शिक्षण व्यवहार से आप क्या समझते हैं ? फ्लैण्डर्स के अन्तः क्रिया विश्लेषण की व्याख्या कीजिए।
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शिक्षण व्यवहार (Teaching Behaviour)
मक नरजेन्सी कार्नर (Mc Nergency and Carner) के अनुसार, “शिक्षक व्यवहार शिक्षक की विशेषताओं, उसका वातावरण और वह कार्य जिसमें वह स्वयं को संलग्न करता है, पर निर्भर करता है। “
रियान (Ryans) के अनुसार, “शिक्षक व्यवहार उन व्यक्तियों के व्यवहार या क्रियाओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता जो वे करते हैं, जिन क्रियाओं की आशा शिक्षकों से की जाती है, विशेषकर ऐसी क्रियाएँ जो क्रियाओं को सीखने के लिए निर्देशन या मार्गदर्शन से सम्बन्धित हों।”
अन्तःक्रिया विश्लेषण का अर्थ (Meaning of Interaction Analysis)
शिक्षक के व्यवहारों या क्रियाओं (Teaching Behaviours or Activities) का क्रमबद्ध निरीक्षण प्रविधि (Systematic Observations Technique) से विश्लेषण किया जा सकता है। शिक्षक की कार्यकुशलता और उसकी क्षमता का अनुमान उसके शिक्षण की प्रभावपूर्णता के रूप में लगाया जा सकता है, परन्तु शिक्षक का वस्तुनिष्ठ (Objective) मूल्यांकन शिक्षक के व्यवहारों और विद्यार्थियों के साथ होने वाली अन्तःक्रिया (Interaction) के द्वारा किया जा सकता है।
इस प्रकार अन्तःक्रिया विश्लेषण (Interaction Analysis) का अर्थ है कि कक्षा में धटने वाली प्रत्येक घटना का वस्तुनिष्ठ और व्यवस्थित निरीक्षण करने की व्यवस्था करना और प्रत्येक घटना का विश्लेषण करना होता है। अन्तःक्रिया विश्लेषण प्रणाली एक प्रकार की विशिष्ट शोध प्रक्रिया है। इसे कक्षा में होने वाली प्रत्येक घटना के अध्ययन की वैज्ञानिक विधि भी कहा जा सकता है। इस विधि की सहायता से कक्षा की सभी क्रियाओं तथा व्यवहारों का निरीक्षण कर अंकित किया जाता है।
ओवर महोदय ने अन्त में विश्लेषण को परिभाषित करते हुए कहा है, “निरीक्षण प्रणाली वह उपयोगी साधन है जिससे अधिगम की स्थितियों के चरों की अन्तःक्रिया को पहचानना, वर्गीकरण, मापन और और अध्ययन किया जाता है।”
फ्लैण्डर की अन्तः क्रिया विश्लेषण प्रणाली (Flander’s System of Interaction Analysis)
नेड ए0 फ्लैण्डर (Ned A. Flander) ने सन् 1959 में मिनीसोटा विश्वविद्यालय में इस प्रणाली का विकास किया था। मूल रूप से यह एक श्रेणी प्रणाली (Category System) है इसमें शिक्षक के कक्षा में सभी प्रकार के व्यवहारों को वर्गीकृत किया गया है।
फ्लैण्डर की यह प्रणाली सबसे सरल मानी गई है और शिक्षण प्रशिक्षण के दौरान इसमें पृष्ठपोषण (Feedback) विधि का प्रयोग किया जा सकता है। कक्षा में छात्रों और शिक्षकों के शाब्दिक व्यवहारों के वर्गीकरण के लिए अन्तःक्रिया विश्लेषण (Interaction Analysis) एक क्षणयन्त्र (Observation Tool) के रूप में कार्य करता है। इस विश्लेषण विधि का आविष्कार शाब्दिक व्यवहारों या शाब्दिक आदान-प्रदान (Verbal Communication) को रिकार्ड करने के लिए किया गया है। इस विधि में अशाब्दिक (Non-Verbal) व्यवहारों को शामिल नहीं किया गया।
फ्लैण्डर (Flander) ने छात्र और शिक्षक के व्यवहारों को दस वर्गों में विभाजित किया है। इन दस वर्गों में सात अध्यापक की वार्ता (Teacher’s Talk), दो वर्गों में छात्रों की वार्ता (Student’s Talk) और दसवें वर्ग में कक्षा में चुप्पी (Silence) के छोटे पीरियड, शोर और अव्यवस्था की स्थिति को शामिल किया गया है। इसी प्रकार सात वर्गों, जिसमें अध्यापक वार्ता शामिल है को भी दो भागों में बाँटा गया है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वर्ग (Direct and Indirect) ।
