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औपचारिक संगठन से क्या आशय है ? औपचारिक संगठन की विशेषताएँ, लाभ एवं दोष

औपचारिक संगठन से क्या आशय है ? औपचारिक संगठन की विशेषताएँ, लाभ एवं दोष
औपचारिक संगठन से क्या आशय है ? औपचारिक संगठन की विशेषताएँ, लाभ एवं दोष

औपचारिक संगठन से क्या आशय है ?

औपचारिक संगठन (Formal Organization)

औपचारिक संगठन से आशय उस संगठन से है जिसमें प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों के अधिकार कर्त्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों की स्पष्ट रूप से व्याख्या की जाती है। इस प्रकार के संगठनों में अधिकार उच्च स्तर से निम्न स्तर की ओर प्रत्यायोजित होते हैं और पूरी संगठन संरचना संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयत्न करती है। यह एक ऐच्छिक संगठन है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की कार्य सीमा निर्धारित होती है ओर उसे निश्चित व आदेशों का कठोरता से पालन करना होता है। औपचारिक संगठन की प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

जार्ज आर टैरी के अनुसार, “पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु शासकीय अनुमति के द्वारा बनाया या संगठन औपचारिक संगठन है।”

चेस्टर आई० बर्नाडे के अनुसार, “जब किसी संगठन के दो या दो से अधिक व्यक्तियों की क्रियाओं को किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चेतनापूर्वक समन्वित किया जाता है तो ऐसा संगठन औपचारिक संगठन कहलाता है। “

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि पद्धतियों, नियमों, नीतियों तथा कम्पनी के नियन्त्रणों पर परिभाषित मानवीय पारस्परिक सम्बन्ध का स्वरूप ही औपचारिक संगठन का निर्माण करता है।

औपचारिक संगठन की विशेषताएँ (Characteristics of Organization)

औपचारिक संगठन की अग्रलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं-

(i) इस प्रकार का संगठन पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बनाया जाता है।

(ii) यह संगठन पूर्णरूपेण अव्यक्तिगत होता है।

(iii) इसका मुख्य आधार अधिकार सौंपना होता है।

(iv) इस संगठन में प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर अधिकार, दायित्व और कर्त्तव्यों की स्पष्ट व्याख्या की जाती है।

(v) इस संगठन में श्रम विभाजन का प्रयोग सम्भव है।

(vi) अधिकार एवं दायित्वों के स्पष्टीकरण के लिए संगठन चार्ट और मैनुअल का प्रयोग किया जाता है।

(vii) कार्य का विशिष्टीकरण और निर्देश की एकता इसके मुख्य सिद्धान्त हैं।

(viii) इस संगठन में पद (position) को आधार बिन्दु मानकर कार्य किया जाता है।

(ix) इस संगठन में सत्ता की क्रमबद्धता का कठोरता के साथ पालन किया जाता है।

(x) इस प्रकार के संगठन में नियमों, नीतियों, पद्धतियों और प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है।

औपचारिक संगठन के लाभ (Advantages of Formal Organization)

इस संगठन के निम्नलिखित प्रमुख लाभ हैं-

(i) इस संगठन में किसी व्यक्ति विशेष की आवश्यकता से अधिक महत्व नहीं दिया जाता।

(ii) कार्य का दोहरीकरण संभव नहीं है।

(iii) अधिकार दायित्व एवं कर्तव्यों की स्पष्ट व्याख्या (clear-cut, certain and far from confusion) होने के कारण आपसी मतभेदों की सम्भावना नहीं रहती।

(iv) कोई व्यक्ति अपने कार्य में टाल-मटोल नहीं कर सकता क्योंकि उसका कार्य निश्चित होता है।

(v) इस संगठन में कार्यों के सही प्रमाप होने के कारण उद्देश्यों को प्राप्त करना सरल है।

(vi) इस विधि में सभी कार्य पूर्व-निर्धारित नियमों के अनुसार होते हैं। अतः किसी प्रकार का पक्षपात नहीं किया जाता।

(vii) इस विधि में व्यक्ति को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना कि प्रणाली को दिया जाता है। अतः प्रणाली अधिक महत्वपूर्ण होती है।

(viii) इस विधि में अधिकार एवं दायित्वों की स्पष्ट व्याख्या एवं विभाजन के कारण सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों में मधुर सम्बन्ध बने रहते हैं।

(ix) इस विधि में क्रिया और कर्मचारी के बीच आसानी से समन्वय किया जा सकता है।

(x) औपचारिक संगठन तर्क संगत, व्यवस्थित तथा आदेशात्मक होता है। इसमें टाल-मटोल की भावना समाप्त हो जाती है, कोई कर्मचारी अपनी असफलता का दोष दूसरों पर नहीं डाल सकता, जिससे लालफीताशाही भी समाप्त हो जाती है।

औपचारिक संगठन के दोष (Disadvantages of Formal Organisation)

औपचारिक संगठन के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-

  1. इसमें कार्य करने वाले व्यक्तियों की पहलशक्ति समाप्त हो जाती है।
  2. इसमें अधिकार सत्ता के दुरुपयोग की सम्भावनाएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  3. इस प्रकार के संगठन में कार्यरत व्यक्ति सामाजिक संगठनों की मान्यताओं व भावनाओं पर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं देते हैं।
  4. इस संगठन में मनुष्य की अपेक्षा नियमों व नीतियों को अधिक महत्व दिया जाता है।
  5. यह संगठन अनौपचारिक सम्प्रेषण में बाधाएँ उत्पन्न करता है।
  6. इसमें समन्वय की समस्या सदा बनी रहती है।

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Anjali Yadav

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