कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

क्या अर्थशास्त्र कला है ? (Is Economics an Art?)

क्या अर्थशास्त्र कला है ? (Is Economics an Art?)
क्या अर्थशास्त्र कला है ? (Is Economics an Art?)

क्या अर्थशास्त्र कला है ? (Is Economics an Art?)

कला का अर्थ (Meaning of Art)– ‘कला’ का अर्थ है किसी कार्य को करने का ढंग या तरीका। दूसरे शब्दों में, ‘कला’ ज्ञान की वह शाखा है जो निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपाय बतलाती है। जे० एम० केन्ज़ के शब्दों में, “कता एक दिए हुए उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नियमों की एक प्रणाली है। वास्तविक विज्ञान तो वास्तविक स्थिति की जानकारी देता है, आदर्शात्मक विज्ञान हमारे सम्मुख उद्देश्य या लक्ष्य रखता है जबकि कला लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उपाय अथवा तरीके बतलाती है। इसीलिए कहा जाता है कि कला एक पुल है जो वास्तविक विज्ञान तथा आदर्शात्मक विज्ञान को परस्पर मिलाता है। वैगनर (Wagrier) के अनुसार, “कला उन तरीकों का निरीक्षण है जिनके द्वारा किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति की जाती है।

अर्थशास्त्र कला है—विज्ञान होने के साथ-साथ अर्थशास्त्र कला भी है। इसके अन्तर्गत हम इस बात का अध्ययन करते हैं कि विभिन्न आर्थिक समस्याओं को किस प्रकार हल किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, अर्थशास्त्र यह बतलाता है कि बेरोजगारी, अति-जनसंख्या, आर्थिक विषमताएँ, मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि आदि समस्याओं का किस प्रकार समाधान किया जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)- अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों है। साथ ही यह वास्तविक विज्ञान भी है और आदर्शात्मक विज्ञान भी। चेपमेन (Chapman) के विचारानुसार, “अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है जो आर्थिक तथ्यों की वास्तविक स्थिति से सम्बन्धित है। यह आदर्शात्मक विज्ञान है जो इस बात की जाँच करता है कि तथ्य किस प्रकार के होने चाहिए और एक कला है जो इस प्रकार के उपाय तथा साधन ढूँढता है जिनसे वांछित लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। ए

(III) अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Economics)

अर्थशास्त्र की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं

(1) केवल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन- अर्थशास्त्र में केवल मानवीय क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। पशु-पक्षी आदि की क्रियाएँ इसके क्षेत्र में नहीं आती। अर्थशास्त्र केवल ‘मानव विज्ञान’ (Hurnan Science) है।

(2) केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन-अर्थशास्त्र में मनुष्य की केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

(3) सामाजिक मनुष्य का अध्ययन- अर्थशास्त्र में केवल समाज में रहने वाले व्यक्तियों को आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। समाज से बाहर जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं आदि में रहने वाले साधु, सन्त, संन्यासी आदि व्यक्तियों की क्रियाएँ अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नहीं जाती।

(4) वास्तविक मनुष्य का अध्ययन- अर्थशास्त्र में वास्तविक मनुष्यों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। ‘वास्तविक मनुष्य’ (Real Man) से अभिप्राय उन व्यक्तियों से है जो हाड़-मांस व रक्त के बने होते हैं और जो प्रेम, दया, परोपकार, स्वार्थ आदि भावनाओं से प्रेरित होकर व्यवहार करते हैं। इस दृष्टि से अर्थशास्त्र में दानव, भूत-प्रेत आदि काल्पनिक प्राणियों की क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता।

(5) सामान्य मनुष्य का अध्ययन- अर्थशास्त्र के अन्तर्गत केवल सामान्य मनुष्यों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जसामान्य व्यक्तियों जैसे पागल, शराबी, अत्यधिक कंजूस, दिवालिया, जुआरी आदि की क्रियाओं का अध्ययन अर्थशास्त्र में नहीं किया जाता।

(6) वैधानिक आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन-अर्थशास्त्र में ऐसे व्यक्तियों का अध्ययन किया जाता है जो समाज में रहकर कानूनी सीमाओं के अन्तर्गत आर्थिक क्रियाएँ सम्पन्न करते हैं। इस दृष्टि से अर्थशास्त्र में चोर, डाकू, जेबकतरे, तस्कर आदि की गैर-कानूनी क्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जाता।

(7) मुद्रारूपी मापदण्ड अर्थशास्त्र में उन्हीं आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिन्हें मुद्रारूपी मापदण्ड द्वारा मापा जा सकता है।

(8) दुर्लभ वस्तुओं तथा साधनों का अध्ययन-अर्थशास्त्र में केवल ऐसी वस्तुओं तथा साधनों का अध्ययन किया जाता है जो दुर्लभ है, अर्थात् जिनकी पूर्ति उनकी मांग से कम है। प्रचुर मात्रा में उपलब्ध निःशुल्क पदार्थों का अध्ययन अर्थशास्त्र में नहीं किया जाता।

(9) आर्थिक नियमों में सार्वभौमिकता का अभाव- आर्थिक नियम सापेक्ष (relative) तथा अनिश्चित होते हैं, अर्थात् ये सार्वभौमिक नहीं होते। इसलिए आर्थिक नियमों में यदि अन्य वाते समान रहें (other things being equal) वाक्यांश जुड़ा रहता है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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