अप्रत्यक्ष प्रभाव (Indirect Influence)
इस विश्लेषण में प्रथम चार श्रेणियों में अध्यापक द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों पर प्रभाव डालने वाली अध्यापक की क्रियाओं को रखा जाता है। अप्रत्यक्ष प्रभाव निम्नलिखित चार विशिष्ट वर्गों में बाँटा गया है-
श्रेणी 1. छात्रों द्वारा प्रदर्शित भावनाओं को स्वीकृत करना (Accepts feelings)
श्रेणी 2. अध्यापक छात्रों को यह कहकर अच्छा, उचित, उत्तम, प्रशंसा करता है और प्रोत्साहन देता है। (Praises and encourages)
श्रेणी 3. इस श्रेणी में अध्यापक छात्रों के विचारों को स्वीकृत करता है न कि भावनाओं को। (Accepts or uses ideas of students)
श्रेणी 4. इस श्रेणी में छात्रों से प्रश्न पूछने होते हैं और उत्तर प्राप्त करना होता है। ( Asks Questions )
प्रत्यक्ष प्रभाव (Direct Influence)
श्रेणी 5. अध्यापक जब किसी वस्तु की व्याख्या करता है तो इस प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। (Lecturing)
श्रेणी 6. इस श्रेणी में अध्यापक छात्रों को निर्देश देता है जैसे सभी छात्र खड़े होंगे। (Giving Direction)
श्रेणी 7. जब अध्यापक कोई भाषण या बहस कर रहा हो तो कोई मूर्खता पूर्ण प्रश्न पूछे तो उसे इस श्रेणी में शामिल किया जाता है। (Criticising or Justifying authority)
छात्र वार्ता ( Student Talk)
श्रेणी 8. छात्र वार्ता में छात्र की अनुक्रिया (Student-Talk Response) इसमें अध्यापक की वार्ता की अनुक्रिया (Response) में छात्र की वार्ता शामिल होती है। इसमें अध्यापक सम्पर्क की पहल करता है लेकिन छात्रों को स्वतंत्रता अधिक नहीं होती है।
श्रेणी 9. छात्र वार्ता में पहल (Pupil Talk Initiation)- इसमें छात्र वार्ता के लिए पहल करता है। अपने विचारों को प्रस्तुत करता है और नये विषय की शुरुआत करता है। उसे अपना दृष्टिकोण विकसित करने की स्वतन्त्रता होती है।
श्रेणी 10. मौन या अव्यवस्था (Silence or Confusion) – थोड़े समय के लिए मौन, अव्यवस्था के क्षण जिसमें आदान-प्रदान की कुछ समझ नहीं आती, आदि इसी श्रेणी में शामिल हैं।
प्रेक्षण के नियम (Rules for Observation )
नियम 1. जब यह स्पष्ट न हो कि व्यवहार किस श्रेणी से सम्बन्धित है, तो पाँचवीं (5th) श्रेणी से सबसे दूर वाली श्रेणी का क्रम नम्बर नोट करना चाहिए। यदि 2 और 3 नम्बर वाली श्रेणी में निश्चय हो पाता, तो पाँचवीं श्रेणी से 2 नम्बर वाली श्रेणी ही सबसे दूर पड़ती है, अतः 2 नम्बर वाली श्रेणी ही रिकार्ड करनी चाहिए। इसी प्रकार यदि 5 और 7 नम्बर वाली श्रेणी में अस्पष्टता हो तो 7वीं श्रेणी ही नोट की जानी चाहिए।
नियम 2. यदि अध्यापक की वार्ता का रुझान लगातार प्रत्यक्ष या लगातार अप्रत्यक्ष है तो प्रेक्षण में एकदम से श्रेणी में प्रेक्षक द्वारा परिवर्तन नहीं करना चाहिए जब तक कि अध्यापक द्वारा श्रेणी परिवर्तन का स्पष्ट संकेत न मिले।
नियम 3. प्रेक्षक स्वयं अपना दृष्टिकोण प्रयोग न करे।
नियम 4. तीन सेकिण्ड में यदि एक से अधिक श्रेणियाँ सक्रिय होती हैं तो सभी श्रेणियों को रिकार्ड किया जाए। यदि तीन सेकिण्ड में कोई श्रेणी परिवर्तन नहीं होता तो उसी श्रेणी नम्बर को दोहराया जाना चाहिए।
नियम 5. यदि मौन 3 सेकिण्ड से अधिक हो तो 10वीं श्रेणी रिकार्ड की जाए।
नियम 6. छात्र को अध्यापक द्वारा नाम से पुकारने पर चौथी (4th) श्रेणी रिकार्ड की जाए।
नियम 7. यदि अध्यापक छात्र के ऊपर को दोहराये और वह उत्तर सही है तो इस व्यवहार का सम्बन्ध श्रेणी-2 से होगा।
नियम 8. यदि अध्यापक छात्र का विचार सुने और बहस के लिए स्वीकार करे तो इस व्यवहार का सम्बन्ध श्रेणी-3 से होगा।
