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अनौपचारिक संगठन की परिभाषा इसकी प्रमुख विशेषताएँ, लाभ एवं दोष

अनौपचारिक संगठन की परिभाषा इसकी प्रमुख विशेषताएँ, लाभ एवं दोष
अनौपचारिक संगठन की परिभाषा इसकी प्रमुख विशेषताएँ, लाभ एवं दोष

अनौपचारिक संगठन को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रमुख विशेषताएँ, लाभ एवं दोषों की विवेचना कीजिए !

अनौपचारिक संगठन (Informal Organisation)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे किसी एक निश्चित ढाँचे में नहीं बाँधा जा सकता। जहाँ सभी लोग मिल-जुलकर कार्य करते हैं वहीं उनमें निरन्तर सम्पर्क उत्पन्न हो जाते हैं। इन्हीं सम्बन्धों एवं समूहों की अनौपचारिक संगठन कहा जाता है। इसमें निरीक्षक-अधीनस्थ सम्बन्ध नहीं होते और किसी भी व्यक्ति के अधिकार व कर्त्तव्य स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं होते। इसमें कोई नियम या सीमायें निर्धारित नहीं की जाती। प्रत्येक सदस्य स्वेच्छा से सम्बन्ध रखता है। इसकी प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

हिक्स एवं गुलैट के अनुसार, “अनौपचारिक संगठन अशासकीय एवं अनधिकृत सम्बन्धों से निर्मित होता है जो कि औपचारिक संगठन में व्यक्तियों एवं समूहों के मध्य अनिवार्य रूप से घटित होते हैं।”

मैसी के अनुसार, ” अनौपचारिक संगठन मानवीय अन्तर्क्रियाओं का वह समूह है, जो स्वतः स्वाभाविक तौर से लम्बे समय तक साथ रहने से उत्पन्न हो जाता है।”

उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन के स्पष्ट है कि अनौपचारिक संगठन व्यक्तिगत एवं सामाजिक सम्बन्धों का एक ऐसा जाल है जो बिना किसी योजना के स्वतः विकसित होता है।

अनौपचारिक संगठन की विशेषताएँ (characteristics of Informal Organisation)

अनौपचारिक संगठन की परिभाषाओं के आधार पर इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) इसका निर्माण स्वतः होता है।

(ii) यह व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए बनाया गया सामाजिक ढाँचा है।

(iii) इन संगठनों का औपचारिक संगठन चार्टों में कोई भी स्थान नहीं होता।

(iv) यह सामाजिक नियन्त्रण के माध्यम के रूप में कार्य करता है।

(v) प्रबन्धकीय क्रम-बद्धता के सभी स्तरों पर इसे पाया जा सकता है।

(Vi) इसके स्वयं के कुछ नियम व परम्पराएँ हैं जो कि लिखे नहीं जाते अपितु जिनका सामान्यतः पालन किया जाता है।

(vii) यह रीति-रिवाजों, पारस्परिक सम्बन्धों तथा सामाजिक समूहों की आदतों से विकसित होता है।

(viii) यह सम्पूर्ण संगठन के अभिन्न अंग के रूप में निर्मित होता है।

अनौपचारिक संगठन के लाभ (Advantages of Informal Groups )

अनौपचारिक संगठनों से एक संगठन तथा समाज को तथा सदस्यों को बहुत से लाभ होते हैं। यही कारण है कि इनका अस्तित्व बना रहता है और सभी संगठनों में हमें अनौपचारिक समूह देखने को मिलते हैं।

अनौपचारिक समूह के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

(i) ये समूह एक सुखद तथा सन्तुष्टिपूर्ण वातावरण स्थापित करते हैं।

(ii) अपने सदस्यों की सभी आवश्यकताओं तथा इच्छाओं को आसानी से स्पष्ट करते हैं।

(iii) अनौपचारिक समूह आपसी सहयोग को बढ़ाते हैं जिससे उनकी कार्यकुशलता में भी वृद्धि होती हैं।

(iv) अनौपचारिक समूह के माध्यम से सन्देशवाहन की सुविधा बढ़ती है। अनौपचारिक समूह अनुसंधान तथा नव-प्रवर्तन को प्रोत्साहन देते हैं। अनौपचारिक समूह औपचारिक संगठनों की कमियों को दूर करके उन्हें प्रभावशील बनाने में सहयोग देते हैं।

(v) अनौपचारिक समूहों के माध्यम से समन्वय तथा समायोजन के कार्य में भी सहायता मिलती है। ये समूह अपने सदस्यों को बाहरी दबाव से भी मुक्त रखते हैं।

औपचारिक संगठन के दोष (Disadvantages of Formal Organisation)

औपचारिक संगठन के निम्नलिखित प्रमुख दोष हैं, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता-

(i) अनौपचारिक सन्देशवाहन आवश्यक होते हुए भी कठिन हो जाता है।

(ii) विभिन्न व्यक्तियों एवं विभागों के कार्यों में समन्वय करने में कठिनाई आती है।

(iii) इस संगठन में मानवीय भावनाओं की अनदेखी की जाती है क्योंकि इसमें कर्मचारियों और अधिकारियों की अपेक्षा नियम अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

(iv) सामाजिक संगठनों की भावनाओं एवं मान्यताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता ।

(v) संगठन की इस प्रणाली में अधिकारों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग किया जाता ।

(vi) इस संगठन में अधिकारी और अधीनस्थ के बीच किसी भी समय तनाव बढ़ने की सम्भावना रहती हैं।

(vii) श्रम के विशिष्टीकरण के कारण दृष्टिकोण संकुचित हो जाता है और विशिष्टीकरण के सभी दोष उत्पन्न हो जाते हैं।

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Anjali Yadav

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