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सामाजिक संगठन का क्या अर्थ है ? What is meant by social organization?

सामाजिक संगठन का क्या अर्थ है ? What is meant by social organization?
सामाजिक संगठन का क्या अर्थ है ? What is meant by social organization?

सामाजिक संगठन का क्या अर्थ है? 

मनुष्य के सामाजिक जीवन में अनेक प्रकार के पारस्परिक सम्बन्ध पाये जाते हैं। यह सम्बन्ध सूक्ष्म, कोमल परन्तु जटिल होते हैं। इन्हें किसी भी प्रकार के बन्धनों में बाँधना सामाजिक जीवन की दृष्टि से उपयोगी हो सकता है। संगठन समाज का मूल आधार है। किसी भी समाज में जब संगठन का सन्तुलन ढीला हो जाता है तो उस समय में विघटन जैसी प्रक्रियाएँ तीव्र हो जाती हैं। संगठन राज्य से विभिन्न अंगों के कार्यात्मक सन्तुलन का बोध होता है। लापियरी और फ्रांसवर्थ (1949) के शब्दों में, “संगठन कार्यात्मक सन्तुलन की उच्च मात्रा की ओर निर्देश करने वाला समझा जाता है। ” संगठन की परिभाषा और अर्थ समझने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि संगठन का समाजशास्त्र, औद्योगिक मनोविज्ञान, व्यावसायिक मनोविज्ञान, राजनीति आदि में छिन्न-भिन्न अर्थ है।

सामाजिक संगठन का अर्थ (Meaning of Social Organisation)

1. आइजनेक और उनके साथियों (1972) के अनुसार, “संगठन का अर्थ किसी संरचित सम्पूर्णता से है अथवा किसी गतिशील और (परस्पर) क्रियाशील व्यवस्था (System) से है।” (Any structured whole or dynamically ( inter) active system.)

2. क्रेच और क्रेचफील्ड (1953) के अनुसार, “सामाजिक संगठन परस्पर सम्बन्धित और एकीकरण करने वाली मनोवैज्ञानिक समूहों की वह व्यवस्था (System) है, जो कथित उद्देश्यों की सफलतापूर्वक पूर्ति के लिए बनते हैं।” (A social organization is an inter-related integrated system of psychological group formed to accomplish a stated objective.)

उपुर्यक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि सामाजिक संगठन समूहों की सम्बन्धित और एकीकरण करने वाली वह व्यवस्था है, जिसमें उद्देश्यों की सफलतापूर्वक पूर्ति होती है या वह संरचित सम्पूर्णता है अथवा गतिशील (परस्पर) क्रियाशील व्यवस्था (System) है। आगवर्न और निमकॉफ (1957) के अनुसार, “किसी कार्य को करने की प्रभावपूर्ण समूह प्रविधि (Device) है।” यह देखा गया है कि समूहों का निर्माण किसी न किसी उद्देश्य के लिए होता है। समूहों के इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न संगठनों का गठन किया जाता है। एक संगठन के लोग यह विश्वास करते हैं कि वे संगठन की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील हैं। सामाजिक संगठनों की अनेक विशेषताएँ हैं, इनमें से कुछ विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं-

  1. सामाजिक संगठन का निर्माण व्यक्तियों से होता है अथवा सामाजिक संगठन के लिए व्यक्ति आवश्यक है।
  2. एक सामाजिक संगठन के व्यक्तियों के बीच मानवीय अन्तःक्रियाओं का होना आवश्यक है।
  3. प्रत्येक सामाजिक संगठन के उद्देश्यों की सफलतापूर्वक पूर्ति के लिए आवश्यक है कि संगठन के सदस्यों पर सामाजिक या सामूहिक नियन्त्रण हो ।
  4. सामाजिक संगठन के लिए यह भी आवश्यक है कि इनका निर्माण उन्हीं सदस्यों द्वारा होता है, जिन्हें अपनी स्थिति का ज्ञान होता है तथा जिनमें संगठन के कार्यों को करने की तत्परता होती है।
  5. सामाजिक संगठन एक गतिशील और परस्पर क्रियाशील व्यवस्था है।
  6. सामाजिक संगठन एकीकरण करने वाली व्यवस्था है।
  7. प्रत्येक सामाजिक संगठन का निर्माण कुछ कथित उद्देश्यों की सफलतापूर्वक पूर्ति के लिए होता है।
  8. कोई सामाजिक संगठन तभी स्थिर रहता है अथवा एक सामाजिक संगठन का निर्माण तभी होता है, जब कुछ सदस्यों के मत में एकता हो ।

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Anjali Yadav

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