टेलर तथा फेयोल दोनों की प्रबन्धकीय विचारों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये । Make a comparative study of the main ideas of Taylor and Fayol.
“टेलर और फेयोल के सिद्धान्तों का तुलनात्मक अध्ययन (Taylor and Fayol-A Comparative Study)
प्रबन्ध के क्षेत्र में टेलर और फेयोल दोनों ही बड़े स्तम्भ और कर्मयोगी माने जाते हैं। टेलर को वैज्ञानिक प्रबन्ध का प्रतिपादक तथा फेयोल को आधुनिक प्रबन्ध का पिता कहा जाता है। दोनों ही कर्मयोगियों ने अपने-अपने योगदान से प्रबन्ध शास्त्र को अधिक से अधिक धनी बनाने का प्रयत्न किया है। टेलर के कार्य का केन्द्र बिन्दु श्रमिक और उनकी कार्यकुशलता थी जबकि फेयोल के कार्य का कार्यक्षेत्र उच्चस्तरीय प्रबन्ध था। इस सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि दोनों ही प्रबन्धशास्त्रियों की विचारधाराएँ पृथक्-पृथक् हैं। लेकिन इस सन्दर्भ में स्वयं फेयोल द्वारा दिया गया यह स्पष्टीकरण कम महत्वपूर्ण नहीं हैं कि टेलर से उनका कोई विरोधाभास नहीं है और टेलर का कार्य उनके कार्य का पूरक हैं। थियो हैमेन के अनुसार दोनों के कार्यों में अन्तर ढूँढना आवश्यक है क्योंकि दोनों ही विद्वानों ने प्रबन्ध की समस्याओं के समाधान में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया है।
समानताएँ (Similarities) –
यद्यपि टेलर और फेयोल दोनों ने विभिन्न परिस्थितियों में अपना जीवन प्रारम्भ किया, लेकिन दोनों ही चोटी के प्रबन्ध विशेषज्ञ माने जाते हैं। इन दोनों के कार्यों में निम्नलिखित समानताएँ पायी जाती हैं-
(1) टेलर और फेयोल दोनों ही विद्वानों का उद्देश्य प्रबन्ध की बुराइयों को दूर करना था और दोनों ने ही इस दिशा में सराहनीय कार्य किया है।
(2) दोनों ही विद्वानों ने इस बात का प्रतिपादन किया कि श्रम के साथ मानवीय, उचित एवं न्यायपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए, क्योंकि श्रम उत्पादन का सजीव सक्रिय साधन है और उसकी सन्तुष्टि अत्यन्त आवश्यक है।
(3) दोनों ही प्रबन्ध विशेषज्ञों ने अपने-अपने ढंग से प्रबन्ध के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया।
(4) दोनों ही विशेषज्ञों के अनुभवों की छाप प्रबन्ध के क्षेत्र में है।
(5) आधुनिक प्रबन्ध की विचारधारा को दोनों ही विद्वानों से प्रेरणा मिली हैं।
असमानताएँ (Dissimilarities) –
यद्यपि टेलर और फेयोल के विचारों में अनेक समानताएँ है, लेकिन फिर भी इन दोनों के विचारों में अग्रलिखित असमानताएँ हैं-
(1) टेलर के अध्ययन का केन्द्र-बिन्दु श्रमिक था क्योंकि उसने अपना जीवन एक श्रमिक के रूप में आरम्भ किया था जबकि फेयोल ने अपना जीवन एक बड़े अधिकारी के रूप में आरम्भ किया था इसलिए उनके अध्ययन का केन्द्र बिन्दु प्रबन्ध था ।
(2) टेलर को ‘कुशलता विशेषज्ञ’ माना जाता है क्योंकि उन्होंने श्रमिकों की कार्य-कुशलता बढ़ाने के सम्बन्ध में प्रयोग किए जैसे समय अध्ययन, गति अध्ययन, थकान अध्ययन आदि जबकि फेयोल को प्रबन्ध विशेषज्ञ माना जाता है क्योंकि उन्होने प्रबन्ध की कार्यकुशलता को बढ़ाने सम्बन्धी सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।
(3) टेलर ने कारखाना प्रबन्ध और उत्पादन के इन्जीनियरिंग पहलू के अध्ययन की अधिक महत्वपूर्ण माना है जबकि फेयोल ने प्रबन्ध के कार्यों को अधिक महत्वपूर्ण माना है।
(4) वर्तमान परिस्थितियों में टेलर के सिद्धान्त बहुत अधिक बदल चुके हैं जबकि फेयोल के सिद्धान्त आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने वे उस समय थे, जब उनका प्रतिपादन किया गया था।
प्रबन्ध विशेषज्ञ एल॰ उर्विक ने दोनों ही विद्वानों के सिद्धान्तों को एक-दूसरे के पूरक माना है, क्योंकि दोनों ही विद्वान इस विषय पर एकमत थे कि प्रबन्ध के सभी स्तरों पर कर्मचारी एवं उनकी समस्याएँ विशेष महत्वपूर्ण हैं।
इसी सन्दर्भ में थियो हैमेन का यह कथन उल्लेखनीय है कि जब हम टेलर को वैज्ञानिक प्रबन्ध का जन्मदाता मानते हैं जो फेयोल के साथ न्याय करने के लिए उन्हें हमें प्रबन्ध के सिद्धान्तों का जन्मदाता मानना चाहिए।”
यहाँ इस बात का उल्लेख करना भी आवश्यक है कि आधुनिक परिवर्तनों के कारण टेलर की विचारधारा में बहुत अधिक परिवर्तन हो गया है जबकि फेयोल के सिद्धान्त आज भी जटिल हैं।
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