प्रशासनिक पत्र क्या हैं? प्रशासनिक पत्र के प्रकार लिखिए।
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प्रशासनिक पत्र क्या हैं?
प्रशासनिक पत्राचार- केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों में प्रशासनिक उद्देश्य से जो पत्राचार किया जाता है, वह होता तो सरकारी ही है। लेकिन उसे प्रशासनिक पत्राचार भी कहा जा सकता है।
प्रकार – प्रशासनिक पत्राचार के निम्नलिखित प्रकार होते है-
- शासकीय या सरकारी पत्र (Official letter)
- अर्द्ध शासकीय या अर्द्ध सरकारी पत्र (Demi official letter)
- कार्यालय ज्ञापन (Official Memorandum)
- ज्ञापन (Memorandum)
- परिपत्र (Circular)
- कार्यालय आदेश (Office order)
- अशासनिक टिप्पणी (Un-official note)
- अधिसूचना (Notification)
- पृष्ठांकन (Endorsement )
- अनुस्मारक (Reminder)
- बचत तार (Savingram)
- प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट (Press communique or press note)
- तार (Telegram )
- द्रुत पत्र (Express letter )
- रेडियोग्राम (Radiogram)
- संकल्प या प्रस्ताव (Resolution)
(1) सरकारी पत्र ( Official Letter ) – विदेशी सरकारों, राज्य सरकारों, संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों और संघ लोक सेवा आयोग जैसे अन्य कार्यालयों में जिन पत्रों का इस्तेमाल होता है, उन्हें सरकारी पत्र कहा जाता है। लेकिन उस पर कहीं Official Letter लिखा नहीं रहता। आमतौर पर इसे पत्र ही कहा जाता है। इसका प्रयोग जनता या सरकारी कर्मचारियों की संस्थाओं या संगठनों के सदस्यों के साथ किये जाने वाले समस्त पत्र व्यवहार में होता है। ये पत्र बिल्कुल औपचारिक होते हैं। गौरतलब है कि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच पत्र-व्यवहार के लिए इसका प्रयोग नहीं होता।
सरकारी (शासकीय) पत्र के अंग
सरकारी पत्र के प्रमुख भाग या अंग निम्न हैं—
(क) सरनामा, जिसमें भारत सरकार और सम्बन्धित मंत्रालय का नाम लिखा जाता है—
- पत्रादि की संख्या और तारीख
- कार्यालय का नाम (जहाँ से पत्र भेजा जा रहा है)
- पाने वाले का नाम और / या पद नाम
- विषय
- सम्बोधन
- पत्र का मुख्य विषय (कलेवर)
- अधोलेख
- भेजने वाले का हस्ताक्षर और उसका पद नाम
- संलग्नक, यदि कोई हो
गौरतलब है कि भारत सरकार के आदेशों या विचारों को व्यक्त करने के लिए ही विभिन्न मंत्रालयों द्वारा ये पत्र लिखे जाते हैं जिनमें यह स्पष्ट संकेत होता है कि वे सरकार के निर्देश से लिखे जा रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्रों में सम्बोधन के तौर पर ‘महोदय’ और गैर-सरकारी व्यक्तियों या व्यक्तियों के वर्गों को लिखे जाने वाले पत्रों में सम्बोधन के रूप में ‘प्रिय महोदय’ लिखा जाता है। फर्मों को लिखे जाने वाले पत्रों में भी ‘प्रिय महोदय’ का ही प्रयोग किया जाता है। सभी सरकारी पत्रों के अन्त में अधोलेख के रूप में ‘भवदीय’ लिखा जाता है तत्पश्चात् हस्ताक्षर और हस्ताक्षरकर्ता का नाम दिया जाता है।
ऐसे पत्र जो सरकार के निदेश पर नहीं लिखे जाते किसी अधिकारी की स्वयं की पहल पर लिखे जाते हैं, उनमें ‘मुझे निदेश हुआ है कि के बजाय ‘मुझे निवेदन करना है’ लिखा जाता है।
सरकारी पत्र- उदाहरणार्थ
मंजूरी की सूचना (Sanction Letter)
संख्या………
भारत सरकार
श्रम मंत्रालय
सेवा में,
महानिदेशक, श्रम मंत्रालय,
नई दिल्ली।
नई दिल्ली, दिनांक 17.12.2019
विषय : उपनिदेशक के पदों को स्थायी बनाना।
महोदय,
आपके दिनांक 03.12.2019 के पत्र संख्या 7/269/9 के सन्दर्भ में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि राष्ट्रपति ने श्रम सेवाओं के महानिदेशालय में उपनिदेशक के उन दो अस्थायी पदों को जो तीन वर्ष से अधिक अवधि से विद्यमान हैं, दिनांक 8.10.2018 से स्थायी बना देने की मंजूरी प्रदान कर दी है।
इस मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय ने अपनी सहमति अनौपचारिक टिप्पणी (U.O. note) संख्या 793/17 दिनांक 22.8.2019 के अन्तर्गत दी है।
भवदीय
रीक्षपाल सिंह
अवर सचिव, भारत सरकार
सरकारी पत्र- उदाहरणा
सं० 2875/2002
लखनऊ।
दिनांक 5 जुलाई, 2019
प्रेषक,
राजकुमार संतोषी
मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन ।
सेवा में,
सचिव,
राजस्व परिषद,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ।
विषय – अनुशासनिक कार्यवाहियों में अभिलेखीय साक्ष्यों के लिये प्रस्तुत किये जाने वाले विधिक अधिकारी उपस्थिति।
महोदय,
उपरोक्त विषय पर शासनादेश संख्या 13-क 2-1999 दिनांक 5 जून, 2018 के पैरा-1 की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हुए मुझे आपके सूचनार्थ उत्तर प्रदेश………..अधिनियम सं……. की ओर एक प्रति भेजते हुए यह कहने का निदेश हुआ है कि उक अधिनियम विधान मण्डल द्वारा पारित हो चुका है तथा उसकी एक अधिकृत प्रति उत्तर प्रदेश गजट दिनांक 8 नवम्बर, 1998 में शासन की ओर से प्रकाशित की गयी हो ।
2. जैसा कि आपको विदित होगा उक्त अधिनियम के अनुसार अनुशासनिक कार्यवाहियों में नियुक्त जाँच अधिकारियों एवं प्रशासनाधिकरण को यह अधिकार होगा कि वे अब समस्त अपेक्षित गवाहों और अभिलेखीय साक्ष्यों की उपस्थिति अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कर लें। यह अधिकार पब्लिक सर्वेन्ट्स (इन्कयरीज्) एक्ट, 1960 के अनुरूप ठीक उसी प्रकार प्रदत्त किया गया है जैसा की जाँच आयुक्तों को पहले से प्राप्त है।
उक्त परिस्थितियों में मुझे यह अनुरोध करना है कि कृपया नवीनतम अधिनियम के उन प्रावधानों के सम्बन्ध में अपने अधीनस्थ समस्त पदाधिकारियों को अवगत करा दें जिनका संबंध सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही से हो ।
भवदीय
ह० राजकुमार संतोषी
मुख्य सचिव।
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