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Top 5 Best short stories in Hindi for Class 1 to 5th

Top 5 Best short stories in Hindi for Class 1 to 5th
Top 5 Best short stories in Hindi for Class 1 to 5th

Top 5 Best short stories in Hindi for Class 1 to 5th

1. युक्ति

एक समय की बात है। एक बरगद के पेड़ पर कौआ दम्पत्ति प्रेमपूर्वक रहा करते थे। उसी पेड़ के कोटर में एक नाग रहता था। कौवी जब अंडा देती तो नाग उन्हें चट कर जाता। बहुत समय तक यही क्रम चलता रहा, एक दिन परेशान होकर उन्होंने अपनी समस्या अपने प्रिय मित्र गीदड़ से बताई।

गीदड़ ने सारी बातें बड़े ध्यानपूर्वक सुनी और विचार कर उन्हें एक युक्ति बताई। गीदड़ ने कहा, “मित्र, चिंतित मत होओ। जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही करो। तुम महल से एक हार चुरा लाओ और नाग की कोटर में डाल देना। ध्यान रखना हार चुराते हुए तुम्हें राजसेवक अवश्य देखें।”

कौवी ने गीदड़ के अनुसार ही किया वह महल पर मंडराने लगी। रानी तालाब में सखियों के साथ नहा रही थीं। उनका हीरे का हार कपड़ों के पास रखा था। कौवी ने वह हार चोंच में दबाया और लेकर उड़ चली। रानी ने सेवकों को पुकारा, “देखो, देखो! कौआ मेरा हार ले जा रहा है। जल्दी, उसके पीछे दौड़ो।” पहरेदारों ने देखा और अपने शस्त्रों के साथ उसके पीछे दौड़ चले।

कौवी उड़ती हुई बरगद के पेड़ के पास पहुँची और बड़ी चालाकी से नाग के कोटर में हार को गिराया और स्वयं पेड़ पर बैठ गई। सेवक भी कौवी के पीछे-पीछे आए और उन्होंने कौवी को कोटर में हार गिराते हुए देख लिया। सेवक हार निकालने के लिए अपना भाला बार-बार कोटर में डालने लगे। नाग बेचारा भाले के वार से घायल होकर तेजी से बाहर भागा तो सेवकों ने उसे देख लिया और मार डाला। सेवक हार लेकर चले गए। कौआ दम्पत्ति खुशी-खुशी रहने लगे।

शिक्षा

  युक्ति बिगड़ी बात भी बना देती है। 

2. रंगा सियार

एक दिन जंगल में रहने वाला चंडरव नाम का सियार भूख से बेहाल था। खाने की तलाश में सियार इधर-उधर घूमता रहा पर उसे कहीं भी खाना नही मिला।

बहुत मशक्कतों के बाद सियार भूख मिटाने के लिए एक नगर में आ पहुँचा। वहाँ उसे कुत्तों ने घेर लिया। वे उसे नोचने लगे। सियार बचकर भागते-भागते एक धोबी के मकान में घुस गया। धोबी के मकान में नील की कड़ाही रखी हुई थी सियार नील की कड़ाही में छपाक से गिर पड़ा। कुत्तों के जाने के बाद वह बाहर निकला और जंगल में भाग गया। जब जंगल के जानवरों ने उसे देखा तो भयभीत हो गए और बोले, “अरे! यह कौन-सा जानवर हमारे बीच आ गया है?”

तब चंडरव ने सबको बुलाकर कहा, “मित्रों! मुझसे डरते क्यों हो? ईश्वर ने एक नए अवतार में मुझे तुम्हारा राजा बनाकर भेजा है।” सबने उसकी बात पर विश्वास कर लिया। सियार ने शेर को मंत्री, लोमड़ी को संत्री और बाघ को नगर-रक्षक बना दिया।

प्रतिदिन शेर, लोमड़ी और बाघ जानवरों का शिकार करते और भोजन के रूप में उसे सियार को परोसते। वह आराम की जिन्दगी जीने लगा और धीरे-धीरे अपनी असलियत भूल गया।

एक दिन उसकी सभा चल रही थी तभी पास से सियारों के एक दल ने हूकना शुरू किया। उनकी हूक सुनकर चंडरव खुशी से पागल हो गया और वह भी चिल्लाया हू ऽ ऽ, हू ऽ ऽ ।

