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प्रबन्ध एक पेशे के रूप में | Management is a trinity of profession in Hindi

प्रबन्ध एक पेशे के रूप में | Management is a trinity of profession in Hindi
प्रबन्ध एक पेशे के रूप में | Management is a trinity of profession in Hindi

क्या प्रबन्ध एक पेशा है ?

प्रबन्ध एक पेशे के रूप में ( Management is a trinity of profession )

पेशा वास्तव में निश्चित प्रतिफल के बदले विशिष्ट तकनीकी ज्ञान एवं योग्यता के आधार पर संचालित लोगों की सेवा के उद्देश्य से किया जाने वाला एक धन्धा है। पेशेवर लोगों के उदाहरण है-चिकित्सक, वैधानिक सलाहकार, इंजीनियर, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट आदि पेशा करने वाले विशिष्ट योग्यता से युक्त सेवा प्रदान करने वाले व्यक्ति होते हैं।

उपरोक्त विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि पेशे की कुछ प्रमुख विशेषताएँ होती हैं, जैसे- (i) विशिष्ट ज्ञान एवं तकनीकी योग्यता, (ii) औपचारिक प्रशिक्षण, (iii) आर्थिक स्वार्थ के स्थान पर सामाजिक दायित्व पर अधिक ध्यान देना, (iv) निश्चित आचार संहिता का पालन।

पेशे की उपरोक्त विशेषताओं के सन्दर्भ में प्रबन्ध का मूल्याकन किया जायेगा। निम्नांकित विवरण से स्पष्ट हो जायेगा कि प्रबन्ध भी एक पेशा है-

(1) आधुनिक प्रबन्ध विद्वानों का यह मत है कि प्रबन्ध भी एक पेशा है और इसको करने के लिए विशिष्टज्ञान एवं योग्यता की आवश्यकता होती है। हम यह भी कह सकते हैं कि आधुनिक प्रबन्ध विज्ञान निश्चित रूप से एक पेशा है, क्योंकि इसमें सफलता पाने के लिए विशिष्ट ज्ञान एवं उसका समुचित उपयोग, सेवा तत्व तथा ईमानदारी एवं नैतिक दृढ़ता जैसे गुणों का होना बहुत आवश्यक है। प्रबन्ध एक विशिष्ट ज्ञान तथा निपुणता है, जिसके अपने कुछ सिद्धान्त हैं।

(2) प्रबन्धकीय पेशों को करने के लिए प्रबन्धकीय प्रशिक्षण की भी आवश्यकता पड़ती है। आज देश-विदेश में अनेक प्रबन्धकीय संस्थाओं की स्थापना हो चुकी है, जिनमें व्यक्तियों को प्रबन्ध विज्ञान के समबन्ध में प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रबन्धक बनने के इच्छुक व्यक्ति इनसे प्रशिक्षण ग्रहण करके प्रबन्ध के पेशे को बढ़ाने में मदद दे रहे हैं। वैसे बिना प्रशिक्षण के भी लोग इस पेशे में प्रवेश पा जाते हैं, लेकिन उन्हें “पहले गलती करो फिर सुधारो ” वाली प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी प्रबन्धकीय प्रशिक्षण प्रदान करने वाली अनेक संस्थाओं की स्थापना हो चुकी है, जैसे— इन्स्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट, बंगलौर, दिल्ली, अहमदाबाद, पिलानी, कलकत्ता आदि ।

(3) प्रबन्धकीय पेशे में जो लोग हैं वे अपने पेशे की गरिमा को बनाये रखने के लिए अपने क्षणिक आर्थिक लाभ को भुलाकर संस्था के कल्याण के लिए अपनी समस्त योग्यता व निपुणता का प्रयोग करते हैं। अन्य पेश में भी यह बात देखने को मिलती है।

(4) यह भी स्वीकार किया जा चुका है कि केवल वही व्यक्ति सफल प्रबन्धक बन सकता है, जिसका नैतिक स्तर ऊँचा हो तथा अपनी सत्यनिष्ठा एवं न्यायशीलता से अन्य व्यक्तियों को प्रभावित करने में समर्थ हो। अन्य पेशों की तरह प्रबन्ध के पेशे में भी अखिल भारतीय प्रबन्ध मण्डल तथा अन्य प्रबन्ध संस्थाओं ने अपने सदस्यों की ईमानदारी, सच्चरित्रता तथा पेशेवर नैतिकता के आश्वासन के लिए लिखित व अलिखित आचार संहिता बनाई है, जिसका बुद्धिमान प्रबन्धक पालन करते हैं।

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रबन्ध भी एक पेशा है।

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Anjali Yadav

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