हिन्दी साहित्य

संक्षेपण से आप क्या समझते हैं? संक्षेपण की विशेषताएँ

संक्षेपण से आप क्या समझते हैं? संक्षेपण की विशेषताएँ
संक्षेपण से आप क्या समझते हैं? संक्षेपण की विशेषताएँ

संक्षेपण से आप क्या समझते हैं? संक्षेपण की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

संक्षेपण (Precise )

संक्षेपण का अभिप्राय- संक्षेपण का सरल अर्थ है-संक्षेप करना या छोटा करना । अर्थात संक्षेपण वह प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत लम्बे वक्तव्य, लम्बे लेख, किसी लम्बे समाचार आदि को छोटा किया जाये। लेकिन शर्त यह है कि उक्त अंश का भाव नष्ट न हो पाये।

संक्षेपण को अंग्रेजी में ‘Precis Writing’ कहते हैं। जिसे Precis (प्रेसी) भी कहते हैं। Precis शब्द मूलतः फ्रेन्च भाषा का शब्द है जिसका सम्बन्ध अंग्रेजी भाषा के शब्द प्रिसाइज (Precise) से है। प्रिसाइज शब्द का अर्थ है- संक्षिप्त करना।

परिभाषा –

(1) जे.बी०सी० बर्नाड के अनुसार- “संक्षेपण किसी लिखित सामग्री के आधारभूत तथ्यों का सुनियोजित संक्षिप्त इतिवृत्त हैं।”

(2) प्रो० नलिनी मोहन शर्मा के अनुसार- “संक्षिपीकरण को हम किसी बड़े ग्रन्थ का संक्षिप्त संस्करण, बड़ी मूर्ति का लघु अंकन और बड़े चित्र का छोटा चित्रण कह सकते हैं।’

(3) “In fact, a Precis is just a straight forward statement of the lease facts without any unnecessary trimmings. To make a precis of a given passage is to extract its main points, and to express them as clearly and in as few words as possible” -Collins

(4) “A Precis is a systematically and scientifically abbreviated form of any written or spoken matter.”

संक्षेपण के विषय में दी गयी परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि किसी विस्तृत विवरण, व्याख्या, वक्तव्य पत्र व्यवहार, लेख के मूल तथ्यों और निर्देशों का इस प्रकार से संयोजन करना कि उसमें अप्रासंगिक, अनावश्यक अनुपयोगी तथ्यों को त्यागकर उसे प्रवाहपूर्ण और संक्षिप्त ढंग से प्रस्तुत करना संक्षेपण या संक्षिप्तीकरण है।

संक्षेपण की विशेषताएं

संक्षेपण एक कला है। एक आदर्श संक्षेपण की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है—

(1) पूर्णता- संक्षेपण एक स्वतः पूर्ण रचना है। संक्षेपण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई बात, जो अति महत्वपूर्ण हो छूट न जाये। मूल सन्दर्भ की आवश्यक- अनावश्यक बातों का चुनाव बड़ी सतर्कता से करना चाहिए जो विशेष अभ्यास-साध्य है। संक्षेपण में जहाँ इस बात का ध्यान रखा जाता है कि मूल सन्दर्भ की कोई प्रमुख बात छूटने न पाये, वहीं इस बात का ध्यान रखने की भी आवश्यकता होती है कि संक्षेपण में उल्लेख भी उन्हीं बातों का हो जो मूल सन्दर्भ में प्रस्तुत की गई हैं। अपनी ओर कोई बात न जोड़ी जाय। एक बात और है मूल सन्दर्भ में जिस बात पर बल दिया गया हो, संक्षेपण में भी उस बात पर उसी अनुपात में बल दिया जाये अन्यथा मूल सन्दर्भ के संक्षेपण के उद्देश्य की क्षति हो जायेगी।

( 2 ) संक्षिप्तता – जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि संक्षिप्तता संक्षेपण का प्राण-तत्व है। संक्षेपण मूल का प्रायः तृतीयांश होना चाहिए। संक्षेपण में व्यर्थ के विशेषण, अलंकार, दृष्टांत, उद्धरण, व्याख्या और वर्णन नहीं होने चाहिये, साथ ही बड़े शब्दों और लम्बे वाक्यों के स्थान पर छोटे-छोटे शब्दों और वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि संक्षेपण के लिये शब्द-सीमा निर्धारण कर दी गयी हो तो उसी के भीतर संक्षेपण करना चाहिए किन्तु इसका सदा ध्यान रहे कि कोई मुख्य बात छूट न जाये।

( 3 ) सुस्पष्टता- संक्षेपण किसी बात को संक्षेप में समझने-समझाने के लिए किया जाता है। अतः यह ध्यान रखना चाहिए कि सामाजिकता के व्यामोह में कहीं गूढोक्तियों का प्रयोग न होने लगे जिनकी व्याख्या या स्पष्टीकरण की आवश्यकता पड़े। सुस्पष्टता संक्षेपण का प्रधान गुण है। अस्पष्टता से संक्षेपण का महत्व ही समाप्त हो जायेगा।

( 4 ) क्रमबद्धता – मूल अनुच्छेद में अभिव्यक्त या निरूपित मुख्य भावों एवं विचारों की क्रमबद्ध स्थापना संक्षेपण की विशेषता है। असम्बद्ध, असंगत, क्रॅमहीन भाव या विचार तथा तथ्य का संक्षेपण में कोई स्थान नहीं होता।

( 5 ) व्यावहारिक भाषा और प्रवाहमयता- भाव-संक्षेपण की भाषा का व्यावहारिक और प्रवाहमय होना उसकी पांचवीं विशेषता है। अतः इसके संक्षेपक को चाहिए कि वह कठिन, अलंकृत और समासबहुल भाषा का प्रयोग न करें।

( 6 ) अपनी शैली- संक्षेपक की अपनी शैली होनी चाहिए। चमत्कार, आडम्बर और अलंकृत शैली संक्षेपण में अनपेक्षित है। अतः संक्षेपण में शैली अपनी और भाषा सरल होनी चाहिए।

(7) शुद्धता – भाव और भाषा की शुद्धता संक्षेपण की विशेषता है। भाव-संक्षेपण की शैली में शुद्धता का विशेष आग्रह है। अतः संक्षेपण की भाषा व्याकरण-सम्मत और विषयानुकूल होनी चाहिए। अशुद्ध शब्द और वाक्य कभी रचना के आशय को पाठक तक नहीं पहुंचा सकते।

( 8 ) प्रभावात्मकता- अच्छे संक्षेपण की एक प्रमुख विशेषता है— प्रभावात्मकता। प्रभावात्मकता से अभिप्राय यह है कि पाठक मूल अवतरण के स्वर को सहज रूप में ग्रहण कर उससे तादात्म्य स्थापित कर सके। ऐसा न होने पर संक्षेपण प्रभावात्मक नहीं होगा।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment