हिन्दी साहित्य

पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है?

पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है?
पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है?

पत्रकारिता क्या है? पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है? उसके प्रमुख रूपों का विश्लेषण कीजिए।

आज पत्रकारिता आधुनिकता की एक विशिष्ट उपलब्धि है। आधुनिकता उस सांस्कृतिक संचेतना का नाम है जिसने वैज्ञानिक आलोक से मानवीय धरातल के विभिन्न स्तरों को उजागर किया। पत्रकारिता प्रत्यक्षतः जनजीवन से जुड़ी हुई है। वह एक ऐसी शक्ति है जो सामाजिक विकृतियों को दूर करके जनसाधारण में मंगलकारी सुधारों और निर्माणकारी तत्वों व मूल्यों की प्रतिष्ठा करता है। जे० वी० मैकी इस विषय में कहा है कि “एक सच्चा पत्रकार अपने कर्तव्यों को पूरी तरह अनुभव करता है और अपने लक्ष्य के प्रति पूर्णनिष्ठा रखता है। उसकी सबसे बड़ी चिन्ता यहीं होती है कि अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम हित कैसे ।” आवश्यकता के अनुरूप पत्रकारिता का विभिन्न क्षेत्रों में विकास हुआ है। पत्रकारिता के इन प्रकारों का अध्ययन एवं अनुशीलन क्रमशः किया जा सकता हैं।

पत्रकारिता के प्रकार

(1) अन्वेषणात्मक पत्रकारिता- समाचार पत्र उद्योग की आपसी प्रतिस्पर्धा ने खोज पत्रकारिता को भरपूर बढ़ावा दिया। प्रतिद्वन्दी अखबारों से अलग कुछ नयी और सनसनीखेज खबर पाठकों तक पहुंचाकर अखबार को लोकप्रिय बनाने की मंशा के चलते खोज-खबरों की बहार सी आ गयीं है। हालत यह है कि संवाददाता से लेकर सम्पादक तक की प्रतिभा, योग्यता और कुशलता का मापदण्ड ही बन गयी है खोज-खबरें संवाददाता की कार्यकुशलता इस बात से आंकी जाने लगी है कि वह कितनी ‘एक्सक्लूसिव स्टोरी’ ले आता  है और अखबार तथा सम्पादक की प्रतिष्ठा इस बात से बनती है कि कितनी खोज-खबरें छपती हैं। समाचार पत्र हो या पत्रिकाएं, उनमें एकरसता आने का मतलब होता है कि अकाल मौत। एकरसता नीरसता को जन्म देती हैं और नीरसता पाठक वर्ग का दायरा क्रमशः छोटा करती जाती है। इसलिए एक सम्पादक की कारयित्री प्रतिभा और कल्पनाशक्ति की परीक्षा सम्बद्ध पत्र-पत्रिकाओं की जीवन्तता से ही होती है, जिसे बनाये रखने में साज-सज्जा कम, पठनीय सामग्री का अधिक योगदान होता है और पठनीय सामग्री में रोचकता एवं आकर्षण पैदा करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है खोज खबरों की।

पत्रकार चाहे फील्ड में हो चाहे टेबुल पर, कुछ नया करने की आकांक्षा उसके अन्दर घुमड़ती रहती है। ख़बरों के पीछे खबरों की तलाश और खबरों के बीच से खबरें निकाल लेने की ललक उसके अन्दर होती है। वह अपनी कल्पना, शक्ति, विश्लेषण क्षमता तथा सूक्ष्म दृष्टि की सहायता से ख़बरें खोजता और गढ़ता है। अनुसंधान और निर्माण की यह प्रक्रिया जटिल चाहे जितनी हो, जो कुछ नया बनता है उसकी विश्वसनीयता रत्ती भर भी कम नहीं होती। तथ्य अपने मूल रूप में तो ज्यों के त्यों होते हैं, उनसे जुड़े सवालों को अलबत्ता उकेरने की कोशिश की जाती है।

