शिक्षाशास्त्र / Education

शैक्षिक मापन एवं मूल्यांकन के उद्देश्य एवं महत्व | Objectives and Importance of Educational Measurement and Evaluation

शैक्षिक मापन एवं मूल्यांकन के उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।

शैक्षिक मापन तथा मूल्यांकन के उद्देश्य 

शैक्षिक मापन एवं मूल्यांकन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  1. छात्रों की वृद्धि एवं विकास में सहायता करना।
  2. छात्रों की शैक्षिक प्रगति के बाधक तत्वों को जानना।
  3. छात्रों द्वारा अर्जित ज्ञान की जाँच करना।
  4. छात्रों की वृद्धि एवं विकास में उत्पन्न अवरोधों को जानना।
  5. छात्रों में प्रतियोगिता की भावना विकसित करना।
  6. छात्रों की कमियों व कठिनाईयों को जानना व उनका निवारण करना।
  7. छात्रों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं की जानकारी करना।
  8. छात्रों को अधिगम के लिए प्रेरित करना।
  9. विद्यालयों के कक्षा शिक्षण में सुधार करना।
  10. शैक्षिक मानकों का निर्धारण करना।
  11. छात्रों का विभिन्न दृष्टियों से चयन करना।
  12. शिक्षण विधियों तथा सहायक सामग्री की उपादेयता को ज्ञात करना।
  13. छात्रों का योग्यता आधारित वर्गीकरण करना।
  14. अध्यापकों की शिक्षण प्रभावशीलता को ज्ञात करना।
  15. कक्षा-उन्नति व रोजगार के लिए शैक्षिक योग्यता का प्रमाण पत्र देना।
  16. छात्रों के शैक्षिक तथा व्यावसायिक निर्देशन के लिए आधार तैयार करना।
  17. पाठ्यक्रम में सुधार के लिए आधार तैयार करना।

मापन तथा मूल्यांकन का महत्व

 शिक्षा प्रक्रिया से सम्बन्धित विभिन्न व्यक्तियों विशेषकर छात्रों, अध्यापकों, प्रशासकों तथा समाज के लिए मापन तथा मूल्यांकन का अत्यन्त महत्व है। छात्र को अपनी प्रगति और योग्यता का पता चलता है जिससे उसमें आत्मविश्वास का विकास होता है। उसे अध्ययन और परिश्रम करने की प्रेरणा मिलती है। अध्यापक को अपने शिक्षण विधि और शिक्षा योजना में सुधार करने का अवसर मिलता है। शिक्षा प्रशासक तथा नीति निर्धारक भी मापन व मूल्यांकन के परिणामों का उपयोग शैक्षिक प्रशासन की व्यवस्था तथा नीति निर्माण में करते हैं। अभिभावक को अपने बालकों की सही प्रगति का ज्ञान होता है। संक्षेप में इसके महत्व को अग्रांकित बिन्दुओं से व्यक्त किया जा सकता है-

  1. मापन तथा मूल्यांकन से शिक्षाशास्त्री, प्रशासक, अध्यापक, छात्र तथा अभिभावक शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति की सीमा को जान सकते हैं।
  2. मापन तथा मूल्यांकन उचित शैक्षिक निर्णय लेने के लिए आवश्यक है।
  3. मापन तथा मूल्यांकन द्वारा उपयुक्त छात्रों को उपयुक्त कक्षाओं में प्रवेश देने में सहायता मिलती है।
  4. मापन तथा मूल्यांकन शिक्षण के उद्देश्यों को स्पष्ट करता है।
  5. बालकों की विशिष्ट योग्यताओं की जाँच के आधार पर उन्हें उपयुक्त विषयों के चयन में सहायता दी जा सकती है।
  6. मापन तथा मूल्यांकन के आधार पर पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों सहायक सामग्री आदि में आवश्यक सुधार किया जा सकता है।
  7. मापन तथा मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को शैक्षिक तथा व्यावसायिक निर्देशन दिया जा सकता है।
  8. मापन तथा मूल्यांकन छात्रों को अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करता है।
  9. मापन तथा मूल्यांकन कक्षा शिक्षण में सुधार लाता है। अध्यापक को अपनी कमी ज्ञात हो जाती है। जिससे वह अपने शिक्षण को अधिक सुसंगठित कर लेता है।
  10. मापन तथा मूल्यांकन से छात्रों को रूचियों, अभिरूचियों, कुशलताओं, योग्यताओं, दृष्टिकोणों एवं व्यवहारों की जाँच का ज्ञान सम्भव है।
  11. मापन तथा मूल्यांकन विधि के द्वारा पाठ्यक्रम, विषयवस्तु एवं सहायक पुस्तकें, शिक्षण कियायें, शिक्षण विधियों आदि सभी का निरूपण करने से सहायता मिलती है।

विद्यालय की गतिविधियों में सुधार लाने के लिए भी मापन और मूल्यांकन अत्यधिक उपयोगी है। इस प्रकार शिक्षा में मापन व मूल्यांकन कार्यक्रम बालक, शिक्षक तथा शिक्षण प्रक्रिया के सभी पहलुओं में पग-पग पर सहायता करता है ताकि शिक्षा के उद्देश्यों को अच्छे से अच्छे ढंग से प्राप्त किया जा सके।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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