Commerce Notes

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की प्रक्रिया | Process of Management by Objectives in Hindi

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की प्रक्रिया | Process of Management by Objectives in Hindi
उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की प्रक्रिया | Process of Management by Objectives in Hindi

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की प्रक्रिया (Process of Management by Objectives)

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध, जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, इसमें प्रबन्ध के उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है। उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध की प्रक्रिया का क्रम इस प्रकार हैं-

(1) उपक्रम के उद्देश्य का निर्धारण— उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध के अन्तर्गत सबसे पहले उपक्रम के सामान्य उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। सामान्यत उद्देश्य निर्धारित करने के पश्चात् उपक्रम के दीर्घकालीन तथा अल्पकालीन उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। इन उद्देश्यों को निर्धारित करते समय बड़ी सावधानी से काम लिया जाता है। यही कारण है कि उपक्रम के उद्देश्य उच्च प्रबन्ध (Top Management) द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।

(2) इकाइयों के उद्देश्य- उपक्रम के उद्देश्यों का निर्धारण होने के पश्चात् अलग-अलग इकाइयों के उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। इकाइयों के उद्देश्यों का निर्धारण उनकी क्रियाओं (Functional) के आधार पर किया जाता है। साथ ही इकाइयों के उद्देश्यों का निर्धारण उपक्रम के मूलभूत उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है। इकाइयों के उद्देश्य ऐसे होने चाहिए जिन्हें निर्धारित अवधि में उपलब्ध साधनों के सन्दर्भ में प्राप्त करना सम्भव हो । इकाइयों के उद्देश्यों का प्रदर्शन इस प्रकार से किया जाना चाहिए ताकि यह पता लग जाय कि वे उपक्रम के उद्देश्यों के निष्पादन में प्रभावशाली ढंग से योगदान दे रहा हैं। इकाइयों के उद्देश्य अधिक-से-अधिक स्पष्ट होने चाहिए।

(3) व्यक्तिगत अथवा प्रबन्धकों के लक्ष्य – उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध प्रक्रिया में उठाया जाने वाला तीसरा कदम प्रत्येक प्रबन्धक के लिए अलग-अलग लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है। ये लक्ष्य उपक्रम के उद्देश्यों को दृष्टि में रखकर निर्धारित किये जाते हैं। प्रत्येक प्रबन्धक को यह ज्ञात रहना चाहिए कि उसे निर्धारित अवधि मैं कितना निष्पादन करना है। प्रबन्धकों के लिए उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का निर्धारण इस प्रकार से किया जाय कि उनके द्वारा किया जाने वाला प्रत्येक कार्य उपक्रम के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्त्वपूर्ण ढंग से योगदान देता हो । प्रबन्धकों के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का अन्तिम अनुमोदन का अधिकार प्रवराधिकारी का होता है। लक्ष्य तथा उद्देश्य का निर्धारण एवं अनुमोदन क्रम में सम्बन्धित प्रबन्धक की उसके उच्चाधिकारियों से समय-समय पर बैठकों की व्यवस्था करना आवश्यक है। लक्ष्य एवं उद्देश्य निर्धारण में लचीलापन आवश्यक है ताकि बदलती हुई परिस्थितियों में इन लक्ष्यों एवं उद्देश्यों में आवश्यकातनुसार परिवर्तन किया जा सके।

(4) लक्ष्यों तथा उद्देश्यों एवं परिणामों का पुनरावलोकन – एक निर्धारित अवधि के पश्चात् लक्ष्यों, उद्देश्यों एवं निष्पादन के परिणामों का पुनरावलोकन किया जाता है। यह कार्य निश्चित प्रमापों के सन्दर्भ में किया जाता है। यदि किसी स्थान पर विचलन न हो तो उच्चधिकारी द्वारा उसका पता लगाकर तुरन्त सुधारात्मक कदम उठाया जाता है।

IMPORTANT LINK…

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment