कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता (Efficiency of Labour)

श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता (Efficiency of Labour)
श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता (Efficiency of Labour)

श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता (Efficiency of Labour)

“समान परिस्थितियों तथा निश्चित समय में श्रमिक के अधिक तथा बढ़िया उत्पादन करने के गुण को श्रम की कार्यकुशलता कहते हैं|”

-हार्वे

श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता का अर्थ

श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता से अभिप्राय किसी श्रमिक की कार्य करने की शक्ति से है। दूसरे शब्दों में, एक निश्चित समय तथा दी हुई दशाओं में एक श्रमिक की मात्रा तथा किस्म की दृष्टि से, वस्तुओं के उत्पादन करने की शक्ति को श्रम की दक्षता या कार्यकुशलता कहते हैं। श्रम की कार्यक्षमता का अनुमान दो श्रमिकों की कार्य करने की शक्तियों की परस्पर तुलना करके ही लगाया जा सकता है। अतः एक निश्चित समय तथा दी हुई समान परिस्थितियों में एक श्रमिक द्वारा दूसरे श्रमिक की तुलना में मात्रा में अधिक तथा गुण में अच्छी वस्तु का उत्पादन करने की शक्ति एवं योग्यता को ‘श्रम की कार्यक्षमता कहते हैं।

परिभाषाएं (Definitions)– श्रम की कार्यक्षमता (कार्यकुशलता) की कुछ परिभाषाएँ नीचे प्रस्तुत हैं

(1) हार्वे (Harvey) के अनुसार, “समान परिस्थितियों तथा निश्चित समय में श्रमिक के अधिक तथा बढ़िया उत्पादन करने के गुण को श्रम की कार्यकुशलता कहते हैं।”

(2) टी० एच० पेन्सन के विचार में, “श्रम की कार्यक्षमता से आशय, निश्चित समय तथा दी गई परिस्थितियों में एक श्रमिक की अधिक मात्रा में अथवा अच्छी किस्म की वस्तुओं का उत्पादन करने की योग्यता से है।”

(3) प्रो० आर० सी० सक्सेना के शब्दों में, “श्रम की कार्यक्षमता से अभिप्राय एक श्रमिक की एक निश्चित समय में अधिक तथा अच्छा कार्य करने की क्षमता से है।

“श्रम की कार्यकुशलता’ के अर्थ के सम्बन्ध में निम्न दो बातें ध्यान देने योग्य है—

(1) सापेक्ष अवधारणा- ‘कार्यकुशलता’ एक सापेक्ष अवधारणा (relative term) है। हम किसी श्रमिक की कार्यदक्षता या कार्यकुशलता को तभी मालूम कर सकते हैं जबकि हम उसकी कार्यक्षमता की तुलना किसी दूसरे श्रमिक की कर्यक्षमता से करते हैं, अर्थात् दो श्रमिकों की कार्यशक्ति की तुलना किए बिना कार्यदक्षता को मापा नहीं जा सकता।

(2) उत्पादन की मात्रा तथा किस्म- श्रमिकों की कार्यकुशलता उत्पादन की मात्रा’ तथा ‘उत्पादन की किस्म इन दोनों पर निर्भर करती है। इसलिए कार्यकुशलता को मापते समय उत्पादन की मात्रा तथा किस्म दोनों को ध्यान में रखा जाता है। यदि एक निश्चित समय तथा समान परिस्थितियों में एक श्रमिक किसी दूसरे श्रमिक की तुलना में अधिक मात्रा में समान गुण (quality) की वस्तुएँ तैयार करता है तो पहला श्रमिक दूसरे श्रमिक की तुलना में अधिक कार्यकुशल हुआ।

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Anjali Yadav

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