नियम 9. यदि एक विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थी की वार्ता के बाद अपनी वार्ता शुरू कर देता है तो 9वीं और 8वीं श्रेणी के बीच श्रेणी-10 लिखी जाती है।
नियम 10. सब ठीक है, हाँ ओ० के० आदि शब्दों का सम्बन्ध श्रेणी-2 से है।
नियम 11. यदि अध्यापक किसी विद्यार्थी को निशाना बनाए और बगैर कोई मजाक करता है तो यह श्रेणी-2 है और यदि किसी छात्र को लेकर उसका मजाक उड़ाता है तो इसका सम्बन्ध श्रेणी- 7 से है।
नियम 12. यदि सभी विद्यार्थी एक छोटे से प्रश्न के उत्तर में सभी इकट्ठे बोल पड़ते हैं तो श्रेणी-8 रिकार्ड की जाती है।
सीमाएँ (Limitations)
- यह प्रणाली कक्षा की सभी क्रियाओं का विवरण नहीं देती है।
- यह अन्तः क्रिया विश्लेषण (Interaction Analysis) विषय-वस्तु से स्वतंत्र होती है।
- यह बहुत महँगी और कठिन विधि है।
- छात्र बहुल वार्ता की ओर बहुत कम ध्यान दिया गया है।
- समय बहुत अधिक लगता है।
फ्लैण्डर की अन्तःक्रिया विश्लेषण की उपयोगिता (Utility of Flander’s Interaction Analysis)
- आयु, लिंग (Sex) और विषय-वस्तु के आधार पर मैट्रिक्स बनाकर उनमें अंतर ढूंढे जा सकते हैं।
- यह विश्लेषण अध्यापकों या छात्रों-अध्यापकों को पृष्ठपोषण (Feedback) देता है। छात्र अध्यापकों (Pupil Teachers) का निरीक्षण करने वाले अध्यापक इस विधि का प्रयोग कर सकते हैं।
- कक्षा में सामाजिक-संवेगात्मक (Social Emotional) वातावरण को मापने के लिए यह एक प्रभावी यंत्र है।
- यह विधि सेवाकालीन अध्यापकों के लिए भी लाभकारी है।
- यह विधि अधिकतर अध्यापक वार्ता पर केन्द्रित है।
- कक्षा की गतिविधियों को जानने का यह विश्लेषणात्मक तरीका है।
अन्तः क्रिया मैट्रिक्स की रचना (Construction of Interaction Matrix )
आप पढ़ चुके हैं कि निरीक्षणकर्त्ता व्यवहार प्रेक्षण के आधार पर अंकन (Recording) या इनकोडिंग करता है। यह कार्य समाप्त कर लेने पर निरीक्षणकर्त्ता मैट्रिक्स रचना की तैयारी करता है।
मैट्रिक्स में 10 स्तम्भ (Columns) और 10 पंक्तियाँ (Rows) होती हैं। इस प्रकार मैट्रिक्स में 100 खाने (Cells) होते हैं। इन खानों में क्रमागत श्रेणियों की आवृत्तियाँ लिखी जाती हैं।
मैट्रिक्स की रचना से पहले निरीक्षणकर्त्ता के पास आलेख पत्र (Record Sheet ) पर श्रेणियों के क्रमांक लिखे होते हैं, उदाहरणार्थ–एक निरीक्षण ने अपने आलेख पत्र पर निम्नलिखित श्रेणियाँ अंकित की हुई हैं। 2, 3, 5, 5, 8, 9, 3, 2, 1, 5, 6, 7, 8
आप देखेंगे कि उपर्युक्त आलेख में न तो शुरू की और न अन्त की श्रेणी अंकित की गयी है इसलिए वह एक आलेख के आरम्भ और अंत में श्रेणी 10 अंकित कर देता है। इस प्रकार श्रेणियों का क्रम हो जायेगा।
10, 2, 3, 5, 6, 8, 9, 3, 2, 1, 5, 6, 7, 8, 10
इसके पश्चात् मैट्रिक्स तैयारकर्त्ता जोड़े बनाता है जोड़े बनाते समय एक श्रेणी छोड़ते जाते हैं इस प्रकार जोड़े बनेंगे-
10, 2, 3, 5, 5, 8, 9, 3, 2, 1, 5, 6, 7, 8, 10
आप देखेंगे कि पहला जोड़ा (10, 2), दूसरा (2, 3), तीसरा (3, 5) और इसी प्रकार (5, 5) (5, 8), (8, 9), (9, 3) (3, 2) (2, 1) (1, 5) (5, 6) (6, 7), (7, 8) और (8, 10) बन जाएँगे।
जोड़े बनाने के बाद इन्हें मैट्रिक्स में दर्शाया जाता है। आप देखेंगे कि पहला जोड़ा 10 और 2 का है। इसे मैट्रिक्स में अंकित करने के लिए दसवीं पंक्ति (Row) और दूसरे स्तम्भ को मिलाने वाले खाने (Cell) में अंकित किया जाएगा। इसी प्रकार 2 और 3 के जोड़े को दूसरी पंक्ति और तीसरे स्तम्भ को मिलाने वाले खाने में अंकित किया जाएगा और इसी प्रकार अन्य जोड़े भी अंकित किए जाएँगे।
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