राजनीति विज्ञान / Political Science

आश्रय अथवा शरण से आप क्या समझते हैं? आश्रय के आधार एवं कारण

आश्रय अथवा शरण से आप क्या समझते हैं? आश्रय के आधार एवं कारण
आश्रय अथवा शरण से आप क्या समझते हैं? आश्रय के आधार एवं कारण

आश्रय अथवा शरण से आप क्या समझते हैं? आश्रय के आधार एवं कारणों का वर्णन कीजिये।

आश्रय (asylum) शब्द लैटिन भाषा का है, जो युनानी शब्द ‘एसाइलीया’ (asylia) से उत्पन्न हुआ है, जिसका तात्पर्य अलंघनीय स्थान (inviolable place) से है। यह शब्द उन मामलों में प्रयोग किया जाता है, जिनमें राज्यक्षेत्रीय राज्य (territorial State), निवेदक राज्य (requesting state) के किसी व्यक्ति को सौंपने से इनकार कर देता है तथा उसे अपने राज्यक्षेत्र में शरण तथा सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रकार, आश्रय दो तत्वों को शामिल करता है। प्रथम, आश्रय (shelter), जो अस्थायी शरण से अधिक है तथा दूसरे, आश्रय देने वाले राज्य के
प्राधिकारियों की ओर से सक्रिय सुरक्षा का अंश। ये दोनों तत्व आश्रय को आप्रवास (immigration) से अलग करते हैं। ऐतिहासिक रूप से आश्रय की अवधारणा बहुत प्राचीन तथा परम्परागत है तथा प्रत्यर्पण के सिद्धान्त के विपरीत है।

अन्तर्राष्ट्रीय विधि संस्थान के अनुसार, “शरण वह संरक्षण है, जिसे एक राज्य अपने राज्य क्षेत्र अथवा ऐसे स्थान में जो उसके नियन्त्रण में है, के अन्तर्गत एक ऐसे व्यक्ति को प्रदान करता है, जो कि उसकी याचना करने आता है।” (अनुच्छेद 1,1950) उपर्युक्त तत्वों से यह स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्पण, शरण का विरोधी है। जहाँ शरण देना समाप्त होता है, वहीं से प्रत्यर्पण प्रारम्भ होता है।

शरण दो प्रकार की होती है-

  1. राज्यक्षेत्रीय आश्रय या शरण (Territorial Asylum )
  2. राजनीतिक आश्रय या शरण (Diplomatic asylum)

(1) राज्यक्षेत्रीय आश्रय या शरण (Territorial asylum) – जब कोई राज्य अपने राज्य-क्षेत्र में किसी अपराधी को शरण प्रदान करता है, तो उसे प्रादेशिक शरण कहा जाता है। दलाईलामा और स्वेतलाना को भारत द्वारा इसी प्रकार की शरण प्रदान की गयी थी। इसी प्रकार, सन् 1971 में पाकिस्तान के अमानवीय व्यवहार से पीड़ित बांग्ला देश की जनसंख्या के लगभग 1 करोड़ व्यक्तियों को भारत में आश्रय प्रदान किया गया, जो 1972 में बांग्लादेश वापस जा सके।

सन् 1942 के मानवाधिकारों के अनुसार, देश के अत्याचारों से सुरक्षा प्राप्त करने हेतु दूसरे देशों में शरण प्राप्त की जा सकती है। अन्तर्राष्ट्रीय विधि में शरण को मान्यता प्राप्त नहीं है। आश्रय की प्रमुख शर्त यह है कि वह अपने देश के विरुद्ध कोई षड्यन्त्र नहीं करेगा और न उसकी शान्ति एवं सुरक्षा को क्षति पहुँचायेगा।

बाह्य राज्यक्षेत्रीय आश्रय या शरण (Extra-Territorial Asylum) – एक राज्य जब विदेश में स्थित दूतावास या युद्धपोत अथवा व्यापारिक यान में किसी को आश्रय प्रदान करता हैं, तो उसे बाह्य प्रादेशिक शरण कहते हैं। इस प्रकार के राजनयिक शरण स्थान के अधिकार के अभाव का समर्थन Asymul Case, 19501.C.J. Reports p. 226 के मामले में भी अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा किया गया है।

(2) राजनीतिक आश्रय या शरण (Diplomatic Asylum) – आश्रय का एक महत्वपूर्ण रूप राजनयिक या कटूनीतिक (Diplomatic) आश्रय के रूप में जाना जाता है। जब राजनयिक अपराधी अथवा कूटनीतिक व्यक्ति समय से प्रभावित होकर अपने देश में रहने का निर्णय लेकर अपने यहाँ स्थित विदेशी दूतावासों में शरण लेते हैं, तो उसे राजनयिक आश्रय कहते हैं। राजनयिक आश्रय केवल अल्पकालीन होना चाहिए।

आश्रय या शरण का आधार (Basis of asylum) 

आश्रय का आधार राज्यों की सम्प्रभुता के सिद्धान्त पर आधारित है। इस प्रकार, राज्य को राज्यक्षेत्रीय आश्रय (territotrial asylum) का अधिकार अपने राज्यक्षेत्र पर उसके प्रभुत्वसम्पन्नता के आधार पर प्रदान किया गया है। यह अधिकार इस अर्थ में अनन्य है कि अन्य राज्य उस राज्य पर अपनी अधिकारिता का प्रयोग करने से वर्जित किये जाते हैं। महासभा द्वारा 1974 में स्वीकृत राज्यक्षेत्र आश्रय प्रारूप अभिसमय (Draft Convention on Territorial Asylum) ने अनुच्छेद 1 के अधीन मान्यता है कि आश्रय प्रदान करना राज्य का प्रभुत्वसम्पन्न अधिकार है। राज्यक्षेत्रीय अधिकारिता राज्यक्षेत्र के अतिरिक्त दूतावासों, प्रतिनिधिमण्डलों (legations) समुद्री जहाज तथा वायुयानों पर भी होता है। अतः किसी राज्य की प्रभुत्वसम्पन्नता राज्यक्षेत्र के बाहर भी उसी सिद्धान्त पर आधारित है, जैसे कि राज्यक्षेत्रीयता का सिद्धान्त तथापि, राज्य का अपने राज्यक्षेत्र पर तथा उसके राज्यक्षेत्र के बाहर (अर्थात् बाह्य राज्यक्षेत्रीय) के स्थान पर विधिक नियन्त्रक का स्रोत भिन्न-भिन्न है। राज्यक्षेत्रीय आश्रय राष्ट्रीय विधियों के आधार पर दिया जाता है, जबकि बाह्य राज्यक्षेत्रीय आश्रय अन्तर्राष्ट्रीय विधि के नियमों पर आधारित है।

राज्यों को सन्धियों का निर्माण करके अपने राज्यक्षेत्रीय अधिकारिता के आधार पर रोक लगाने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। इस प्रकार, यदि राज्य फरार अपराधी (fugitive criminal) के प्रत्यर्पण के लिए सन्धियों को बनाते हैं, तो उन्हें ऐसे व्यक्तियों का प्रत्यर्पण करने की उसकी ओर से विधिक अध्यता उत्पन्न हो जाती है। ऐसे व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करने के प्रभुत्यसम्प अधिकार का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इसी तरह, अन्य अमानवीय तथा घृणित अपराधों के सम्बन्ध में भी आश्रय प्रदान करने के राज्यों के प्रभुत्वसम्पन्न अधिकार पर उनके द्वारा रोक लगाये गये हैं। फिर भी, यह परिसीमा राज्यों द्वारा स्वविवेक के आधार पर स्वयं लगायी जाती है।

आश्रय या शरण के कारण (Reasons of Asylum) 

राज्य निम्नलिखित कारणों से अन्य देश के नागरिकों को शरण या आश्रय प्रदान करते हैं-

(1) आश्रय किसी व्यक्ति को स्थानीय अधिकारियों (local authorities) की अधिकारिता से बचाने के लिए प्रदान किया जाता है। यह आशंका भी की जाती है कि उसके राजनीतिक या धार्मिक कार्यों के सम्बन्ध में विचारों में विभिन्नता होने के कारणा उसको प्रत्यर्पण करने पर निष्पक्ष परीक्षण (fair trail) नहीं मिल पायेगा।

(2) व्यक्ति को विधि के अतिरिक्त आधारों पर अर्थात मानवीय आधारों पर आश्रय प्रदान किया जा सकता है। कार्पू चैनल वाद (Corfu channel case) में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने कहा था कि “राष्ट्रिकों के अनुत्तरदायी अनुभाग के हिंसक तथा अव्यवस्थित कार्यों के विरुद्ध राजनीतिक अपराधियों को संरक्षण प्रदान करने के लिए मानवीय आधारों पर आश्रय प्रदान किया जा सकता है।” न्यायालय ने कहा कि “आश्रय स्पष्टत: अतिरिक्त विधिक प्रकृति के किसी उपाय के विरुद्ध राजनीतिक अपराधी को संरक्षण प्रदान करता है, जिसे सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के विरुद्ध प्रयोग कर सकती है या प्रयोग करने का प्रयास कर सकती है।”

(3) आश्रय प्रदान करने में राष्ट्रीय सुरक्षा भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। जो अपराधी उस राज्य में आज विद्रोही के रूप में है, वह भविष्य में शासक भी हो सकता है। ऐसा होने पर यदि आज उसका प्रत्यर्पण कर दिया जाता है तो भविष्य में सम्बन्ध तनावपूर्ण हो सकते हैं।

यद्यपि राज्य उपर्युक्त कारणों में से किसी भी कारण पर विचार करने के पश्चात् शरण या आश्रय प्रदान कर सकता है लेकिन राज्य आश्रय पर निर्णय लेने के पूर्व काफी विचार विमर्श करते हैं। जिस राज्य के व्यक्ति को आश्रय प्रदान किया जाता है, उस राज्य के साथ विद्यमान सम्बन्ध पर उसके प्रभाव का अच्छी तरह अध्ययन किया जाता है क्योंकि यह सामान्यतया दोनों राज्यों के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को प्रभावित करता है। यद्यपि राज्यक्षेत्रीय आश्रय घोषणा (Declaration on territorial Asylum) में स्पष्ट प्रावधान है कि आश्रय प्रदान करने को अमैत्रीपूर्ण कार्य नहीं माना जाएगा। लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सामान्यत: देखा गया है कि इससे सम्बन्ध प्रभावित होते हैं।

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Anjali Yadav

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