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शाखा खाते के स्टॉक एवं देनदार पद्धति का वर्णन कीजिए तथा नमूना दीजिए।
शाखा खाते के स्टॉक एवं देनदार पद्धति (Stock and Debtors Method of Branch Account) – इस पद्धति के अन्तर्गत कार्यालय की पुस्तकों में निम्न खाते बनाये जाते हैं-
1. शाखा सम्पत्ति खाता (Branch Assets Account) – शाखा की प्रत्येक सम्पत्ति के लिये प्रधान कार्यालय पृथक खाता खोलता है। उदाहरण के लिये शाखा रोकड़ खाता, शाखा देनदार खाता, शाखा फर्नीचर खाता, शाखा भवन खाता आदि ये सभी खाते साधारण तरीके से ही बनते हैं।
2. शाखा रहतिया या स्टॉक या स्कन्ध (Branch Stock Account) – यह खाता अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। इसके आधार पर हम स्टॉक में कमी (Shortage or Spoilage) या बढ़ोतरी (Surplus) ज्ञात करते हैं। हम खाते के डेबिट पक्ष में प्रारम्भिक रहतिया या स्टॉक या स्कन्ध, शाखा को भेजा गया माल तथा माल की विक्रय वापसी बीजक मूल्य पर और क्रेडिट पक्ष में बिक्री (उधार तथा नकद दोनों) शाखा से प्रधान कार्यालय को भेजे गये माल और अन्तिम रहतिया या स्टॉक को बीजक मूल्य पर लिखे जाते हैं। यदि क्रेडिट पक्ष अधिक हैं, तो रहतिया या स्टॉक में बढ़ोतरी (Surplus) और यदि डेबिट पक्ष अधिक हैं, तो रहतिया या स्टॉक में कमी (Shortage) निकल आती है। शाखा स्टॉक खाते में बढ़ोतरी डेबिट पक्ष में अथवा कमी को डिट पक्ष में लिखकर यह खाता बन्द कर दिया जाता है। कभी-कभी प्रश्न में अन्तिम रहतिया में या स्टॉक की कमी या बढ़ोतरी दे देते हैं, तो ऐसी स्थिति में बढ़ोतरी या कमी का लेखा करने के बाद इस खाते का शेष अन्तिम स्टॉक की धनराशि होगी।
3. शाखा व्यय खाता (Branch Expenses Account) – इस खाते के डेबिट पक्ष में समस्त व्यय, जैसे शाखा की सम्पत्ति पर ह्रास, अशोध्य ऋण, देनदारों को छूट वेतन, मजदूरी, कमीशन, किराया आदि दिखाये जाते हैं। इस खाते के द्वारा शाखा पर होने वाले व्ययों की जानकारी मिल जाती है। इस प्रकार के खातों को शाखा समायोजन खाते (Branch Adjustment Account) में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।
4. शाखा को भेजे माल का खाता (Goods Sent to Branch Account) – इस खाते के क्रेडिट पक्ष में शाखा को भेजा गया माल बीजक मूल्य पर लिखा जाता है। इसे बन्द करने के लिये भेजे गये माल के बीजक मूल्य में जो लाभ का अंश होता है। (Profit Element Included in Goods Supplied) । उसे इस खाते के डेबिट पक्ष में तथा शेष धनराशि को क्रय खाते (Purchase Account) या व्यापारिक खाते (Trading Account) में हस्तास्तरित कर दिया जाता है। शाखा से वापिस आये माल (Goods Returned by the Branch) की स्थिति में खाते के विपरीत पक्ष में लेखे किये जाते हैं।
5. शाखा देनदार खाता (Branch Debtor Account) – शाखाओं के देनदारों की अन्तिम बाकी निकालने हेतु यह खाता बनाया जाता है। इसके डेबिट पक्ष में (A) देनदारों की प्रारम्भिक बाकी, (B) उधार बिक्री, (C) अनादृत बिल लिखे जाते हैं और इसके क्रेडिट पक्ष में (A) देनदारों से प्राप्त राशि, (B) देनदारों द्वारा वापस किये गये माल का मूल्य (C) देनदारों को दिया गया भत्ता (Allowance), (D) देनदारों को दी गयी कटौती, (E) अप्राप्य तथा संदिग्ध ऋण, (F) प्राप्य बिल लिखे जाते हैं।
शाखा देनदार खाते का नमूना (Specimen of Branch Debtor Account)
Particular | Rs. | Particular | Rs. |
To Balance bidTo Credit Sales
To Bills Receivable dishonoured
|
By Cash
By Return Inward By Allowance By Discount By Bad & Doubtful Debts By Bills Receivable By Balanced |
Closing Balance |
6. रहतिया या स्टॉक संचय खाता (Stock Reserve Account) – शाखा पर अन्तिम या प्रारम्भिक रहतिये या स्टॉक में जो भी लाभ का अंश (Profit Element) होता है उससे शाखा समायोजन खाता डेबिट तथा यह खाता क्रेडिट किया जाता है। प्रारम्भिक रहतिया या स्टॉक पर जो भी संचय गत वर्ष बनाया गया हो, उसे भी शाखा समायोजन खाते में हस्तान्तरित कर दिया जाता है। इसके लिये यह खाता डेबिट तथा शाखा समायोजन खाता क्रेडिट किया जाता है।
7. शाखा समायोजन शाखा (Branch Adjustment Account)- यह खाता व्यापारिक तथा लाभ-हानि खाते के समान होता है और दो भागों में बनाया जाता है। प्रथम भाग के डेबिट पक्ष में अन्तिम रहतिये या स्टॉक का संचय तथा रहतिये या स्टॉक की कमी में लाभ का अंश तथा प्रथम भाग क्रेडिट पक्ष में शाखा पर भेजे गये माल रहतिये या स्टॉक की बढ़ोतरी तथा प्रारम्भिक रहतिये या स्टॉक में लाभ के अंश लिखे जाते हैं। शाखा समायोजन खाते के प्रथम भाग के शेष से कुल लाभ (Gross Profit) या कुल हानि (Gross Loss) ज्ञात होती है जिसे शाखा समायोजन खाते के द्वितीय भाग के विपरीत पक्ष में हस्तान्तरित कर देते हैं। शाखा समायोजन खते के द्वितीय भाग के डेबिट पक्ष में, शाखा व्यय खाते का शेष तथा रहतिये या स्टॉक की कमी (Shortage) की लागत का भाग और द्वितीय भाग के क्रेडिट पक्ष में कुल लाभ तथा स्टॉक की बढ़ोतरी (Surplus) है, उसे लिखते हैं। इस खाते का शेष शुद्ध लाभ (Net Profit) या शुद्ध हानि (Net Loss) होती है।
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