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अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ एवं उनके वर्ग
भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषाएँ (Material Welfare Definitions)
मार्शल ऐसे प्रथम अर्थशास्त्री थे जिन्होंने 19वीं शताब्दी में अर्थशास्त्र को कटु आलोचना से बचाया। मार्शल ने ‘धन’ के स्थान पर ‘मनुष्य’ तथा उसके ‘कल्याण‘ पर बल दिया। उन्होंने बताया कि धन तो एक साधन मात्र है जबकि अर्थशास्त्रियों का ‘साध्य तो मानव के भौतिक कल्याण में वृद्धि करना है। पीगू, कैनन, वैवरीज आदि अर्थशास्त्रियों ने भी मार्शल से मिलते जुलते विचार व्यक्त किए।
(1) मार्शल (Marshall) ने सन् 1890 में प्रकाशित अपनी Principles of Economics’ नामक पुस्तक में अर्थशास्त्र को इन शब्दों में परिभाषित किया, “राजनीतिक अर्थव्यवस्था या अर्थशास्त्र मानव जीवन के साधारण व्यवसाय का अध्ययन है; यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जाँच करता है जिसका भौतिक सुख के साधनों की प्राप्ति और उपयोग से घनिष्ठ सम्बन्ध है।
(2) पीगू (Pigou) के विचारानुसार, अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का अध्ययन है; आर्थिक कल्याण सामाजिक कल्याण का वह भाग है जिसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुद्रा द्वारा मापा जा सकता है।
(3) कैनन (Cannan) के विचार में, “राजनीतिक अर्थव्यवस्था का उद्देश्य उन सामान्य कारणों की व्याख्या करना है जिन पर मनुष्यों का भीतिक कल्याण निर्भर करता है। “
(4) वैवरीज (Beveridge) के अनुसार, “अर्थशास्त्र उन सामान्य विधियों का अध्ययन है जिनके द्वारा मनुष्य अपनी मौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहयोग करते हैं। “
(5) पेन्सन (Penson) के शब्दों में, “अर्थशास्त्र भौतिक कल्याण का विज्ञान है।
मार्शल की परिभाषा की व्याख्या (विशेषताएँ) (Explanation of Marshall’s Definition)–मार्शल की परिभाषा की प्रमुख विशेषताएँ (मूल तत्त्व) निम्नवत् हैं
(1) मानव जाति का अध्ययन (Study of Mankind) अर्थशास्त्र में मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार मार्शल ने ‘धन’ की अपेक्षा ‘मनुष्य’ पर अधिक बल दिया। मार्शल के ही शब्दों में “धन मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धन के लिए।”
(2) जीवन का साधारण व्यवसाय (Ordinary Business of Life) मार्शल ने बताया कि अर्थशास्त्र मानव जाति के साधारण व्यवसाय का अध्ययन है। साधारण व्यवसाय’ में मार्शल ने मनुष्य की धन कमाने तथा उसे खर्च करने सम्बन्धी क्रियाओं को शामिल किया।
(3) सामाजिक, वास्तविक तथा सामान्य मनुष्य का अध्ययन (Study of Social, Real and Normal Man) अर्थशास्त्र केवल उन्हीं मनुष्यों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है जो समाज में रहते हैं। समाज से बाहर रहने वाले लोगों जैसे साधु, संन्यासी आदि के कार्यों का अध्ययन अर्थशास्त्र में नहीं किया जाता। इसी प्रकार पागल, शरावी, चोर आदि असामान्य व्यक्तियों की क्रियाओं का अध्ययन भी अर्थशास्त्र में नहीं किया जाता।
(4) व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं का अध्ययन (Study of Individual and Social Actions) – अर्थशास्त्र में मनुष्य की व्यक्तिगत तथा सामाजिक दोनों ही प्रकार की आर्थिक कियाओं का अध्ययन किया जाता है, अर्थात् अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है।
(5) मानव के भौतिक कल्याण का अध्ययन (Study of Human Material Welfare) – मार्शल ने बताया कि अर्थशास्त्र में मनुष्य के केवल उन्हीं कार्यों का अध्ययन किया जाता है, जिन्हें वह भौतिक कल्याण में वृद्धि करने वाले साधनों (requisites) की प्राप्ति तथा उनके उपयोग के लिए करता है। इस प्रकार अर्थशास्त्र में अभीतिक कार्यों (सेवाओं) का अध्ययन: नहीं किया जाता।
(6) विज्ञान तथा कला ( Science and Art)-मार्शल की परिभाषा के अनुसार अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों है। इसके अतिरिक्त, मार्शल ने अर्थशास्त्र को वास्तविक (Positive) तथा आदर्शात्मक (Normative) दोनों प्रकार का विज्ञान बतलाया।
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