शिक्षाशास्त्र / Education

व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकार | Major personality types in Hindi

व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।

व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) साधारण दृष्टिकोण से – भारत तथा विदेशों में विशेष रूप से यूनान में व्यक्तित्व के प्रकारों पर प्राचीन काल से ही विचार किया जा चुका है। भारत में धार्मिक प्रवृत्ति के आधार पर तीन प्रकार का व्यक्तित्व बतलाया गया है।- (अ) सात्विकी, (ब) तामसी और (स) राजसी। जिसमें अच्छे गुण हों, जो धर्म की ओर उन्मुख हो, वह सात्विकी व्यक्तित्ववाला होता है। तामसी व्यक्तित्ववाला, लड़ाई-झगड़ा करने वाला वीर व युद्ध प्रेमी होता है। तामसी व्यक्तित्व उसका होता है जो आलसी है, धर्म न मानने वाला है और निष्कृष्ट ढंग से रहने वाला होता है। एक दूसरे ढंग से आयुर्वेदीय मतानुसार व्यक्तिव तीन प्रकार का कहा जाता है- (1) कफ प्रधान (2) पित्त प्रधान और (3) वात प्रधान। प्रथम प्रकार के लोग मोटे, शान्त और आलसी स्वभाव के होते हैं। पित्त प्रधान दुर्बल, शीघ्र काम करने वाला तथा उद्धत प्रकृति का होता है। वात प्रधान व्यक्ति चिड़चिड़ा, रोगी और न  दुर्बल न मोटा किन्तु मध्यम शरीर वाला होता है।

(2) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से- व्यक्तित्व का अध्ययन विभिन्न मनोवैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने किया है। साधारणतया व्यक्ति के व्यवहार के तीन पक्ष बतलाये गये हैं ज्ञानातरक, भावात्मक और क्रियात्मक। इन पक्षों को आधार बनाकर तीन प्रकार के व्यक्ति और उनके व्यक्तित्व भी कटे जाते हैं- (अ) विचार प्रधान (ब) भाव प्रधान तथा (स) क्रिया प्रधान

विचार प्रधान व्यक्तित्व- उनका होता है जो बहुत अधिक विचार में लगे होते हैं। जैसे शिक्षक, दार्शनिक, वैज्ञानिक, अन्वेषक, समाज सुधारक, प्रशासक आदि। भाव प्रधान व्यक्ति में मूल प्रवृत्तियों, संवेगों और स्थाय भावों की प्रबलता पायी जाती है। वे प्रसन्न, अप्रसन्न, उदास, चिड़चिड़े, अस्थिर भाव वाले हुआ करते हैं। क्रिया प्रधान व्यक्ति विभिन्न कार्यों में लगे रहते हैं जैसे व्यवसायी लोग डाक्टर, वकील, दुकानदार, नेता, अध्यापक, – खिलाड़ी, सैनिक, श्रमिक, उद्यमी तथा कर्मशील व्यक्ति। इन लोगों की ज्ञान की अपेक्षा क्रिया करने में अधिक रुचि होती है।

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( 3 ) शरीरिक दृष्टिकोण से- इसका विवरण इस प्रकार है-

  • (i) (अ) पुष्ट- सुगठित अंग, पुष्ट मांसपेशियां, चौड़ा कंधा, लम्बे हाथ-पैर तथा – सभी ढंग से मनोनुकूल समायोजन करने वाला।
  • (ब) दुबला पतला- लम्बा, दुबला पतला, संकीर्ण वक्ष, लम्बा पैर और चेहरा, लम्बाई अधिक और आयतन कम दूसरों का आलोचक, अपनी आलोचना पर बुरा मानना ।
  • (स) धनत्वक – नाटा कद, सटे हुए अंग, बड़ा धड़, छोटे हाथ-पैर, गोला कंधा और वक्ष, सीधा-सादा और लोकप्रिय ।
  • (द) विमूर्ति- बेमेल अंगोंवाला, असाधारण गठन, विकृत अंग-प्रत्यंग। –

