हिन्दी साहित्य

व्यावसायिक पत्र क्या है? व्यावसवायिक पत्र का प्रारूप

व्यापारिक या व्यावसायिक पत्र किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
व्यापारिक या व्यावसायिक पत्र किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।

व्यावसायिक पत्र क्या है? व्यावसवायिक पत्र का प्रारूप प्रस्तुत कीजिए।

व्यावसायिक पत्र- निश्चय ही व्यावसायिक हिन्दी एक विशिष्ट प्रयुक्ति क्षेत्र की भाषा है। व्यावसायिक आर्थिक शब्दावली और भाषिक विन्यास का उपयोग वाणिज्य और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े लोग ही करते हैं। वस्तुतः अर्थतंत्र के समस्त प्रक्षेत्रों में भाषाप्रयुक्ति द्वारा जिन प्रविधियों द्वारा वाणिज्य और विभिन्न आर्थिक कार्य सम्पन्न होते हैं, वही व्यावसायिक हिन्दी है। उत्पादन, वितरण, क्रय-विक्रय, बैंकिंग, बीमा, ऋण-विपणन, यातायात, आयात-निर्यात, थोक एवं खुदरा व्यापार की विभिन्न दिशाओं में व्यावसायिक हिन्दी प्रयुक्त होती है। सोना उछला, चाँदी लुढ़की, दाल नरम, जीरा गरम, मिर्च तेज, काजू गिरा जैसे शब्द प्रयोग केवल व्यावसायिक क्षेत्र में ही विशेष अर्थ में स्वीकृत हैं। थोक, खुदरा, फुटकर, माल, नग, चुंगी, दलाल, रोकड़, मांग, गद्दी, बही, हुंडी, दावा, नकद, हर्जाना, मॅदड़िया, बिकवाली खाता, लाभांश, निवेश, बीजक, बट्टा, चुकता, प्रतिभूति जैसे अनगिनत शब्द इसी व्यावसायिक हिन्दी के अंग हैं। ऐसे शब्दों का इन आर्थिक सन्दर्भों में उपयोग केवल व्यावसायिक भाषा में ही होता है। इस नाते व्यावसायिक हिन्दी भाषा प्रयुक्ति का ऐसा विशिष्ट क्षेत्र है, जो वाणिज्य व्यवसाय के साथ हिन्दी के अन्तः सम्बन्धों को उजागर करता है। व्यावसायिक हिन्दी का व्यवहार क्रय-विक्रय और आर्थिक लेन-देन के विभिन्न स्तरों पर होता है। व्यावसायिक पत्राचार भाषा प्रयुक्ति का सबसे महत्वपूर्ण प्रक्षेत्र है, क्योंकि समकालीन व्यवसाय जगत में व्यावसायिक पत्रों का अपरिहार्य महत्व स्वीकारा गया है। आज के – प्रतिस्पर्धात्मक एवं अर्थकेन्द्रित वातावरण में व्यावसायिक पत्राचार केवल सूचना का साधन नहीं है, अपितु यह वाणिज्य, विक्रय, प्रचार और सम्पर्क का सबसे प्रभावशाली साधन भी है। आदर्श और अच्छे व्यावसायिक पत्र से तात्पर्य उस पत्र से है जो व्यापारिक आर्थिक उद्देश्य की प्राप्ति में पूर्णतः सफल हो । प्रत्येक व्यावसायिक पत्र व्यापारिक सम्बन्धों का सेतु होता है। वह न केवल व्यावसायिक प्रतिष्ठान का प्रतिनिधि और प्रवक्ता होता है अपितु व्यावसायिक उद्देश्य के सारे क्रियाकलापों का उत्तरदायी भी होता है। इससे व्यवसाय को प्रोत्साहन और प्रसार मिलता है। व्यावसायिक पत्र क्रेता और विक्रेता के बीच सम्बन्धों को प्रभावशाली बनाता है तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान की छवि सहेजता है। व्यावसायिक-पत्रों का उपयोग व्यापार के प्रोत्साहन, वाणिज्य के प्रमाणीकरण, साख के निर्माण, समय और धन की बचत, विज्ञापन और पथ-प्रदर्शन के लिए किया जाता है। इसीलिए अच्छे व्यावसायिक पत्र में स्पष्टता, पूर्णता, सत्यता, शिष्टता, संक्षिप्तता, सरलता, प्रभावात्मकता, स्वच्छता, मौलिकता और आत्मीयता का होना आवश्यक है। इन आंतरिक गुणों के साथ-ही-साथ व्यावसायिक पत्र का बाह्य कलेवर भी आकर्षक एवं प्रभावशाली होना चाहिए, तभी उसका वांछित असर होता है। व्यावसायिक पत्र न तो व्यक्तिगत पत्रों की भाँति भावात्मक होता है और न प्रशासनिक पत्रों-सा ठेठ औपचारिक होता है। उसमें प्रयोजन की औपचारिकता और पत्र लेखक की आत्मीयता का अनूठा संगम होना चाहिए। किसी भी व्यावसायिक पत्र के दस प्रमुख अंग होते है-

(1) शीर्षक, (2) तिथि, (3) प्राप्त करने वाले का पता, (4) संदर्भ, (5) सम्बोधन, (6) विषय, (7) उद्देश्य, (8) समापन (9) हस्ताक्षर, और (10) संलग्नक

शीर्षक से तात्पर्य व्यापारिक प्रतिष्ठान का नाम / पता मुद्रित, सुन्दर और आकर्षक प्रारम्भ से है। इसमें प्रतिष्ठान का पूरा पता, दूरभाष, फैक्स संख्या और व्यवसाय की प्रकृति का निर्देश रहता है। इसके नीचे पत्र भेजने की तिथि और फिर पत्र प्राप्त करने वाले का पूरा पता लिखा होता है। यदि पत्राचार किसी पूर्व व्यापारिक सम्पर्क के सिलसिले में किया जा रहा है, तो प्राप्तकर्ता के पते के नीचे तत्संबंधी संदर्भ का उल्लेख किया जाता है। इसके बाद शिष्टाचारवश सम्मान या स्नेहसूचक सम्बोधन आवश्यक है। महोदय, महाशय, आदरणीय, प्रिय आदि शब्द इस रूप में प्रयुक्त होते हैं। व्यावसायिक पत्रों में इन सम्बोधनों के साथ नमस्कार या प्रणाम जैसा कोई अभिवादन नहीं किया जाता है। इसके बाद पत्र लेखक अपने पत्र के मुख्य विषय का उल्लेख करता है और फिर अपना विशिष्ट उद्देश्य व्यक्त करता है। पत्र का समापन करते हुए अंत में अपने विचार या पत्र का सारांश प्रस्तुत करने के बाद पत्र लेखक अपने हस्ताक्षर प्रतिष्ठान की ओर से करता है। इन सभी अंगों से समन्वित व्यावसायिक पत्र का आदर्श प्रारूप इस प्रकार है-

प्रतिष्ठान का नाम
प्रतिष्ठान का पता
व्यवसाय का विवरण।

दूरभाष संख्या……..
तार / फैक्स संख्या….

दिनांक..
प्रापक का पता….

संदर्भ सं……..
सम्बोधन…….
पत्र का मुख्य विषय……
पत्र का उद्देश्य……….
पत्र का समापन………

प्रेषक के हस्ताक्षर
……………पद

संलग्नक…………

वर्तमान में जितने प्रकार के व्यावसायिक कार्यकलाप हैं, उतनी ही विविधता व्यावसायिक पत्रों में है। अनेक प्रकार के व्यावसायिक पत्र लिखे जाते। लेकिन कुछ ऐसे व्यावसायिक पत्र है जो प्रायः सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लिखे जाते हैं।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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