कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

माँग तथा माँग की परिभाषाएँ (Demand and Definitions of Demand)

माँग तथा माँग की परिभाषाएँ (Demand and Definitions of Demand)
माँग तथा माँग की परिभाषाएँ (Demand and Definitions of Demand)

माँग तथा माँग की परिभाषाएँ (Demand and Definitions of Demand)

“अन्य बातों के समान रहने पर किसी वस्तु या सेवा की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी हो जाती है तथा कीमत में कमी होने पर माँग में वृद्धि हो जाती है।”

-थॉमस

माँग के नियम को ठीक प्रकार से समझने के लिए सर्वप्रथम ‘माँग‘, ‘माँग अनुसूची‘ तथा ‘मांग वक्र’ के अर्थ को जानना आवश्यक है। इसलिए पहले इन अवधारणाओं के अर्थ को स्पष्ट करते हैं, उसके बाद माँग के नियमों का अध्ययन करेंगे।

मॉग का अर्थ (Meaning of Demand)

साधारण बोलचाल की भाषा में इच्छा, आवश्यकता तथा माँग शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में किया जाता है किन्तु अर्थशास्त्र में इन शब्दों का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है।

इच्छा (desire) किसी वस्तु को प्राप्त करने की लालसा को कहते हैं जिसे पूरा करने के लिए मनुष्य के पास साधन हो भी सकते हैं और नहीं भी आवश्यकता (want) किसी वस्तु को प्राप्त करने की यह इच्छा है जिसे पूरा करने के लिए मनुष्य के पास साधन (धन) होते हैं और वह इच्छा की सन्तुष्टि के लिए अपने साधनों का प्रयोग करने के लिए तैयार रहता है। माँग (demand) किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे कोई उपभोक्ता एक निश्चित कीमत पर एक निश्चित समय पर खरीदता है।

माँग की परिभाषाएँ (Definitions of Demand)

विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई माँग की परिभाषाओं को निम्न वर्गों में रखा जा सकता है-

(1) प्रभावपूर्ण इच्छा (Effective Desire)—प्रथम वर्ग में वे परिभाषाएँ आती हैं जिनमें मांग को ‘प्रभावपूर्ण इच्छा’ बताया गया है। पेन्सन (Penson) के शब्दों में, “माँग प्रभावपूर्ण इच्छा है।” प्रभावपूर्ण इच्छा में पेन्सन ने तीन बातों को शामिल किया है—(1) किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा (2) उसे खरीदने के लिए साधन का होना तथा (3) वस्तु को खरीदने के लिए साधन का प्रयोग करने की तत्परता का होना प्रो० पेन्सन की परिभाषा में कमी यह है कि इसमें माँग’ तथा ‘आवश्यकता’ को पर्यायवाची शब्द मान लिया गया है। इसके अतिरिक्त, ‘माँग’ सदैव कीमत तथा समय के सन्दर्भ में व्यक्त की जाती है।

(2) कीमत का आधार (Basis of Price)-द्वितीय वर्ग में वे परिभाषाएं आती हैं जिनमें मांग के अर्थ को कीमत के सन्दर्भ में स्पष्ट किया गया है। मिल (Mill) के शब्दों में, “माँग का अभिप्राय किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा से है जो (मात्रा) स्थिर नहीं रहती बल्कि कीमत के अनुसार परिवर्तित हो जाती है। ” वाघ (Waugh) के अनुसार, “किसी वस्तु की मांग उसकी कीमत और उस मात्रा का सम्बन्ध होता है जो कीमत विशेष पर खरीदी जाएगी। इन परिभाषाओं का प्रमुख दोष यह है कि इनमें मांग को समय से सम्बन्धित नहीं किया गया है।

(3) कीमत सवा समय का आधार (Basis of Price and Demand) तृतीय वर्ग में उन परिभाषाओं को शामिल किया गया है जिनमें मांग को कीमत तथा समय दोनों से सम्बन्धित किया गया है-(i) बेनहम (Benham) के शब्दों में, “किसी दी गई कीमत पर किसी वस्तु की माँग उस मात्रा को कहते हैं जो उस कीमत पर एक निश्चित समय पर खरीदी जायेगी। (ii) मेयर्स (Meyers) के शब्दों में, “किसी वस्तु की माँग उन मात्राओं की अनुसूची है जिन्हें कोई क्रेता समय-विशेष पर सभी सम्भव कीमतों पर खरीदने को तैयार रहता है।”

उपयुक्त परिभाषा- उपरोक्त विभिन्न मतों को ध्यान में रखकर माँग की एक उपयुक्त परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है- अर्थशास्त्र में ‘माँग’ से अभिप्राय किसी वस्तु की उस मात्रा से है जिसे उपभोक्ता किसी दिए हुए समय पर एक निश्चित कीमत पर खरीदने को तैयार होता है।

माँग सम्बन्धी पाँच तत्त्व- “माँग” कहलाने के लिए निम्न पाँच तत्वों की एक साथ उपस्थिति अनिवार्य होती है-

(1) इच्छा- किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा।

(2) पर्याप्त साधन- उस वस्तु को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त साधन (मुद्रा) का होना।

(3) तत्परता- साधनों को व्यय करने की तत्परता।

(4) समय- वस्तु की मांगी गई मात्रा का समय से सम्बन्ध |

(5) कीमत- वस्तु की मांगी गई मात्रा का कीमत से सम्बन्ध ।

 

माँग अनुसूची (Demand Schedule)

अर्थ (Meaning)- ‘मांग अनुसूची’ एक ऐसी तालिका होती है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा माँगी गई मात्राओं को प्रकट करती है। दूसरे शब्दों में, यदि हम एक ऐसी सारणी बना लें जिसमें यह दिखाया गया हो कि किसी समय-विशेष पर बाजार में किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उसकी कितनी-कितनी मात्रा खरीदी जाएगी तो ऐसी सारणी ‘माँग अनुसूची’ कहलाएगी। इस प्रकार माँग अनुसूची किसी वस्तु की कीमत तथा उसकी माँग के बीच कार्यात्मक सम्बन्ध (functional relationship) को दर्शाती है।

प्रकार (Kinds)-माँग अनुसूची दो प्रकार की होती है (1) व्यक्तिगत माँग अनुसूची (Individual Demand Schedule), जो किसी समय-विशेष पर प्रचलित निश्चित कीमत पर किसी व्यक्ति की उस वस्तु की माँग को दर्शाती है; तथा (ii) बाजार माँग अनुसूची (Market Demand Schedule) जो विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु के लिए समस्त बाजार की माँग को दिखलाती है। दूसरे शब्दों में बाजार माँग तालिका’ किसी निश्चित समय बिन्दु पर किसी वस्तु के सभी क्रेताओं की माँग सारणियों का योग होती है।

माँग वक्र (Demand Curve)

जब माँग अनुसूची में दिए गए अंकों (numerals) को रेखाचित्र के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तब ऐसा करने से जिस रेखा की रचना होती है उसे ‘माँग वक्र’ कहते हैं, अर्थात् ‘माँग वक्र’ एक ऐसा वक्र होता है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर माँगी जाने वाली विभिन्न मात्राओं को दर्शाता है। दूसरे शब्दों में, माग अनुसूची का आरेखन या ज्यामितीय रूप ‘मांग-वक्र कहलाता है। उक्त माँग अनुसूची के आधार पर अग्रांकित रेखाचित्र में मांग-थक बनाया गया है।

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Anjali Yadav

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