(2) ग्रामीण एवं कृषि पत्रकारिता- वर्तमान में पत्रकारिता बनाम भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता की विशेष रुचि अंग्रेजी अखबारों में नहीं, बल्कि भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों में है। इस पत्रकारिता का संबंध केवल घटनाओं की पड़ताल करना कराना नहीं है, अपितु ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं परिवार कल्याण, परिवार नियोजन, स्वास्थ्य, कृषि के उन्नत उत्पादन की तकनीकी तथा ग्रामीणों के विकास की विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करना भी है। विकास की जानकारी का उत्तरदायित्व समाचार पत्रों एवं पत्रकारिता के अन्य रूपों पर है। पत्रकार इस बात से भलीभांति परिचित है कि सुदूर के गांवों में नवीन चेतना एवं वैज्ञानिक, औद्योगिक देश की लगभग 80% जनता गाँवों में निवास करती है। इनका भाग्य गाँव की विभिन्न फसलों से जुड़ा हुआ है। डॉ. मदनमोहन गुप्त ने ग्रामीण पत्रकारिता की परिभाषा देते हुए लिखा है- “जिन समाचार-पत्रों में 40% से अधिक सामग्री गांवों के बारे में कृषि, पशुपालन, बीज, कीटनाशक, पंचायती राज, सहकारिता आदि विषयों पर होगी, उन्हीं पत्रों को ग्रामीण पत्र माना जाएगा।” इनके अलावा बागवानी (Horticulture), पादप रोग विज्ञान (Plant Pathology) तथा भूमि संरक्षण (Soil Conservation ) आदि विषयों का भी समावेश होता है। इनके अतिरिक्त परम्परागत लोक कला, लोक संस्कृति, कुटीर उद्योग, ग्रामीण स्वास्थ्य तथा श्वेत एवं हरित क्रांति के विकास के लिए समर्पित पत्रकारिता ग्रामीण पत्रकारिता कही जाएगी।

(3) इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की पत्रकारिता- रेडियो पत्रकारिता सामान्य रूप से समाचारों की उद्घोषणा, सामयिकी, जिले अथवा राज्य की खबरें, समाचार-दर्शन से सम्बन्धित होती है। घोषित समाचार एवं अन्य प्रमुख जानकारी समाचार सेवा प्रभाग तैयार करता है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की पत्रकारिता का एक अन्य प्रकार दूरदर्शन से जुड़ा है। टेलीविजन कार्यक्रम दृश्य-श्रव्य होने के कारण अधिक महत्वपूर्ण हैं। अतः पत्रकार को दूरदर्शन के लिए अपने तरीके से संवाद तैयार करना पड़ता है।

(4) बाल पत्रकारिता- बालक राष्ट्र का कर्णधार, दर्पण और अमूल्य निधि होता है। वह राष्ट्र की मुस्कराहट है और शिक्षकों की प्रयोगशाला भी। बच्चों के चरित्र निर्माण पर ही राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है। बालकों में वर्तमान करवटें लेता है। बालकों के सम्यक विकास के लिए बाल पत्रकारिता अत्यन्त उपयोगी है। बचपन से ही बालकों में अनन्त जिज्ञासा होती है।

बच्चा दुनिया के प्रत्येक कथ्य और विषय को जानने के लिए लालायित एवं उत्सुक रहता है। आज देश में बालकों की जिज्ञासा-शान्ति के लिए रंग-बिरंगे, मनोरंजक रूप में उन्हीं की भाषा में अनेक पत्र-पत्रिकाएँ निकल रही हैं। ज्ञानवर्धक ललित लेखों, कहानियों, कविताओं और सुन्दर चित्रों द्वारा समय-समय पर बाल पत्रिकाओं ने बालकों को कर्तव्यनिष्ठ बनने की प्रेरणास्पद शिक्षा दी है। वास्तव में बालपत्रकारिता सृजनात्मक पत्रकारिता है। इसके द्वारा बालकों में सौन्दर्यबोध और जीवन-बोध का विकास होता है।

स्वतंत्रता के पश्चात बाल पत्रकारिता लेखन में निरन्तर विकास एवं परिष्कार होता जा रहा है। आज अनेक महत्वपूर्ण लेखक इस कार्य में प्रयत्नशील है।

(5) खेल पत्रकारिता- हमारे देश में समाचारपत्रों में खेल समाचार देने की व्यवस्था प्राचीन नहीं है। सन् 1951 में जब नयी दिल्ली में एशियाई खेल आयोजित किये गये, तब से कतिपय समाचारपत्रों में खेल समाचार प्रकाशित होने आरम्भ हुए थे। पर पूर्णरूपेण इसका प्रारम्भ सन् 1980 के आस-पास ही माना जाता आज सभी समाचारपत्रों में, चाहे वे दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक अथवा मासिक हों-खेल समाचारों के स्तम्भ अथवा पृष्ठ रहते हैं।

समय-समय पर कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने क्रिकेट विशेषांक, हाकी विशेषांक, फुटबाल विशेषांक, एशियाई खेल विशेषांक, ओलम्पिक विशेषांक प्रकाशित किये हैं। खेल जगत में इन विशेषांकों को बहुत पसन्द किया गया है। खेलों के प्रति पाठकों की रुचि दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

(6) संसदीय पत्रकारिता राजनीतिक समाचार, संसद समाचार, विधानमण्डल ऐसे स्रोत है जो देश-विदेश की हलचलों के प्रमाणित तथा फर्स्ट हैण्ड सूचनाएँ जनसंचार माध्यमों को देते हैं। समाचार पत्रों में इन राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक परिवर्तनों की हलचलों का प्रमुखता से प्रकाशन किया जाता है।

(7) शैक्षिक पत्रकारिता शिक्षा से जुड़ी प्रवृत्तियों के बारे में लेख, समाचार, शिक्षा जगत् की अन्य गतिविधियों से जनसंचार माध्यम द्वारा जनता को परिचित कराना शैक्षिक पत्रकारिता की श्रेणी में आता है। एक ओर शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं यथा विद्यार्थियों पर पढ़ाई-लिखाई का अकल्पनीय बोझ, माध्यम की समस्या, डिग्री प्राप्ति के पश्चात् बेरोजगारी की समस्या, महंगी होती शिक्षा, आज के जीवन से असंयुक्त शिक्षा, प्रवेश की समस्या आदि समस्याओं की ओर जनसामान्य, विद्यार्थियों के अभिभावकों, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े पदाधिकारी एवं सत्ता दल का ध्यान आकर्षित कराना शैक्षिक पत्रकारिता का केन्द्र बिन्दु है। कोचिंग क्लास, गाइडों की मात्रा, प्राइवेट ट्यूटर्स, उत्तीर्ण होने एवं विशिष्ट योग्यता प्राप्त श्रेणी का क्रय-विक्रय, परीक्षा पद्धति की सीमाएँ, शिक्षा क्षेत्र के खण्डहर होते तक्षशिलाओं की पोल खोलना शैक्षिक पत्रकारिता का महत्वपूर्ण अभियान होता है। इसके साथ ही साथ अध्यापकों की अपनी समस्याएं, प्रबन्ध समितियों का दबाव, सरकार की उदासीनता से ग्रस्त शोषित पीड़ित शिक्षक वर्ग से साक्षात्कार कराना शैक्षिक पत्रकारिता की अपनी विशेषता होती है।