उसकी हूक ने उसकी पोल खोल दी। शेर आदि सभी जानवर समझ गए कि यह ईश्वर का भेजा कोई नया अवतार नहीं है… यह तो सियार है, इसने हम सबको मूर्ख बनाया है। सियार ने अपनी पोल खुलती देख भागने की चेष्टा की पर शेर ने झपटकर पकड़ लिया और उसे मार दिया।

शिक्षा

 सच्चाई सामने आ ही जाती है। 

3. सीख न दीजे बानरा

किसी पर्वत के एक भाग में बंदरों का दल रहता था। एक बार भयंकर सर्दी और बर्फ से बचने के लिए सभी पेड़ के नीचे इकट्ठे हुए। उन्होंने कुछ पत्तियां और टहनियां रखीं और उस पर लाल फलों को रखकर, अग्नि कण समझकर फूंकने लगे। उन्हें ऐसा करते देखकर सूचीमुख नाम की एक चिड़िया ने कहा, “मित्र, क्या कर रहे हो? यह लाल वाली चीज आग नहीं, बेर है । “

बंदरों ने उसकी बात अनसुनी की और फूंकना जारी रखा।

सूचीमुख ने फिर प्यार से उन बंदरों को समझाया, “क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे हो। यह लाल वाली चीज आग नही बेर है। इससे तुम्हे गर्मी नही मिलने वाली. इससे अच्छा तो तुम किसी किसी गुफा या कन्दरा में जाओ।”

बंदर दल से एक बंदर ने क्रोधित होते हुए कहा, “तुमसे किसी ने सलाह मांगी क्या? तुम हमारे मामले में दखल क्यों दे रही हो?”

सरल हृदया सूचीमुख फिर भी समझाने की चेष्टा करती रही। बंदरों ने क्रोधाभिभूत होकर उसे पकड़कर पत्थर पर पटक दिया और उसका अंत हो गया।

शिक्षा

 बिना मांगे सलाह नहीं देनी चाहिए। मूर्खों को तो कभी नहीं । 

4. राजा और बंदर

एक बार की बात है – एक राजा अपने पालतू बंदर सेवक के साथ रहता था। वह राजा का विश्वासपात्र और भक्त था। राजा भी उस पर बहुत विश्वास करता था। राजमहल में कहीं भी बेरोकटोक वह आ जा सकता था।

मंत्रियों को यह अच्छा नहीं लगता था। एक बार उन्होंने राजा से जाकर कहा – “महाराज आप बंदर को इतनी छूट देकर अपना ही बुरा कर रहे हैं। एक बंदर कभी भी चतुर और स्वामीभक्त सेवक नहीं बन सकता है। हमें डर है कि कहीं यह आपके लिए खतरा न बन जाए।’

मंत्रियों की सलाह राजा को पसंद नहीं आई, बल्कि वह उन पर नाराज हो गया। कुछ दिनों के बाद भोजन के बाद राजा अंत:पुर में विश्राम करने गया। पीछे-पीछे बंदर भी गया। बिस्तर पर लेटकर राजा ने बंदर सेवक से कहा कि वह सोने जा रहा है। कोई उसे सोते समय परेशान न करे।

राजा सो गया और बंदर पंखा झलने लगा। अचानक एक मक्खी आ गई और इधर-उधर उड़ने लगी।

पंखे से बंदर उसे बार-बार हटाता पर वह बार-बार वापस आकर राजा की छाती पर बैठ जाती। बहुत समय तक ऐसा ही चलता रहा, अब बंदर को क्रोध आ गया और उसने मक्खी को मजा चखाने की सोची।

फिर से जब मक्खी राजा के ऊपर बैठी तो बन्दर ने हाथ में कटार ली और खींचकर निशाना साधकर मक्खी को मारा। मक्खी तो झट से उड़ गई पर कटार सीधे राजा के सीने में धंस गई। बंदर के इस मूर्खतापूर्ण व्यवहार से राजा की मृत्यु हो गई और बंदर आश्चर्यचकित सा सब समझने की चेष्टा करता रहा।

शिक्षा

 मूर्ख सेवकों से बिना सेवक रहना भला है। 

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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