कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

भारतीय कृषि के विकास में बैंकों का योगदान

भारतीय कृषि के विकास में बैंकों का योगदान
भारतीय कृषि के विकास में बैंकों का योगदान

भारतीय कृषि के विकास में बैंकों का योगदान

जुलाई 1969 में देश के 14 बड़े व्यापारिक बैंकों तथा अप्रैल 1980 में 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। राष्ट्रीयकरण से पूर्व तक इन बैंकों ने कृषि कार्यों के लिए बहुत कम ऋण दिए थे। 1951-67 की अवधि में इन बैंकों द्वारा औद्योगिक क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण 33-596 बढ़कर 64 396 हो गए थे जबकि कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली ऋणराशि 2-296 से घटकर 10-29% रह गई थी। किन्तु राष्ट्रीयकरण के बाद से बैंकों ने कृषि विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कृषि साख के क्षेत्र में राष्ट्रीयकृत तथा अन्य बैंकों के योगदान का विवरण नीचे प्रस्तुत है

(1) ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों का शाखा विस्तार- राष्ट्रीयकरण से पहले व्यापारिक बैंकों की अधिकतर शाखाएँ शहरों तथा बड़े कस्बों में थीं। किन्तु बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से गाँवों तथा अर्द्धनगरीय क्षेत्रों में बैंक की अधिकाधिक शाखाएं खोलने पर जोर दिया गया है। जून 1969 के अन्त तक ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की शाखाओं की कुल संख्या 1.860 थी। 30 जून, 2009 को ग्रामीण क्षेत्रों में सभी वाणिज्यिक बैंकों की 32.627 शाखाएँ थीं सभी प्रकार के बैंकों की 38.1 प्रतिशत शाखाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में थीं।

(2) कृषि के लिए बैंक ऋण-कृषि क्षेत्र के लिए बैंकों द्वारा दिए गए ऋण में निरन्तर वृद्धि हुई है। वर्ष 2010-11 में सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा वाणिज्यिक बैंकों ने क्रमशः 69,076, 40,000 करोड़ रु० तथा 3,14,182 करोड़ रु० के ऋण प्रदान किए।

संस्थागत साख- सन् 2010-11 में कृषि क्षेत्र को लगभग 4.26,531 करोड़ रु० की संस्थागत साख प्रदान की गयी।

(3) लीड बैंक योजना-व्यापारिक बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों की ओर मोड़ने के लिए रिजर्व बैंक ने सन् 1969 में ‘लीड बैंक योजना’ (Lead Bank Scheme) बनाई। प्रत्येक ‘लीड बैंक’ को हर राज्य में कुछ जिले दिए गए हैं जहाँ वे कृषि सम्बन्धी नई शाखाएँ खोलते हैं। लीड बैंक अपने जिलों में ऋणों की योजना बनाने तथा सभी वित्तीय संस्थाओं में समन्वय स्थापित करने का प्रयास करता है।

(4) ग्राम ग्रहण योजना-स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कृषि को अधिकाधिक साख प्रदान करने के लिए ग्राम ग्रहण योजना (Village Adoption Scheme) प्रारम्भ की है। स्टेट बैंक जिस ग्राम को गोद लेता है उसके सजग किसानों को सभी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान करता है। अब तक स्टेट बैंक द्वारा लगभग 67.081 ग्रामों को विकास के लिए गोद लिया जा चुका है। इन गांवों में 80% ऐसे किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है जिनके पास 10 एकड़ से भी कम भूमि है। स्टेट बैंक की कुल साख का 159% कृषि साख है। कृषि क्षेत्र को दिए गए ऋणों में 7396 ऋण छोटे तथा सीमान्त किसानों को दिए गए हैं।

(5) ग्रामीण विकास शाखाएँ-सन् 1969 से स्टेट बैंक ने किसानों को बीज, खाद, ट्रैक्टर आदि खरीदने, प्रोसेसिंग करने, गोदामों में माल रखने ट्यूबवैन का निर्माण करने आदि कार्यों के लिए ऋण देने प्रारम्भ कर दिए हैं। इसके लिए कृषि विकास शाखाएँ (Agricultural Development Branches) खोली गई हैं जिनके कार्यक्षेत्र में देश के 1.21.120 गाँव आते है। ऐसी शाखाएं गहन कृषि विकास केन्द्रों में स्थापित की जा रही हैं। प्रत्येक शाखा को लगभग 100 ग्रामीण क्षेत्रों का कृषि विकास करना होता है।

(6) ग्रामीण आधारिक संरचना विकास कोष-नाबार्ड ने इस कोष में सिंचाई, पुल, सड़कें आदि की विभिन्न परियोजनाओं के लिए वर्ष 2009-10 में लगभग 1.03.718 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए हैं।

(7) समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम- ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी उन्मूलन के लिए यह एक प्रमुख सरकारी कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत अब तक 9,670 करोड़ रु० सब्सिडी के रूप में वितरित किए गए हैं जिनसे 5 करोड़ परिवारों को लाभ पहुंचा है।

(8) ग्रीन कार्ड योजना-सन् 1990 में खरीफ की फसल अवधि में स्टेट बैंक ने ‘कृषि साख कार्य’ प्रारम्भ किया था। ग्रीन कार्ड द्वारा किसान कृषि आगतों (inputs) के लिए आसानी से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। यह योजना पहले 125 केन्द्रों में प्रारम्भ की गई थी। ग्रीन कार्ड की अवधि तीन वर्ष होती है। इस योजना के कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया है।

(9) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक- ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर वर्गों, छोटे तथा सीमान्त किसानों, भूमिहीन मजदूरों, दस्तकारों तथा उद्यमियों को ऋण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks) की स्थापना की गई है।

(10) राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development (NABARD)- ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा के लिए देश में एक नया बैंक खोला गया है जिसकी स्थापना 12 जुलाई, 1982 को की गई थी। इस बैंक को कृषि साख के सर्वोच्च बैंक (Apex Bank) के रूप में स्थापित किया गया है। यह चेक ऐसे उपाय अपनायेगा जिनके फलस्वरूप संस्थागत ग्रामीण साख संरचना को सुदृद्द किया जा सके। इस बैंक के प्रमुख कार्य निम्नांकित है.

(1) यह बैंक कृषि कार्यों के लिए राज्य सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 18 माह का अल्पकालीन ऋण प्रदान करता है।

(11) यह कृषि तथा ग्रामीण विकास हेतु 18 माह से 7 वर्ष तक का मध्यकालीन ऋण राज्य सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को देता है।

(il) यह कृषि तथा ग्रामीण विकास हेतु भूमि विकास बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, अनुसूचित बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं को दीर्घकालीन ऋण प्रदान करता है।

(iv) ग्रामीण विकास के सम्बन्ध में यह बैंक भारत सरकार के एजेन्ट के रूप में कार्य करता है। यह बैंक कृषि पुनर्वित्त तथा विकास निगम तथा रिज़र्व बैंक के ग्रामीण साख विभाग के सभी कार्य करता है। नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्र को सामान्य रूप से तथा लघु व सीमान्त किसानों एवं अन्य निर्धन ग्रामीण वर्ग को विशेष रूप से साख की उचित मात्रा में पूर्ति करने का प्रयत्न करता है।

पुनर्वित्त-नावाई राज्य सहकारी बैंकों, राज्य सरकारों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त की सुविधा उपलब्ध कराता है।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना- सन् 1998-99 में नाबार्ड ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना तैयार की इस योजना का उद्देश्य किसानों की उत्पादक ऋण सम्बन्धी आवश्यकताओं हेतु ऋण उपलब्ध कराना है। सितम्बर 2010 तक सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय, बैंको तथा वाणिज्यिक बैंको द्वारा 9701.64 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जा चुके थे।

(11) ऋण माफी योजना-जुलाई 2008 तक 2-98 करोड़ सीमान्त व छोटे किसानों के 50.254 करोड़ रू० के ऋण माफ किए गए। जबकि 65.82 लाख अन्य किसानों को 16,223 करोड़ रू० की ऋण अदायगी में राहत दी गई।

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Anjali Yadav

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