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शाखा खाता से आप क्या समझते हैं? इनके क्या उद्देश्य हैं। आश्रित शाखाओं को कितने प्रकार से विभाजित किया जा सकता है?
शाखा खाता का अर्थ
मुख्य कार्यालय एवं उसकी शाखाओं से सम्बन्धित खाते शाखा खाते कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, शाखा खाते के अन्तर्गत शाखाओं से सम्बन्धित व्यवहारों का उल्लेख प्रधान कार्यालय एवं शाखा कार्यालय की पुस्तकों में किया जाता है ताकि एक निश्चित अवधि में प्रत्येक शाखा की लाभ-हानि के साथ ही वित्तीय स्थिति ज्ञात की जा सके।
शाखा खाते के उद्देश्य (OBJECTIVES OF BRANCHACCOUNTS)
शाखा खाते के प्रमुख उद्देश्य निम्नांकित हैं :
- प्रत्येक शाखा की लाभ-हानि ज्ञात करना ।
- प्रत्येक शाखा के कार्यों पर नियंत्रण रखना।
- व्यवसाय की वास्तविक आर्थिक स्थिति ज्ञात करना ।
- प्रत्येक शाखा के लिए रोकड़ एवं वस्तुओं की व्यवस्था करना।
- प्रत्येक शाखा की कार्यक्षमता में वृद्धि करना।
(I) आश्रित शाखाएँ (Dependent Branches)- आश्रित शाखाएँ अपना कार्य मुख्य कार्यालय के अधीन व उसके आदेशानुसार करती हैं। इन शाखाओं में विक्रय किया जाने वाला माल मुख्य कार्यालय द्वारा या उनके आदेशानुसार प्राप्त किया जाता है तथा आवश्यक व्ययों का भुगतान मुख्य कार्यालय द्वारा या उनके आदेशानुसार किया जाता है।
सुविधानुसार आश्रित शाखाओं को निम्नानुसार विभाजित किया जा सकता है:
- केवल नकद विक्रय करने वाली आश्रित शाखाएँ,
- नकद एवं उधार विक्रय करने वाली आश्रित शाखाएँ,
- अंकित या विक्रय मूल्य पर माल प्राप्त करने वाली आश्रित शाखाएँ।
1. केवल नकद विक्रय करने वाली आश्रित शाखाएँ- ये शाखाएँ मुख्य कार्यालय से लागत मूल्य पर माल प्राप्त कर उनका विक्रय केवल नकद में ही करता हैं तथा विक्रय की राशि प्रति दिन स्थानीय बैंक में मुख्य कार्यालय के नाम से खोले गये खाते में जमा करती हैं या मुख्य कार्यालय को प्रेषित करती हैं। इन शाखाओं के सभी स्थायी व्ययों, जैसे, वेतन, किराया आदि का भुगतान मुख्य कार्यालय द्वारा ही किया जाता है। साथ ही अन्य छोटे व्ययों के लिए राशि मुख्य कार्यालय से ही प्राप्त होती है।
2. नकद एवं उधार विक्रय करने वाली आश्रित शाखाएँ- ये शाखाएँ मुख्य कार्यालय से माल लागत मूल्य पर प्राप्त कर उसका विक्रय नकद एवं उधार करती हैं, साथ ही नकद विक्रय की राशि प्रतिदिन स्थानीय बैंक में मुख्य कार्यालय के नाम से खोले गये खाते में जमा करती हैं या मुख्य कार्यालय को प्रेषित करती हैं। इन शाखाओं के सभी व्ययों का भुगतान मुख्य कार्यालय द्वारा होता है।
3. अंकित या विक्रय मूल्य पर माल प्राप्त करने वाली शाखाएँ- ये शाखाएँ मुख्य कार्यालय से माल लागत मूल्य पर प्राप्त न कर विक्रय मूल्य पर या अंकित मूल्य पर प्राप्त करती हैं तथा उनका विक्रय नकद एवं उधार करती हैं।
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