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श्रम की गतिशीलता को प्रोत्साहित करने वाले कारक
आजकल श्रमिकों की गतिशीलता पहले की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ गई है। श्रम की गतिशीलता में वृद्धि करने में मुख्यतया ये कारक सहायक सिद्ध हुए हैं-(1) रोजगार दफ्तरों (Employment Exchanges) की स्थापना, (2) शिक्षा का प्रसार, (3) परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास तथा विस्तार (4) सामाजिक संगठन में परिवर्तन (5) देश का औद्योगिक विकास, (6) सुरक्षा और शान्ति में वृद्धि, (7) सामान्य तथा तकनीकी शिक्षा का प्रसार (8) सरकार द्वारा प्रोत्साहन (9) जनसंख्या में वृद्धि के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका कमाने के साधनों में कमी, (10) कारखाना-पद्धति का जन्म, (11) देशी तथा विदेशी व्यापार में वृद्धि (12) समाचारपत्र तथा पत्रिकाएं।
श्रम की गतिशीलता के लाभ (Advantages of Mobility of Labour)
(1) श्रमिकों को लाभ- श्रम की गतिशीलता का सबसे अधिक लाभ स्वयं श्रमिकों को मिलता है। गतिशीलता अधिक होने पर श्रमिक आसानी से उन व्यवसायों में जा सकते हैं जहाँ उन्हें अधिक मजदूरी या अधिक सुविधाएँ मिल सकती हैं, अथवा जहाँ उन्हें उन्नति के लिए अधिक अवसर उपलब्ध होते हैं।
(2) कुशलता में वृद्धि- गतिशीलता अधिक होने पर श्रमिकों को योग्यतानुसार काम मिल जाता है। इससे वे अपने काम को अधिक रुचि से करते हैं जिससे उनकी कुशलता बढ़ जाती है।
(3) श्रमिकों की माँग व पूर्ति में सन्तुलन- जिन स्थानों या व्यवसायों में श्रमिकों की पूर्ति अधिक होती है वहाँ से फालतू श्रमिक उन स्थानों या व्यवसायों में चले जाते हैं जहाँ उनकी मांग होती है। इस प्रकार श्रमिकों की माँग व पूर्ति में सन्तुलन स्थापित हो जाता है जिससे देश में बेकारी घटती है तथा राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है।
(4) श्रमिकों का कम शोषण- यदि किसी व्यवसाय में श्रमिकों को कम मजदूरी मिल पाती है तो वे उस व्यवसाय को छोड़कर अन्य ऐसे व्यवसाय में जा सकते हैं जहाँ उन्हें उचित मजदूरी मिल सकती है।
(5) अधिक तथा उत्तम उत्पादन- श्रमिकों को उनकी रूचि तथा योग्यता के अनुसार काम मिल जाने पर देश में वस्तुओं उत्पादन न केवल बढ़ जाता है बल्कि वस्तुएँ भी अच्छी किस्म की तैयार की जाती हैं।
(6) जनसंख्या के घनत्व का कम होना-श्रम की गतिशीलता जनसंख्या के अधिक घनत्व की समस्या को हल करने में सहायक होती है। देश के जिन भागों में जनसंख्या अधिक होती है वह यहाँ से उन भागों (क्षेत्रों में जा सकती है जहाँ पर जनसंख्या कम है। इससे जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण में समानता आती है।
(7) प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग-जिन देशों में प्राकृतिक संसाधनों की तो अधिकता है किन्तु श्रमिकों की कमी है. दे विदेशों से श्रमिकों को बुलाकर अपने प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग कर सकते हैं।
(8) सामाजिक समानता को बल-श्रम की अधिक गतिशीलता के कारण विभिन्न धर्मों तथा जातियों के लोग आपस में मिलते-जुलते हैं जिससे सामाजिक समानता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
(9) सांस्कृतिक सम्बन्ध- अन्तर्राष्ट्रीय गतिशीलता के फलस्वरूप विभिन्न देशों के लोग एक दूसरे के सम्पर्क में आते हैं. जिससे विभिन्न देशों के मध्य सामाजिक तथा सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं।
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