कृषि अर्थशास्त्र / Agricultural Economics

माँग की मूल्य सापेक्षता (लोच) की श्रेणियाँ (Degrees of Price Elasticity of Demand)

माँग की मूल्य सापेक्षता (लोच) की श्रेणियाँ (Degrees of Price Elasticity of Demand)
माँग की मूल्य सापेक्षता (लोच) की श्रेणियाँ (Degrees of Price Elasticity of Demand)

माँग की मूल्य सापेक्षता (लोच) की श्रेणियाँ (Degrees of Price Elasticity of Demand)

विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की माँग की मूल्य सापेक्षता एकसमान नहीं होती; अर्थात् भिन्न-भिन्न वस्तुओं की मांग की मूल्य सापेक्षता भिन्न-भिन्न होती है। फिर एक ही वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उसकी माँग की मूल्य सापेक्षता भिन्न-भिन्न होती है। अर्थशास्त्रियों ने माँग की मूल्य सापेक्षता की निम्न पाँच श्रेणियों (degrees) बताई है—

(1) पूर्णतया मूल्य सापेक्ष माँग (Perfectly Elastic Demand) इसे पूर्णतया लोचदार माँग अथवा अनन्त जोशील साँगा भी कहते हैं। जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन हुए बिना ही अथवा नाममात्र का परिवर्तन होने पर उसकी माँग में बहुत अधिक (भारी कमी या वृद्धि) परिवर्तन हो जाता है तब ऐसी माँग पूर्णतया मूल्य कहलाती है। दूसरे शब्दों में, जब किसी वस्तु की कीमत के स्थिर (पथावत्) रहने पर भी उसकी माँग में अत्यधिक कमी या वृद्धि हो जाती है तो ऐसी मांग को पूर्णतया मूल्य सापेक्ष माँग कहते हैं। माँग की मुख्य सापेक्षता (लोच) की यह स्थिति सैद्धान्तिक तथा काल्पनिक है तथा व्यावहारिक जीवन में सामान्यतः नहीं पाई जाती।

उदाहरण (Example)- यदि किसी वस्तु की कीमत के स्थिर रहने पर उसकी माँग में 40% की वृद्धि हो जाती है अथवा कीमत में केवल 296 वृद्धि होने पर माँग घटकर शून्य हो जाती है तो ऐसी माँग पूर्णतया लोचदार (मूल्य सापेक्ष) मग कहलायेगी। इस प्रकार की माँग की तोच असीमित या अनन्त होती है।

(2) अत्यधिक मूल्य सापेक्ष या लोचदार माँग (Highly Elastic Demand) किसी वस्तु की माँग अत्यधिक मूल्य सापेक्ष मग अथवा इकाई से अधिक लोचदार माँग (greater than unitary elastic demand) तब होती है जबकि किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर उसकी माँग में अधिक 1 पूर्णतया मूल्य सापेक्ष मांग आनुपातिक परिवर्तन होता है। उदाहरणार्थ, यदि किसी वस्तु की कीमत में 159% की कमी होने पर उसकी मांग में 30% की वृद्धि हो जाती है तो मांग की मूल्य सापेक्षता निम्न प्रकार होगी-

Ep= 30% (मांग में प्रतिशत परिवर्तन) /15% (कीमत में प्रतिशत परिवर्तन) = 2 (इकाई से अधिक लोचदार माँग)

(3) मूल्य सापेक्ष माँग या इकाई लोचदार माँग (Elastic Demand or Unity Elastic Demand) जब किसी वस्तु की मांग में परिवर्तन उसी अनुपात में होता है जिस अनुपात में उसकी कीमत में परिवर्तन होता है तो ऐसी वस्तु की माँग मूल्य सापेक्ष (या इकाई लोचदार माँग) कहलाती है। उदाहरणार्थ, यदि किसी वस्तु की कीमत में 25 प्रतिशत वृद्धि होने पर उसकी माँग में 25 प्रतिशत की कमी हो जाती है अथवा कीमत में 20 प्रतिशत कमी होने पर माँग में 20 प्रतिशत वृद्धि हो जाती है तो वस्तु की माँग इकाई मूल्य सापेक्ष माँग (e=1) कही जायेगी।

(4) मूल्य निरपेक्ष या वेलोचदार माँग (Inelastic Demand) ऐसी माँग को ‘इकाई से कम लोचदार माँग’ (less than unitary elastic demand) भी कहते हैं। किसी वस्तु की माँग ‘बेलोचदार माँग’ तब कहलाती है जबकि उसकी माँग में आनुपातिक परिवर्तन उसकी कीमत में हुए आनुपातिक परिवर्तन से कम होता है। उदाहरणार्थ, यदि किसी वस्तु की कीमत में 50% कमी होने पर उसकी माँग में केवल 25% वृद्धि होती है तो इसे मूल्य निरपेक्ष या बेलोचदार माँग’ कहेंगे।

(5) पूर्णतया मूल्य निरपेक्ष या पूर्णतया बेलोच माँग (Perfectly Inelastic Demand) – किसी वस्तु की माँग पूर्णतया मूल्य निरपेक्ष तब होती है जब उसकी कीमत में थोड़ा या अधिक परिवर्तन (कमी या वृद्धि होने पर उसकी माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता। दूसरे शब्दों में, जब वस्तु की कीमत में मामूली या भारी कमी अथवा वृद्धि होने पर भी उसकी माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो ऐसी माँग को ‘पूर्णतया मूल्य निरपेक्ष माँग’ कहते हैं। माँग की ऐसी स्थिति भी सैद्धान्तिक तथा अव्यावहारिक है क्योंकि वास्तविक जीवन में माँग की पूर्ण मूल्यनिरपेक्षता के उदाहरण प्रायः देखने को नहीं मिलते।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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