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कुशल उद्यमी के गुण (Qualities of Efficient Entrepreneur)
एक कुशल उद्यमी में निम्नलिखित गुणों का समावेश होता है-
(1) साहस- उद्यमी में जोखिम वाले कार्यों को हाथों में लेने का साहस होना चाहिए। व्यापार में मन्दी व तेजी आती रहती है। उधमी में उनका सामना करने का साहस, दृढ़ निश्चय तथा धैर्य होना चाहिए।
(2) दूरदर्शिता – एक कुशल उद्यमी के लिए दूरदर्शी होना आवश्यक है। उसमें बाजार में होने वाले परिवर्तनों का सही पूर्वानुमान लगा लेने की योग्यता होनी चाहिए। उपभोक्ताओं की रुचि तथा फैशन में होने वाले परिवर्तनों के प्रति उसे जागरूक रहना चाहिए। तभी वह परिस्थितियों के अनुसार अपने उत्पादन में परिवर्तन कर पायेगा।
(3) व्यवसाय का ज्ञान – उद्यमी को अपने व्यवसाय सम्बन्धी बातों का समुचित ज्ञान होना चाहिए अन्यथा वह अपने व्यवसाय पर प्रभावशाली नियन्त्रण नहीं रख सकेगा।
(4) नेतृत्व के गुण-उद्यमी अपने उद्योग-रूपी जहाज का कप्तान होता है। उसमें अन्य लोगों को प्रभावित तथा प्रेरित करने की योग्यता होनी चाहिए। उसे विवेकशील, विचारवान तथा कठिनाइयों के समय धैर्यवान होना चाहिए।
(5) श्रम प्रबन्ध की योग्यता-उद्यमी में श्रमिकों से उनकी योग्यता तथा क्षमतानुसार काम लेने की योग्यता होनी चाहिए। इसके लिए उसे श्रमिकों के प्रति न तो कठोर होना चाहिए और न ही नम्र उसे श्रमिकों की मनोवृत्ति से परिचित होना चाहिए ताकि वह उन्हें सन्तुष्ट रख सके, अन्यथा उसे श्रमिकों के असन्तोष (हड़ताल घेराव आदि) का सामना करना पड़ सकता है।
(6) उच्च शिक्षा – एक कुशल उद्यमी के लिए अर्थशास्त्र, वाणिज्य बैंकिंग आदि विषयों का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है। तभी वह व्यवसाय की दिन-प्रतिदिन की जटिल वित्तीय प्रबन्धकीय तथा तकनीकी समस्याओं को जल्दी से सुलझा पायेगा उच्च शिक्षा के अभाव में यह अपने व्यवसाय का ठीक प्रकार से प्रबन्ध नहीं कर पायेगा।
(7) अनुभव- एक उद्यमी को अपने व्यवसाय का पर्याप्त अनुभव होना चाहिए। कोई उद्यमी जितना अधिक अनुभवी होगा वह अपने व्यवसाय का उतना ही अधिक कुशलतापूर्वक संचालन कर सकेगा।
(8) नैतिक गुण-उद्यमी में आत्म-विश्वास, ईमानदारी, आदि नैतिक गुणों का भी होना अनिवार्य है। व्यवसाय के प्रबन्ध तथा प्रशासन में उसे निष्पक्ष, उदार तथा ईमानदार होना चाहिए, अन्यथा वह अन्य व्यक्तियों का विश्वास प्राप्त नहीं कर सकेगा।
(9) शीघ्र उचित निर्णय लेने की क्षमता- एक कुशल उद्यमी में समय पर ठीक-ठीक निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। निर्णय लेने में विलम्ब होने पर लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते हैं और हानि भी उठानी पड़ सकती है।
(10) नवीन उत्पादन-विधियों तथा आविष्कारों का ज्ञान–एक कुशल उद्यमी को अपने उद्योग की उत्पादन विधियों में होने बाले सुधारों तथा आविष्कारों की नवीनतम जानकारी होनी चाहिए। इससे वह न्यूनतम लागत पर अधिकाधिक उत्पादन कर सकेगा।
संक्षेप में, उद्यमी को साहसी, दूरदर्शी, धैर्यवान, अनुभवी, निर्णय-कुशल, दृढ-संकल्पी तथा व्यवहार कुशल होना चाहिए। तभी वह अपने व्यवसाय में निहित जोखिम को सफलतापूर्वक उठा सकेगा।
अन्य उपादानों की कुशलता- किसी उद्यमी की कुशलता उत्पादन के अन्य उपादानों की कुशलता पर भी निर्भर करती है। यदि भूमि, श्रम तथा पूंजी कार्यकुशल नहीं होंगे तो उद्यमी, कितना ही योग्य होने पर भी न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन नहीं कर सकेगा।
उद्यम का महत्त्व (Importance of Enterprise)
वर्तमान औद्योगिक अर्थव्यवस्था में उथम का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है जैसा कि निम्नांकित बातों से भली-भांति स्पष्ट है-
(1) व्यावसायिक जोखिम उठाना–वर्तमान जटिल आर्थिक व्यवस्था में उत्पादन कार्य अधिक जोखिम तथा अनिश्चितता वाला हो गया है क्योंकि वस्तुओं का उत्पादन तो वर्तमान में होता है जबकि उनकी बिक्री भविष्य में होती है। जोखिम तथा अनिश्चितता वहन करने के लिए एक साहसी तथा दूरदर्शी व्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है जो भूस्वामियों से भूमि और पूंजीपतियों से पूंजी प्राप्त करके श्रमिकों तथा संगठनकर्त्ता की सहायता से उत्पादन आरम्भ कर सके। आजकल यह कार्य उद्यमी द्वारा किया जाता है। इस प्रकार आजकल उद्यमी के बिना उत्पादन कार्य भली-भाँति सम्पन्न नहीं किया जा सकता। इसलिए शुम्पीटर ने उद्यमी को औद्योगिक अर्थव्यवस्था की संचालन-शक्ति माना है, जबकि मार्शल ने उद्यमी को उद्योग का कप्तान’ कहा है।
(2) विशालस्तरीय उत्पादन-वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन कुशल उद्यमियों के बिना हो ही नहीं सकता। इसलिए विशाल औद्योगिक इकाइयों की स्थापना तथा संचालन की दृष्टि से उद्यम उत्पादन का अनिवार्य साधन है।
(3) माँग व उत्पादन-विधियों में निरन्तर परिवर्तन- वर्तमान युग में उत्पादन विधियों तथा उपभोक्ताओं की रुचियों व फैशन में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। इससे व्यावसायिक क्रियाओं में अनिश्चितता तथा जोखिम अत्यधिक बढ़ गए हैं। उद्यमियों के योग्य तथा जागरूक होने पर ही आधुनिक उत्पादन विधियों द्वारा उपभोक्ताओं की रुचियों के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन किया जा सकता है।
(4) तीव्र आर्थिक विकास-जिन देशों में योग्य तथा कुशल उद्यमी होते हैं वे तीव्र गति से औद्योगिक विकास करने में सफल हो जाते हैं। जापान, अमेरिका, जर्मनी व इंग्लैण्ड द्वारा किए गए आर्थिक विकास का श्रेय मुख्यतया वहाँ के कुशल उद्यमियों को जाता है। इसके विपरीत, अल्प-विकसित राष्ट्रों के आर्थिक पिछड़ेपन का प्रमुख कारण यहाँ पर योग्य उद्यमियों का अभाव है।
(5) रोजगार अवसरों में वृद्धि-किसी देश में जितनी अधिक संख्या में निपुण तथा अनुभवी उद्यमी होंगे वहाँ पर उतनी ही अधिक नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना तथा विद्यमान इकाइयों का विस्तार होने से रोजगार अवसरों में वृद्धि होगी।
(6) उन्नत रहन-सहन का स्तर- आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप विविध वस्तुओं के उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने से लोगों का रहन-सहन का स्तर उन्नत होगा|
(7) सरकार की आय में वृद्धि-उत्पादन, आय, बिक्री तथा उपभोग इन सबमें वृद्धि के परिणामस्वरूप सरकार को विभिन्न करों से अधिक आय प्राप्त होगी। इससे सरकार विकास योजनाओं तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों को भली-भाँति कार्यान्वित कर सकेंगी।
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