(8) फिल्म पत्रकारिता– प्रारम्भ में अच्छे, स्वस्थ एवं पारिवारिक पत्रों ने फिल्मों को पत्रकारिता में कोई विशेष स्थान नहीं दिया। कालान्तर में फिल्मी तकनीक तथा फिल्मों के विषय में प्रस्तुतीकरण में आए परिवर्तन भी पत्रकारिता के एक प्रमुख भाग के रूप में स्वीकार किये जाने लगे। देश-विदेश के पुरस्कारों ने फिल्म को भी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना स्थान बनाने में सहायता दी है। आज तो हिन्दी में अनेक फिल्मी पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही है।

( 9 ) वाणिज्यिक अथवा आर्थिक पत्रकारिता- कुछ समय पूर्व तक आर्थिक समाचारों के प्रकाशन विश्लेषण में प्रायः हिन्दी पत्रकारों की रुचि नहीं थी। देश-विदेश से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों के प्रति वह उदासीन ही था। पर बदलते समय एवं सरोकारों ने जागरूक पत्रकार को अपने पत्र तथा पाठकों के दिल में आर्थिक समाचारों का प्रकाशन, विश्लेषण तथा बाजार के उथल-पुथल के पूर्वानुमान, विदेशी मुद्रा, पंचवर्षीय योजना, ग्रामोद्योग, राष्ट्रीय आय आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता अनुभव हुई। शेयर बाजार, सट्टा बाजार, धातु बाजार, तेल-तिलहन बाजार तथा कपड़ा बाजार आदि में आती मन्दी या तेजी से पत्रकार बेखबर नहीं रहा। वह अपने पत्र में विभिन्न अर्थशास्त्रियों, बाजार से सम्बन्धित व्यक्तियों तथा दलालों के लेख एवं भेटवार्ता को प्रकाशित करने लगा। इससे पत्र की बिक्री पर व्यापक प्रभाव पड़ा। हिन्दी में या तो समाचार पत्र-पत्रिकाओं के निश्चित सीमित पृष्ठों में विविध आर्थिक पक्षों को स्थान दिया गया तथा कुछ स्वतन्त्र पत्र पत्रिकाएँ प्रकाशित होने लगी। व्यापार, शेयर आदि ऐसी ही पत्र-पत्रिकाएँ है।

(10) विज्ञान पत्रकारिता- आज का युग विज्ञान का युग है। हमारे जीवन की रग-रग में आज विज्ञान का प्रवेश हो गया है। हम अपनी छोटी-मोटी आवश्यकताओं के लिए भी विज्ञानाश्रित हो गए है। व्यक्ति ही क्या सम्पूर्ण देश ही अपने विकास के लिए वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति कृतज्ञ है। अतः पत्रकार का यह दायित्व हो जाता है कि यह विज्ञान की नवीनतम शोधों तथा खोजो का परिचय कराये। वह वैज्ञानिक शब्दावली एवं दुरुहूता को बचाते हुए पाठक की वैज्ञानिक उपलब्धि की उपयोगिता पर अपने पत्र द्वारा प्रकाश डाले।

(11) साहित्यिक सांस्कृतिक पत्रकारिता- पत्रकारिता केवल सूचनाओं को प्राप्त करने का माध्यम नहीं है और न ही भारी-भरकम साहित्यिक लेखों का संग्रहालय वह साहित्य की सरसता, सात्विकता से अनुप्रमाणित विधा है। अतः आवश्यक है कि पत्रों में साहित्य की विभिन्न विधाओं, पुस्तक विमोचन, समीक्षा, साहित्यिक गोष्ठियों, संगोष्ठियों एवं कवि सम्मेलन आदि की रिपोर्ट को विस्तार से प्रकाशित किया जाए। साथ ही साथ संगीत सभाओं, नृत्य समारोहों तथा कला प्रदर्शनों पर भी पत्र में प्रामाणिकता से उनके प्रस्तुतीकरण पर लिखा जाए। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचारों से ही पत्र एवं पत्रकार के चरित्र की पहचान की जा सकती है। उससे पाठक वर्ग की साहित्यिक-सांस्कृतिक अभिरुचियों का भी पता चलता है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment