प्रत्यक्ष निष्पत्ति प्रतिमान से आप क्या समझते हैं ? इसके उद्देश्य एवं संरचना की विवेचना कीजिए।
प्रत्यक्ष निष्पत्ति प्रतिमान (Concept Attainment Model)
इसका विकास जे. ब्रूनर ने किया है। प्राथमिक रूप से यह आगमन तर्क के विकास के लिए उपयोगी है।
(1) उद्देश्य (Focus) – इस प्रतिमान द्वारा भाषा का बोध तथा कौशल का विकास किया जाता है। प्रमुख रूप से इसका उद्देश्य आगमन तर्क (Inductive Reasoning) का विकास करना है।
(2) संरचना (Syntax)- इसमें चार सोपानों का अनुसरण किया जाता है।
प्रथम सोपान- प्रदत्तों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है, जिसमें उदाहरणों का उल्लेख करने से प्रत्ययों का विकास किया जाता है।
द्वितीय सोपान- छात्र प्रत्यय की व्यूह रचना का विश्लेषण करता है। इसमें छात्र अपने सीखने की गति का अनुसरण करता है।
तृतीय सोपान- छात्र प्रत्ययों के विश्लेषण का आलेख लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। इस सोपान का लक्ष्य ज्ञान वृद्धि करना है।
चतुर्थ सोपान- छात्र प्रत्ययों के लिए अभ्यास करते हैं। छात्रों को प्रत्यय विकास में सहायता दी जाती है।
(3) सामाजिक प्रणाली (Social System)- इस प्रतिमान के आरम्भ में शिक्षक (Social System) छात्रों की अधिक सहायता करता है। उन्हें प्रोत्साहित करता है। अन्त में शिक्षक छात्रों को ऐसी दिशा प्रदान करता है कि छात्र अपने प्रत्ययों तथा व्यूह रचना का विश्लेषण आरम्भ कर देते हैं। शिक्षक छात्रों को विश्लेषण करने के लिए अभिप्रेरणा भी देता है। छात्र सबसे सरल एवं प्रभावशाली व्यूह रचना का चयन करता है।
(4) मूल्यांकन प्रणाली (Support-System)- इस प्रतिमान में पाठ्य वस्तु की व्यवस्था इस प्रकार से की जाती है कि प्रत्ययों का बोध हो सके। अतः इसमें इस प्रकार की व्यूह-रचना की जाती है जिससे नवीन प्रत्ययों का बोध कराया जा सके। मूल्यांकन में वस्तुनिष्ठ तथा निबन्धात्मक परीक्षाओं को प्रयुक्त किया जा सकता है। लिखित परीक्षायें ही अधिक उपयोगी मानी जाती हैं।
(5) प्रयोग (Application)- इसका प्रयोग व्यापक रूप में किया जाता है। भाषा के सीखने तथा प्रत्यय भाषा-विज्ञान तथा व्यवहार के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण प्रतिमान माना जाता है। जब कभी शिक्षक अपने शिक्षण से छात्रों को किसी तथ्य का बोध सही नहीं करा पाते तब यही प्रतिमान प्रयुक्त किया जाता है। इसका प्रयोग दूरदर्शन (Television) पर भी किया जाता सकता है।
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