व्यावसायिक निर्देशन के क्या उद्देश्य हैं ? विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
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व्यावसायिक निर्देशन के उद्देश्य (Aims of Vocational Guidance)
मूल रूप से व्यावसायिक निर्देशन का उद्देश्य व्यक्ति को उपयुक्त व्यवसाय में लगाने के लिए सहायता प्रदान करता है, इसी प्रकार किसी व्यवसाय के लिए उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप उपयुक्त व्यक्ति को ढूंढ़ना भी व्यावसायिक निर्देशन का कार्य है, किन्तु जोन्स ने व्यावसायिक निर्देशन के उद्देश्यों की सूची निम्नलिखित प्रकार से दी है-
1. विद्यार्थियों को उन व्यवसाय समूहों की विशेषताओं, कार्यों, कर्तव्यों और पुरस्कारों से अवगत कराना, जिनसे उसे अपने व्यवसाय का चयन करना है।
2. उसे यह पता लगाने में सहायता देना कि विचाराधीन व्यवसाय समूह के लिए किन विशिष्ट योग्यताओं तथा चातुर्यो (Skills) की आवश्यकता है और उक्त व्यवसाय में प्रवेशार्थ कितनी उम्र, कितनी तैयारी और किस लिंग (पुरुष अथवा स्त्री) की अपेक्षा है।
3. विद्यालय के भीतर तथा बाहर विद्यार्थी को ऐसे अनुभव प्राप्त कराना, जिनसे उसे ऐसी सूचना मिले कि किसी व्यवसाय की क्या परिस्थितियाँ हैं, जिनके योग्य उसे अपने को बनाना है।
4. व्यक्ति को ऐसे दृष्टिकोण के विकास में सहायता प्रदान करना कि ईमानदारी का फल उत्तम होता है और किसी भी व्यवसाय के चयन के प्रमुख आधार निम्न हैं-
- (a) व्यक्ति समाज की क्या सेवा कर सकता है ?
- (b) व्यवसाय में उसे कितनी सन्तुष्टि मिलती है ?
- (c) व्यवसाय के लिए किस प्रकार के मनकोण की अपेक्षा होती है ?
5. व्यक्ति को व्यावसायिक सूचना के विश्लेषण की विधि से परिचित करने में सहायता प्रदान करना तथा व्यवसाय के चयन सम्बन्धी अन्तिम निर्णय लेने के पूर्व इन सूचनाओं का विश्लेषण करने की आदत का विकास करना।
6. ऐसी सहायता प्रदान करना कि व्यक्ति अपनी विशिष्ट तथा व्यापक योग्यताओं, रुचियों तथा क्षमताओं के विषय में अपेक्षित जानकारी प्राप्त कर सके।
7. आर्थिक दृष्टि से पिछड़े बालकों की विभिन्न प्रकार को आर्थिक सहायता प्रदान करना, जिससे वे अपनी व्यावसायिक योजनाओं के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें।
8. विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधाओं, उनमें प्रवेश के नियमों, प्रशिक्षण की अवधि तथा प्रशिक्षण के निमित्त अपेक्षित धन के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सहायता प्रदान करना।
9. जिस व्यवसाय में व्यक्ति लगा है, उससे समायोजन स्थापित करने, किसी व्यवसाय तथा अन्य व्यवसाय में लगे अन्य कार्यकर्ताओं से सम्बन्ध स्थापित करने में सहायता प्रदान करना।
10. विद्यार्थियों को इस विषय में विश्वसनीय सूचनायें प्रदान करना एक अपना भाग्य जानने तथा सुधारने के लिए विभिन्न अवैज्ञानिक विधियों, इसे हस्तरेखा विज्ञान आदि कितने अनुपयुक्त हैं तथा उसकी अपेक्षा विशेषज्ञों द्वारा परामर्श करके वैज्ञानिक विधियों का अनुसरण कितना लाभदायक है।
को तथा क्रो ने अपनी पुस्तक में व्यावसायिक निर्देशन के निम्न उद्देश्यों का उल्लेख किया है-
1. विद्यार्थी जिन व्यवसायों का चयन करते हैं, उनके कार्य, कर्त्तव्य तथा उत्तरदायित्वों से उन्हें अवगत कराना।
2. स्वयं अपनी योग्यताओं इत्यादि का पता लगाने में विद्यार्थी की सहायता करना तथा विचाराधीन व्यवसाय से उनका सामंजस्य स्थापित कराना।
3. स्वयं को अपने तथा समाज के हित की दृष्टि से विद्यार्थी की योग्यता तथा रुचियों का मूल्यांकन करना।
4. कार्य के प्रति ऐसे दृष्टिकोण के विकास में विद्यार्थी की सहायता करना कि वह जिस प्रकार के भी व्यवसाय प्रवेश लेना चाहे, उसका मान बढ़ाये।
5. विद्यालय शिक्षण के विभिन्न क्षेत्रों में इस बात का अवसर प्रदान करना कि विद्यार्थी को विभिन्न प्रकार के कार्यों का अनुभव प्राप्त हो सके।
6. विद्यार्थी को आलोचनात्मक दृष्टि से विभिन्न प्रकार के व्यवसाय पर विचार करने में सहायता प्रदान करना और प्राप्त व्यावसायिक सूचनाओं के विश्लेषण की विधि सिखाना।
7. मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना, जो उनके तथा समाज के हित में सर्वोत्तम समायोजन स्थापित करने में सहायता दे।
8. विद्यार्थी में शिक्षकों तथा अन्य निर्देशन कार्यकर्ताओं के प्रति विश्वास उत्पन्न करना, जिससे वे उनसे अपनी समस्याओं पर विचार-विमर्श करने में उत्साहित हों।
9. विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं द्वारा जो व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है, उसके विषय में आवश्यक सूचनायें प्राप्त करने में विद्यार्थी की सहायता करना।
10. उच्चतर शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश की शर्तों, प्रशिक्षण की अवधि तथा व्यय आदि के विषय में सूचनायें प्रदान करना ।
11. विद्यालय शिक्षण की अवधि में ऐसी सहायता देना कि व्यक्ति आगे चलकर अपने कार्य की परिस्थितियों तथा अन्य कार्यकर्ताओं में समायोजन स्थापित कर सके।
व्यावसायिक निर्देशन का क्षेत्र (Scope of Vocational Guidance)
व्यावसायिक निर्देशन का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है, क्योंकि इसके अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत व्यक्ति तथा व्यवसाय प्रमुख रूप से आते हैं। व्यक्ति के अध्ययन के सम्बन्ध में मानव सम्बन्धी सभी शास्त्रों का सम्पर्क व्यावसायिक निर्देशन से होता है। मनुष्य की व्यवसाय के प्रति विभिन्न रुचियों, दृष्टिकोणों, मनोभावों, बुद्धि और योग्यता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक निर्देशन मनोविज्ञान से सम्पर्क स्थापित करता है। मनुष्य के मनोभाव तथा उसकी जीवन पद्धति का कोई न कोई दार्शनिक आधार होता है। व्यावसायिक निर्देशन मनुष्य की प्रकृति, उसका स्वभाव और व्यक्तित्व पहचानने के लिए दर्शन शास्त्र का सहारा लेता है। दर्शन शास्त्र की आधारशिला पर ही मानवीय विद्वानों तथा शास्त्रों का प्रसाद खड़ा है। इसलिए व्यावसायिक निर्देशन तथा दर्शन शास्त्र का घनिष्ठ सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र तथा शिक्षा शास्त्र जैसे विषय भी व्यावसायिक निर्देशन के अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं, क्योंकि मानव जीवन से इन शास्त्रों का निकट सम्बन्ध है।
जहाँ तक व्यवसाय का प्रश्न है, इसका अध्ययन व्यावसायिक निर्देशन विज्ञान के माध्यम से करता है।
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