कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ (Practical Advantages of the Study of Economics)

अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ (Practical Advantages of the Study of Economics)
अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ (Practical Advantages of the Study of Economics)

अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ (Practical Advantages of the Study of Economics)

अर्थशास्त्र के अध्ययन से सैद्धान्तिक लाभ के अतिरिक्त अनेक व्यावहारिक लाभ भी प्राप्त होते हैं, बल्कि वास्तविकता तो यह है कि अर्थशास्त्र का अध्ययन सैद्धान्तिक दृष्टि से उतना उपयोगी नहीं होता जितना कि यह व्यावहारिक दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होता है। प्रमुख व्यावहारिक लाभ अग्र प्रकार हैं

(1) गृहस्वामियों तथा उपभोक्ताओं को लाभ-गृहस्वामियों तथा उपभोक्ताओं को अपने दैनिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने में अर्थशास्त्र से बहुत अधिक सहायता मिलती है–(i) अधिकतम सन्तुष्टि की प्राप्ति- प्रत्येक उपभोक्ता अपनी सीमित आय को इस प्रकार व्यय करना चाहता है, जिससे उसे अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो सके। इस उद्देश्य की पूर्ति वह अर्थशास्त्र के सम-सीमान्त तुष्टिगुण नियम (Law of Equi-marginal Utility) का पालन करके कर सकता है। (ii) पारिवारिक बजट बनाना- अर्थशास्त्र के अध्ययन से गृहस्वामी यह जान जाते हैं कि पारिवारिक बजट (Family Budgets) किस प्रकार बनाए जाते हैं तथा इनके बनाने के क्या लाभ हैं? बजट बनाने से एक तो अनावश्यक व्यय घटता है तथा साथ ही गृहस्थी कुछ बचत करने में सफल हो जाते हैं। (iii) बाजार कीमतों का ज्ञान- अर्थशास्त्र के अध्ययन से गृहस्वामी यह जान जाता है कि उसे सस्ती और अच्छी वस्तुएँ किस समय और कहाँ से मिल सकती हैं। (iv) परिवार नियोजन के महत्त्व का ज्ञान-अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य को इस बात की जानकारी हो जाती है कि अधिक बच्चे होने से रहन-सहन का स्तर गिर जाता है। परिवार नियोजन द्वारा वह अपने परिवार के आकार को छोटा रखकर सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है।

बारबरा वूटन ने ठीक ही लिखा है, “आप उस समय तक सच्चे नागरिक नहीं बन सकते जब तक कि आप किसी न किसी सीमा तक अर्थशास्त्री न हों।”

(2) उत्पादकों तथा व्यापारियों को लाभ-उत्पादकों तथा व्यापारियों के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान उतना ही आवश्यक होता है जितना किसी डॉक्टर के लिए चिकित्सा का ज्ञान आवश्यक होता है। उत्पादक तथा व्यापारी वर्ग को अर्थशास्त्र के अध्ययन से अनेक प्रकार से सहायता मिलती है- (i) उत्पादन कार्य में सहायक- उत्पादक का प्रमुख उद्देश्य न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करना होता है। इसके लिए उसे उत्पादन के नियमों, छोटी तथा बड़ी मात्रा में उत्पादन करने के लाभ-हानियों, श्रम विभाजन के लाभों, बाहरी व आन्तरिक किफायतों (economies), व्यापार-वों आदि की जानकारी होनी चाहिए। (ii) विनिमय-कार्य में सहायक- उत्पादकों तथा व्यापारियों की यह चेष्टा होती है कि वे अपनी वस्तुओं को ऊंची कीमत पर बेचकर अधिकाचिक लाभ कमा सके। इसके लिए उन्हें बाजार की गतिविधियों तथा उनमें पाई जाने वाली प्रतियोगिता, वस्तु की मांग व पूर्ति में होने वाले परिवर्तन, विज्ञापन, परिवहन सुविधाएं, बैंक तथा बीमा कम्पनियों की कार्य प्रणाली आदि बातों की जानकारी होनी चाहिए। (iii) वितरण कार्य में सहायक- उत्पादक का एक प्रमुख कार्य उत्पादन कार्य में लगे विभिन्न उपादानों (भूमि, श्रम, पूंजी आदि) के पारिश्रमिक का निर्धारण करना होता है। इसके लिए उसे वितरण के सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है।

(3) कृषकों को लाभ-कृषकों के लिए अर्थशास्त्र का अध्ययन अनेक प्रकार से उपयोगी सिद्ध होता है—–(i) उत्पादन कार्य में सहायक–अर्थशास्त्र के अध्ययन से कृपकों को इस बात की जानकारी हो जाती है कि देश में कृषि उत्पादन कम क्यों है तथा इसे किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है, उन्हें कृषि उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कौन से उपादानों (श्रम तथा पूंजी) का अधिक प्रयोग करना चाहिए, खेती की कौन-सी विधि अपनानी चाहिए, किस प्रकार की भूमि पर कौन-सी फसल बोनी चाहिए, किस प्रकार के खाद तथा बीजों का प्रयोग करना चाहिए आदि। (ii) कृषि उपज का उचित मूल्य प्राप्त करना-भारत में कृषक अपनी अनभिज्ञता के कारण अपनी कृषि उपज का उचित मूल्य प्राप्त नहीं कर पाते चतुर तथा बेईमान व्यापारी किसानों की उपज को कम मूल्य पर खरीदने में सफल हो जाते हैं। इस सम्बन्ध में अर्थशास्त्र का अध्ययन कृषकों की पर्याप्त सहायता कर सकता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से उन्हें बाजार कीमतों में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी हो सकती है। इससे उन्हें यह निश्चित करने में सहायता मिलती है कि उन्हें उपज कब और कहाँ वेचनी चाहिए ताकि उन्हें उनकी उचित कीमत प्राप्त हो सके। (iii) सहकारी समितियों के महत्व का ज्ञान-अर्थशास्त्र के अध्ययन से किसानों को यह जानने में सहायता मिलती है कि सहकारी साख-समितियों, सहकारी कृषि-समितियों, चकबन्दी समितियों आदि के सदस्य बनकर वे कौन-कौन से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। (iv) कृषि समस्याओं तथा उनके समाधान का ज्ञान-अर्थशास्त्र के अध्ययन से कृषकों को देश की विभिन्न कृषि समस्याओं तथा उनके समाधान के उपायों की जानकारी मिलती है। ऐसे ज्ञान का व्यवहार में प्रयोग करके वे कृषि उत्पादन में वृद्धि द्वारा अपनी आय में वृद्धि तथा रहन-सहन के स्तर में सुधार कर सकते हैं।

(4) राजनीतिज्ञों को लाभ- राजनीतिज्ञों के लिए अर्थशास्त्र का अध्ययन अत्यन्त आवश्यक है-(i) आर्थिक समस्याओं का ज्ञान- अधिकांश समस्याएँ आर्थिक कारणों से उत्पन्न होती हैं। अतः विभिन्न समस्याओं के स्वभाव को समझने तथा उनके हल ढूँढने के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान आवश्यक है। (ii) वित्त-मन्त्री को लाभ-एक राजनीतिज्ञ कुशल वित्त मन्त्री तभी बन सकता है जबकि उसे करारोपण के सिद्धान्तों तथा विभिन्न करो के उत्पादन, उपभोग, वितरण तथा रोजगार पर पड़ने वाले प्रभावों की समुचित जानकारी होती है। अच्छा सरकारी बजट बनाने में वित्त-मन्त्री के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है। (iii) समुचित कानून बनाने में सहायक- राजनीतिज्ञ देश की अर्थव्यवस्था सम्बन्धी समुचित कानून तभी बना सकते हैं जबकि उन्हें देश की आर्थिक व्यवस्था सम्बन्धी ठीक-ठीक जानकारी होती है। (iv) आर्थिक एवं व्यापारिक समझौते- राजनीतिज्ञ अन्य राष्ट्रों के साथ विभिन्न प्रकार के आर्थिक तथा व्यापारिक समझौते करते रहते हैं। ऐसा करते समय उन्हें समझौतों से देश की औद्योगिक व्यापारिक तथा मौद्रिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए। (v) विकास योजनाएँ- देश के तीव्र आर्थिक विकास हेतु उपयुक्त योजनाएँ तैयार करने के लिए राजनीतिज्ञों को अर्थशास्त्र का ज्ञान होना चाहिए। (vi) चुनाव घोषणा-पत्र- एक राजनीतिज्ञ चुनाव सम्बन्धी प्रभावशाली घोषणा-पत्र तभी तैयार कर सकता है जबकि उसे देश की आर्थिक समस्याओं को समुचित जानकारी होती है।

(5) समाज सुधारकों को लाभ-समाज-सुधारकों का प्रमुख उद्देश्य समाज में फैली हुई विभिन्न बुराइयों तथा कुरीतियों को दूर करके समाज को सुधारना होता है। अर्थशास्त्र का अध्ययन करके समाज सुधारक विभिन्न आर्थिक व सामाजिक समस्याओं को सुलझा सकता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से समाज सुधारक निम्न प्रकार लाभान्वित होते हैं-

(i) विभिन्न समस्याओं का ज्ञान- अर्थशास्त्र के अध्ययन से समाज सुधारकों को विभिन्न आर्थिक तथा सामाजिक समस्याओं का विस्तृत ज्ञान हो जाता है। तत्पश्चात् ये इन समस्याओं के समाधान के लिए उपयुक्त कार्यक्रम बना सकते हैं तथा बहुमूल्य सुझाव दे सकते हैं। उदाहरणार्थ, जनसंख्या वृद्धि, बेरोजगारी, गरीबी आदि समस्याओं के समाधान के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान परमावश्यक है।

(ii) सामाजिक कुरीतियों का निवारण- विभिन्न सामाजिक बुराइयों तथा अपराधों को दूर करने के लिए उनके आर्थिक कारणों पर ध्यान देना आवश्यक है। तभी समाज सुधारक विभिन्न कुरीतियों के उन्मूलन के लिए व्यापक तथा प्रभावी योजनाएँ बना सकते हैं।

(iii) विभिन्न सामाजिक प्रथाएँ- दहेज प्रथा, जाति प्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा, बाल विवाह आदि सामाजिक प्रयाओं के आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक है।

(iv) शिक्षा प्रणाली में सुधार- समाज सुधारकों को शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कार्यक्रम तथा योजनाएं तैयार करते समय उनके आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए।

(6) श्रमिकों को लाभ – अर्थशास्त्र के अध्ययन से श्रमिकों को अनेक प्रकार से लाभ पहुंचता है- (i) कार्यक्षमता में वृद्धि-अर्थशास्त्र के अध्ययन से श्रमिकों को कार्यक्षमता के महत्त्व की जानकारी होती है तथा इसमें वृद्धि करने के लिए वे प्रयत्न करने लगते हैं। (ii) श्रम-संपों का महत्त्व- अर्थशास्त्र के अध्ययन से श्रमिकों को श्रम-संघों के महत्व की जानकारी होती है। श्रम-संघों द्वारा वे अपनी मजदूरी में वृद्धि काम की दशाओं में सुधार तथा कार्यक्षमता में वृद्धि करने के लिए प्रयत्न करते हैं। श्रम-संघों से श्रमिकों की सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति बढ़ जाती है जिससे मालिक उनका शोषण नहीं कर पाते। (iii) कल्याण में वृद्धि – अर्थशास्त्र श्रमिकों को विभिन्न श्रम कानूनों, सामाजिक बीमा योजनाओं आदि विभिन्न श्रम कल्याणकारी बातों का ज्ञान कराता है, जिससे अमिकों को अपने कल्याण सम्बन्धी अनेक बातों की जानकारी होती है। उन्हें कारखाना अधिनियम, सामाजिक बीमा आदि बातों का ज्ञान हो जाता है। इन सभी बातों से श्रमिकों के रहन-सहन के स्तर तथा कल्याण में वृद्धि होती है।

(7) विद्यार्थियों को लाभ-विद्यार्थी देश के भावी निर्माता है। भविष्य में भारत की बागडोर उन्हें ही संभालनी है। इसलिए उन्हें देश की विभिन्न आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं तथा उनके समाधान के विभिन्न उपायों का समुचित ज्ञान होना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में अर्थशास्त्र का अध्ययन उनके लिए अत्यन्त सहायक सिद्ध होगा।

(8) भारतवासियों को लाभ-भारत जैसे अल्पविकसित देश में अर्थशास्त्र के अध्ययन का विशेष महत्त्व है। आधुनिक भारत के निर्माण तथा उत्थान में अर्थशास्त्र निम्न प्रकार से सहायक सिद्ध हो सकता है-

(1) कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने में सहायक-भारत के एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भारतीय कृषि पिछड़ी हुई अवस्था में है। अर्थशास्त्र का अध्ययन विभिन्न कृषि समस्याओं को सुलझाने में अत्यन्त सहायक सिद्ध हो सकता है।

(ii) आर्थिक पिछड़ापन दूर करना- आर्थिक दृष्टि से भारत एक पिछड़ा हुआ राष्ट्र है। भारतवासियों की प्रति व्यक्ति आय विश्व के अधिकांश राष्ट्रों की तुलना में कम है। आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए देश का तीव्रता से आर्थिक, विकास करना आवश्यक है।

(iii) आर्थिक विकास में सहायक-भारत को अनेक गम्भीर आर्थिक व सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। देश के तीव्र आर्थिक विकास के लिए इन समस्याओं का समाधान परमावश्यक है। यद्यपि देश में प्राकृतिक संसाधनों, खनिज सम्पत्ति, शक्ति के साधनों आदि की कमी नहीं है फिर भी अधिकांश भारतवासी निर्धन हैं। विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु भारतवासियों के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान आवश्यक है।

(iv) आर्थिक नियोजन- आर्थिक नियोजन के माध्यम से अल्प-विकसित तथा विकासशील राष्ट्र तीव्रता से अपना आर्थिक विकास कर सकते हैं। अर्थशास्त्र के अध्ययन से आर्थिक नियोजन का समुचित ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

(v) कीमतों पर नियन्त्रण-भारत में कीमतों में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। देश में पूंजी निर्माण को बढ़ाने तथा विकास प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए कीमतों पर प्रभावी नियन्त्रण आवश्यक है। इस कार्य में अर्थशास्त्र अत्यन्त सहायक सिद्ध होता है।

(vi) विभिन्न समस्याओं का समाधान- देश की विभिन्न समस्याओं, जैसे बेरोजगारी, गरीबी, जनाधिक्य (over-population), औद्योगीकरण (Industrialisation) का अभाव, कुटीर व लघु उद्योगों का पत्तन आदि के समुचित समाधान हेतु भारतवासियों के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है।

निष्कर्ष (Conclusion)- अर्थशास्त्र का अध्ययन हमें अच्छा नागरिक, समझदार उपभोक्ता, कुशल उत्पादक, योग्य प्रवन्धक तथा प्रगतिशील समाज सुधारक बनाने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होता है। इस सम्बन्ध में सर हेनरी क्ले (Sir Henry Clay) ने ठीक ही लिखा है, “अर्थशास्त्र का अध्ययन एक व्यावहारिक आवश्यकता तथा नैतिक उत्तरदायित्व है।”

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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