Contents
श्रम की गतिशीलता के कारण (Causes of Mobility of Labour)
श्रम की गतिशीलता को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं
(1) भौगोलिक गतिशीलता के कारण भौगोलिक गतिशीलता को विभिन्न कारण प्रोत्साहित करते हैं–(i) आर्थिक कारण- नौकरी करने या अधिक उन्नति के लिए श्रमिक एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान को जाना पसन्द करते हैं। उदाहरणार्थ, भारत में गांवों से बहुत से व्यक्ति नौकरी करने शहरों में चले जाते हैं। (ii) सामाजिक कारण- कभी-कभी किसी व्यक्ति को कोई अनैतिक या समाज विरोधी कार्य करने के कारण जाति-बिरादरी से निकाल दिया जाता है, जिस कारण वह उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चला जाता है। (iii) राजनीतिक कारण- कुछ व्यक्ति एक स्थान पर राजनीतिक अवसर प्राप्त न होने पर उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाते हैं। (iv) धार्मिक परिस्थितियाँ-कभी-कभी धार्मिक परिस्थितियाँ भी व्यक्तियों को एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर बसने के लिए विवश कर देती हैं, जैसे साम्प्रदायिक झगड़े।
(2) व्यावसायिक गतिशीलता के कारण श्रमिकों के एक व्यवसाय को छोड़कर दूसरे व्यवसाय में जाने के कई कारण होते हैं—(1) अधिक वेतन— यदि किसी श्रमिक को किसी अन्य व्यवसाय में अधिक मजदूरी या येतन मिलता है तो वह उस व्यवसाय में चला जाएगा। (ii) भविष्य में उन्नति की आशा- स्वभावतया श्रमिक को जिस व्यवसाय में उन्नति के अधिक अवसर प्राप्त होते है वह उसी व्यवसाय में जाना पसन्द करता है (iii) कार्य की सुरक्षा-जिस व्यवसाय में नौकरी की सुरक्षा अधिक होती है श्रमिक, उसी व्यवसाय में जाना पसन्द करता है। (iv) कार्य की अच्छी दशाएँ-जिस व्यवसाय में कार्य करने की दशाएँ (working (conditions) अपेक्षाकृत अच्छी होती है श्रमिक उसी की ओर आकर्षित होते हैं। (v) व्यवसाय का आकर्षण- कुछ व्यवसाय सम्मानजनक होते हैं जिस कारण अन्य व्यवसायों में संलग्न श्रमिक भी उनकी ओर आकर्षित होते हैं।
(3) वर्गीय गतिशीलता के कारण-समवर्गीय गतिशीलता के विभिन्न कारण होते हैं, जैसे व्यवसाय परिवर्तन की इच्छा, स्थान परिवर्तन की इच्छा आदि भिन्न वर्गीय गतिशीलता में पदोन्नति (promotion) तथा पदावनति (demotion) दोनों आते हैं। श्रमिक की योग्यता, ईमानदारी, अनुभव, शिक्षा, कर्तव्यपरायणता आदि उसकी पदोन्नति में सहायक होते हैं, जबकि असावधानी, कार्य-त्रुटि, उच्च अधिकारियों की जाज्ञाओं का उल्लंघन आदि के कारण या तो उसे नौकरी से हटा दिया जाता है या उसे निम्न स्तर का पद दे दिया जाता है।
श्रम की गतिशीलता में बाधाएँ (Hindrances in Mobility of Labour)
उत्पादन के जन्य उपादानों की अपेक्षा श्रमिक कम गतिशील होता है। इसलिए मार्शल ने लिखा है, “सभी वस्तुओं में मनुष्य ही एक ऐसा साधन है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान को ले लाना कठिन है। भारत में श्रम की गतिशीलता में बाधाएँ उत्पन्न करने वाले मुख्य तत्व निम्नलिखित है-
(1) स्थानीय तथा पारिवारिक मोह- प्रायः श्रमिकों को अपने परिवार, घर तथा स्थान से लगाव होता है जिस कारण वे अधिक वेतन का प्रलोभन दिए जाने पर भी किसी दूसरे स्थान पर जाना पसन्द नहीं करते हैं।
(2) सम्पत्ति तथा पैतृक व्यवसाय का मोह- श्रमिक प्रायः अपनी जमीन-जायदाद तथा पैतृक व्यवसाय को छोड़कर किसी अन्य स्थान को जाना पसन्द नहीं करता।
(3) भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, धर्म आदि में भिन्नता- भारत विभिन्नताओं (diversities) वाला देश है। देश के विभिन्न भागों में भाषा, वेश-भूषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज आदि में अत्यधिक विभिन्नताएँ पाई जाती है। इन विभिन्नताओं के कारण एक क्षेत्र का श्रमिक दूसरे क्षेत्र में जाकर बसने में हिचकिचाता है। उदाहरणार्थ, भाषा में अन्तर के कारण हरियाणा या उत्तर प्रदेश का श्रमिक तमिलनाडु में जाकर बसना पसन्द नहीं करता। भिन्न-भिन्न धार्मिक विचारों वाले श्रमिक भी आपस में आसानी से घुल-मिल नहीं पाते।
(4) जलवायु की भिन्नता– विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु की भिन्नता भी श्रमिकों की गतिशीलता में बाधक होती है। एक स्थान पर पर्याप्त समय तक रहकर श्रमिक अपने आपको वहाँ की जलवायु के अनुकूल दाल लेते हैं। नए स्थान की भिन्न जलवायु से श्रमिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
(5) आराम पसन्द स्वभाव- कुछ श्रमिक स्वभाव से आराम पसन्द होते हैं तथा स्थान परिवर्तन या व्यवसाय परिवर्तन के इच्छुक नहीं होते श्रमिकों की यह प्रवृत्ति उनकी गतिशीलता में बाधक होती है।
(6) श्रमिकों की निर्धनता- भारत में श्रमिक गरीब हैं। आने-जाने के व्यय को सहन न कर पाने के कारण श्रमिक आसानी से दूसरे स्थान को नहीं जा पाते। इसके अतिरिक्त, नए स्थान पर जाकर गृहस्थी बसाने पर काफी खर्चा होता है जिसे गरीब श्रमिक वहन नहीं कर पाते।
(7) परिवहन सुविधाओं की कमी-यदि किसी देश में परिवहन सुविधाओं का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है तो यहाँ श्रमिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान को आने-जाने में कठिनाई होगी तथा आने जाने की लागत भी अधिक आएगी। परिणामतः यहाँ श्रमिकों की गतिशीलता कम होगी।
(8) अज्ञानता तथा सामान्य शिक्षा की कमी-भारत जैसे अल्पविकसित देशों में श्रम को विभिन्न व्यवसायों तथा उनके स्थानों, परिस्थितियों तथा उनमें प्रचलित मजदूरी का बहुत कम ज्ञान है। इसके अतिरिक्त, श्रमिकों में सामान्य शिक्षा की कमी है। परिणामतः ऐसे देशों में श्रम की गतिशीलता कम होती है।
(9) व्यावसायिक शिक्षा की कमी- विभिन्न व्यवसायों सम्बन्धी तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण श्रमिक एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय में नहीं जा पाते। उदाहरणार्थ, अधिकांश भारतीय श्रमिक अकुशल है जिस कारण ये आसानी से अपने स्थान तथा व्यवसाय में परिवर्तन नहीं कर पाते।
(10) ऋणग्रस्तता-अधिकांश भारतीय श्रमिक ऋणग्रस्त होते हैं। उनके ऋणदाता उनका दूर जाना पसन्द नहीं करते।
(11) साहस तवा महत्त्वाकांक्षा का अभाव- अधिकांश भारतीय श्रमिक भाग्यवादी होते हैं जिस कारण वे एक व्यवसाय को छोड़कर दूसरे व्यवसाय में जाने को तैयार नहीं होते। फिर उनमें उन्नति करने की भावना प्रवल नहीं होती। परिणामतः उनमें कम गतिशीलता पाई जाती है।
(12) सरकारी नीति–कई बार लोग दूसरे देशों में जाना चाहते हैं किन्तु सरकार उन्हें अनुमति प्रदान नहीं करती। परिणामतः श्रमिक एक देश से दूसरे देश में नहीं जा पाते फिर विदेशी मुद्रा की कठिनाई के कारण भी श्रमिक गतिशील नहीं हो पाते।
IMPORTANT LINK
- मार्शल की परिभाषा की आलोचना (Criticism of Marshall’s Definition)
- अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ एवं उनके वर्ग
- रॉबिन्स की परिभाषा की विशेषताएँ (Characteristics of Robbins’ Definition)
- रॉबिन्स की परिभाषा की आलोचना (Criticism of Robbins’ Definition)
- धन सम्बन्धी परिभाषाएँ की आलोचना Criticism
- अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ Definitions of Economics
- आर्थिक तथा अनार्थिक क्रियाओं में भेद
- अर्थशास्त्र क्या है What is Economics
Disclaimer