कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

आन्तरिक व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (Internal Trade and International Trade)

आन्तरिक व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (Internal Trade and International Trade)
आन्तरिक व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (Internal Trade and International Trade)

आन्तरिक व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (Internal Trade and International Trade)

(1) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अन्तर्देशीय व्यापार का ही एक विशिष्ट रूप है।”

-ओहलीन

(2) विदेशी व्यापार विकास का इन्जन है।”

– डेनिस रॉबर्टसन

आन्तरिक व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ

आन्तरिक व्यापार का अर्थ (Meaning of Internal Trade)-किसी देश के विभिन्न स्थानों या क्षेत्रों के बीच होने वाले व्यापार को आन्तरिक या अन्तस्थानीय व्यापार’ (inter-regional trade) कहते हैं। उदाहरणार्थ, दिल्ली तथा लखनऊ के बीच होने वाला व्यापार आन्तरिक व्यापार है। आन्तरिक व्यापार को घरेलू व्यापार (domestic trade), स्थानीय व्यापार (local tradej तथा राष्ट्रीय व्यापार (national trade) भी कहते हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ (Meaning of International Trade)-जब दो या दो से अधिक देश परस्पर एक-दूसरे की वस्तुओं तथा सेवाओं का क्रय-विक्रय करते हैं तब इसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार या विदेशी व्यापार (foreign trade) कहते हैं। उदाहरणार्थ, भारत तथा जापान के मध्य होने वाला व्यापार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार’ कहलाता है।

एनातोल मुराद के अनुसार, “अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार राष्ट्रों के बीच होने वाला व्यापार है।

आन्तरिक व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में समानताएँ

(1) विनिमय का समान आधार-दोनों प्रकार के व्यापारों का आधार वस्तुओं तथा सेवाओं का परस्पर विनिमय है। दोनों का उद्देश्य कम आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं के बढ़ते अधिक आवश्यक या दुर्लभ वस्तुओं तथा सेवाओं को प्राप्त करना है।

(2) श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण- दोनों प्रकार के व्यापार श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण पर आधारित हैं। देश के कुछ भाग कुछ वस्तुओं के उत्पादन तथा निर्माण में विशिष्टीकरण प्राप्त कर लेते हैं। इसी प्रकार विदेशी व्यापार भौगोलिक श्रम विभाजन पर आधारित है। प्राकृतिक संसाधन, जलवायु आदि की भिन्नता के कारण भिन्न-भिन्न राष्ट्र विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में दक्षता प्राप्त कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, भारत को पटसन के उत्पादन में और आस्ट्रेलिया को गेहूं के उत्पादन में विशिष्टीकरण प्राप्त है।

(3) कम मूल्य पर अधिकतम सन्तुष्टि- दोनों प्रकार के व्यापारों का उद्देश्य कम मूल्य पर अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना है। आन्तरिक व्यापार के अन्तर्गत एक स्थान पर कम लागत पर तैयार की गई फालतू वस्तुओं को अन्य स्थानों को भेज दिया जाता है। यही बात अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर लागू होती है। जो वस्तुएँ जिन देशों में अधिक तथा सस्ती बनती हैं उन्हें अन्य ऐसे देश खरीद लेते हैं जहाँ ऐसी वस्तुओं की कमी होती है।

(4) अधिकतम वस्तुओं तथा सेवाओं की प्राप्ति-दोनों प्रकार के व्यापारों में एक समानता यह पाई जाती है कि दोनों के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को अधिकाधिक वस्तुओं तथा सेवाओं की प्राप्ति होती है।

(5) लाभार्जन का उद्देश्य- आन्तरिक तथा अन्तर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के व्यापारों में व्यापारियों का उद्देश्य लाभ कमाना होता है।

(6) पारस्परिक सहयोग- आन्तरिक व्यापार किसी देश के विभिन्न क्षेत्रों व राज्यों के व्यापारियों में परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं। इसी प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अन्तर्गत विभिन्न देशों के व्यापारियों के मध्य आर्थिक सम्बन्ध स्वापित हो जाने के साथ-साथ विभिन्न देशों में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ जाता है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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