(ii) डब्लू. एच. शेल्डन के अनुसार शरीर की विशेषताओं के आधार पर 3 प्रकार के व्यक्ति होते हैं-

  • (अ) गोल आकृतिवाले- शरीर कोमल और गोल, पाचक अंग अधिक विकसित, पेट और नितंब बड़ा।
  • (ब) आयत आकृतिवाले मांसपेशी और हड्डियों वाला, दृढ़, भारी शरीर, पतली चमड़ी, लम्बे पहलवान और सरकस वाले जैसे।
  • (स) लम्ब आकृतिवाले- लम्बे, नाजुक, अविकसित, मांसहीन, खाली हाड़वाले।

(iii) डब्लू. वारनर ने शारीरिक स्वास्थ्य और शारीरिक विकार के आधार पर कुछ प्रकार के व्यक्ति बतलाये हैं जो ये हैं –

  • (क) स्वास्थ्य जो खूब अच्छे स्वास्थ्य और शक्तिवाला होता है।
  • (ख) अपरिपुष्ट जो खूब खाने-पीने पर मोटा ताजा नहीं हो पाता है।
  • (ग) अविकसित जो उपयुक्त भोजन पाने पर भी स्वास्थ्य नहीं प्राप्त कर पाते हैं।
  • (घ) अंग-भंग जिनका कोई अंग नष्ट हो जाता है या वह अंगहीन या विकलांग होता है।
  • (ङ) स्नायु रोगी मस्तिष्क और स्नायु के रोगवाला।
  • (च) मिरगी रोगी जिन्हें मिरगी (बेहोशी) का रोग होता है।
  • (छ) सुस्त जिसका शरीर और मस्तिष्क अविकसित होता है, अतएव उनमें सुस्ती होती है।
  • (ज) पिछड़ा हुआ जिसका शरीर ठीक है, किन्तु बुद्धि कमजोर हैं।’
  • (झ) चुस्त जो बुद्धि का तेज, जिज्ञासु और शरीर स्वस्थ होता है।

( 4 ) भाव तथा स्वभाव के आधार पर- (1) मार्गन और गिलीलैंडने 4 प्रकार के व्यक्तित्व बताये हैं —

  • (अ) प्रफुल्ल- आशावादी, प्रसन्नचित जीवन के प्रति अच्छा दृष्टिकोण, गम्भीरता से कमी, कठिनाइयों में पड़ जाना, उदारतावाले व्यक्ति।
  • (ब) उदास – निराशावादी, दुखी, उदास मन, जीवन के प्रति दुखद दृष्टिकोण संवेगों के कारण उद्विपन होना, अस्वस्थ होना और रोगी व्यक्ति।
  • (स) चिड़चिड़ा शीघ्र रूष्ट होने वाला, झगड़ा करने वाला, शीघ्र दुखी होने वाला, चिड़चिड़ा, गर्म मिजाज, असंतुलन, दोष निकालने वाला, मुंह फुलाने वाला, मित्रों से लड़कर विमुख होने वाला आदि व्यक्ति।
  • (द) अस्थिर संवेगात्मक अस्थिरता, असंतुलन, विचार बदलने वाला, संवेगों से अधिक प्रभावित करने वाला, अधीर, दुखपूर्ण, कठिनाई न झेल सकने वाला व्यक्ति।

ई० क्रेश्मर ने स्वभाव के अनुसार दो प्रकार के व्यक्ति बतलाए है-

  • (अ) साइक्लॉयड शरीर में मोटा, स्वभाव में वस्तुवादी, मेल-जोलवाला, सामाजिक दृष्टिकोण वाला, सदा प्रसन्न रहने वाला, दूसरों के काम करने वाला व्यक्ति।
  • (आ) शीजवॉयड दुबला-पतला स्वार्थी और आत्म केन्द्रित, शांत स्वभाव, एकांत प्रिय, भावुक तथा संवेगशील व्यक्ति।

