्ट हो जायेगी।

गुथरी के अनुसार, “व्यक्तित्व आदतों व पद्धतियों का वह मिश्रण है जिनका सामाजिक महत्व है तथा जो स्थिर रहती है और किसी परिवर्तन का प्रतिकार करती है। “

मन के मतानुसार, “व्यक्तित्व की परिभाषा एक व्यक्ति की बनावट, व्यवहार करने के ढंग रूचियां, अभिरूचियाँ, क्षमताएं, योग्यताएँ तथा विशेषतापूर्ण संगठन के रूप में की जा सकती है।”

आलपोर्ट के अनुसार, “व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के अन्दर, वह मनोदैहिक पद्धतियों का गतिशील संगठन है जो वातावरण के प्रति उसमें अपूर्व समायोजन स्थापित करता है।”

वुडवर्थ के अनुसार, “व्यक्तित्व की मोटी परिभाषा यह है कि यह एक व्यक्ति के व्यवहार की सम्पूर्ण विशेषता है, जिसका प्रदर्शन उसके विचार की आदत तथा उसे व्यक्त करने के ढंग, उसकी अभिवृत्ति तथा रूचि, कार्य करने के ढंग तथा जीवन के प्रति उसके व्यक्तिगत दार्शनिक दृष्टिकोण के द्वारा होता है।”

उपरोक्त सभी परिभाषाओं की विवेचना से स्पष्ट होता है कि व्यक्तित्व व्यक्ति के रूपों, गुणों, प्रवृत्तियों तथा सामर्थों का गठन है। इनमें आलपोर्ट की परिभाषा अधिक उपयुक्त है क्योंकि इसमें व्यक्तित्व के सभी गुणों का समावेश है। संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि व्यक्तित्व मानव के आन्तरिक व बाहरी गुणों का वह समग्र रूप है जो वातावरण में उसके विशिष्ट व्यवहार से प्रकट होता है।

व्यक्तित्व की विशेषतायें

 उपरोक्त सभी परिभाषाओं का विश्लेषण करने के पश्चात् व्यक्तित्व की कुछ प्रमुख विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं। संक्षेप में व्यक्तित्व की सामान्य विशेषताओं को निम्न प्रकार से गिनाया जा सकता है-

1. समायोजनशीलता- अपने आप को विभिन्न परिस्थितियों के बीच समायोजित कर लेना व्यक्तित्व का एक प्रमुख लक्षण है। क्रिया और व्यवहार में परिवर्तन कर प्रत्येक परिस्थिति में अपने आप को ढाल लेने की क्षमता एक अच्छे व्यक्तित्व की परिचायक है। समायोजनशीलता के कारण ही व्यक्ति बहुत से आन्तरिक द्वन्द्वों से मुक्ति पा लेने में सफल जाता है। विभिन्न परिस्थितियों में अपनी बुद्धि का प्रयोग सफलता पूर्वक करके वास्तविकता को उसी के अनुरूप व्यवहार व आचरण करना एक सन्तुलित व्यक्तित्व का लक्षण है।

2. सामाजिकता- बालक को समाज से पृथक नहीं किया जा सकता। व्यक्तिसामाजिक  चेतना का विकास समाज के अन्य व्यक्तियों के साथ समाज में रहते हुए आपसी क्रिया कलापों एवं व्यवहारों के माध्यम से ही सम्भव हो पाता है। व्यक्ति की सामाजिकता उसके व्यक्तित्व की एक कसौटी है। आज मानव के व्यक्तित्व को उसके सामाजिकता के गुणों से ही आंका जाता है। जिस व्यक्ति में जितनी अधिक सामाजिकता की भावना होगी उसका व्यक्तित्व उतना ही सन्तुलित होगा।

3. स्व चेतना- गार्डनर मर्फी के शब्दों में, “व्यक्ति अपने को जिस रूप में जानता है वही उसका स्व है।” जन्म के समय बच्चे में स्व के प्रति कोई चेतना नहीं होती। विकास के साथ-साथ ही उसमें स्व चेतना या आत्म चेतना जागृत और विकसित होती है। यह मानव की आत्म चेतना ही है जिसके कारण सभी प्राणियों में उसे श्रेष्ठ माना गया है। भारतीय दर्शन के अनुसार स्व बोध ही आत्मा का बोध है। स्व चेतना व्यक्तित्व की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

4. लक्ष्य की प्राप्ति- अपने निर्धारित लक्ष्य को विभिन्न कठिनाइयों के बावजूद भी कठिन परिश्रम से प्राप्त करना व्यक्तित्व की विशेषता है। अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति सदैव ही अपने निर्देशित लक्ष्यों को प्राप्त किये बिना चैन से नही बैठते। लगातार परिश्रम और बुद्धि का इस्तेमाल कर वह अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हो ।

5. दृढ़ इच्छाशक्ति किसी भी कार्य को करने का पक्का इरादा व्यक्तित्व की एक अन्य विशेषता है। एक पक्के इरादे वाला व्यक्ति जीवन की हर कठिनाइयों पर काबू पा लेता हैं और अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो जाता है। छोटी-मोटी परेशानियों के आने पर अपने इरादे को बदल देना एक अच्छे व्यक्तित्व का लक्षण नही है। जिस व्यक्ति में इच्छा शक्ति का अभाव होता है वह अपने निश्चित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाता और आसानी से विघटित हो सकता है। अतः एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए यह आवश्यक है कि उसमें दृढ़ इच्छा शक्ति हो तभी वह जीवन के संग्राम में विजयी हो सकेगा।

6. समाकलन एवं एकता- व्यक्ति में एकता तथा समाकलन का होना व्यक्तित्व की एक आवश्यक विशेषता है। मानव के शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सामाजिक और संवेगात्मक तत्वों के बीच एकता का होना बहुत आवश्यक है। आलपोर्ट महोदय ने तो अच्छे व्यक्तित्व के लिए समाकलन एवं एकता को बहुत ही आवश्यक माना हो।

7. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। यदि व्यक्ति का शरीर एवं मन स्वस्थ नही होगा तो न तो उसमें इच्छाशक्ति, सामाजिकता, स्व-चेतना आदि के गुण विकसित हो पायेंगे और उसका व्यक्तित्व भी सन्तुलित रूप से विकसित नहीं हो पायेगा। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सन्तुलित व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हो ।

अन्त में हम यह कह सकते हैं कि व्यक्तित्व एक जटिल धारणा है और इस जटिल धारणा का सम्बन्ध मानव के सम्पूर्ण मानसिक, शारीरिक, संवेगात्मक और सामाजिक विकास से है।

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Anjali Yadav

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