(5) सामाजिक भावना के आधार पर- ई. स्फ्रेंजर ने निम्नलिखित 6 प्रकार के व्यक्ति बतलाएं हैं:

(i) सैद्धांतिक भावन वाला- दार्शनिक, वैज्ञानिक और समाज सुधारक ।

(ii) अर्थ भावनावाला- व्यापारी और वाणिज्यवाले।

(iii) ऐन्द्रिक सुखवाला- कामी, लोभी, अविश्वासी, घूसखोर।

(vi) सामाजिक भावनावाला- मित्रों में रुचि रखने वाला, समाज में आंदोलन करने वाला, घूमने-फिरने वाला।

(v) राजनीतिक भावनावाला- दूसरों पर शासन करने की इच्छावाला, राजनीतिक – कामों में भाग लेनेवाला, नेता ।

(vi) धार्मिक भावनावाला- साधु, संत, फकीर, योगी, संन्यासी, पहुँचे हुए व्यक्ति दयालु, धर्मात्मा, धर्म प्रचारक व्यक्ति।

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2. विचार के आधार पर- ई० एल० थार्नडाइक ने विचार के आधार पर निम्न प्रकार के व्यक्ति बतलाएं हैं, जिनके नाम से ही उनकी विशेषता प्रकट होती है-

सी० जी० युङ्ग ने विचार तथा भाव को मिलाकर व्यक्तियों की दो प्रमुख श्रेणियां *बतलायी हैं किन्तु कुछ ऐसे होते हैं जो इनके बीच के होते हैं और उन्हें तीसरी श्रेणी में रखा ने तीन प्रकार के व्यक्ति बतलाये हैं।

(क) अन्तर्मुखी- आत्म केन्द्रित, स्वान्मुख, आत्मानन्द पाने वाला, एकान्त प्रिय, लज्जायुक्त भीड़ में घबड़ाने वाला, लोगों की दृष्टि से दूर रहनेवाला, सीधा-सादा, शांत स्वभाव वाला, कपटहीन, कर्तव्यपरायण, सत्यभाषी, मननशील, स्थिर रुढ़िवाली, हँसी मजाक, निन्दा और व्यर्थ की बातों में अरुचिवाला, अव्यवहारिक और असामाजिक भी, आगा-पीछा सोचने वाला, कठिन समस्याओं का डटकर मुकाबला करनेवाला, किताबी क्रीड़ा, वैज्ञानिक एवं दार्शनिक प्रवृत्ति का, अन्वेषण करने वाला, आदर्शवादी।

(ख) बहिर्मुखी- समाज अथवा वातावरण केन्द्रित, परांगमुख परोपकारी, बाह्य वातावरण में रहने वाला, भीड़ से न घबड़ाने वाला, कामकाजी, व्यवहारिक, यथार्थवादी, दिखावटी, विवादी, बातूनी, आत्मप्रशंसा से प्रसन्न, शीघ्र निर्णय करके काम करने वाला, वस्तुगत दृष्टिकोण वाला, जैसे व्यापारी, राजनीतिज्ञ, अभिनेता ।

(ग) उभयमुखी- उपर्युक्त दोनों गुणों को मिलाकर धारण करने वाला व्यक्ति, सभ्य, व्यवहारकुशल, उत्तरदायित्व लेने वाला और पूरा करने वाला, सभी को प्रसन्न करने वाला, समयानुसार काम करने वाला, विचारक तथा कर्मठ दोनों व्यक्तिगत तथा समाज का भी लाभ देखकर काम करने वाला, शुद्ध मन वाला परन्तु चुस्त इनकी चार श्रेणी होती है।

(1) संवेदनशील (2) विचारशील (3) अनुभूतिशील (4) मूलप्रवृत्ति प्रधान।

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Anjali Yadav

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