शिक्षाशास्त्र / Education

वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष | current course defects in Hindi

वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष | current course defects in Hindi
वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष | current course defects in Hindi

वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष

वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष- वर्तमान समय में यह चेतना बढ़ती जा रही है कि हमारे पाठ्यक्रम में बहुत-सी दुर्बलतायें हैं और इन्हीं दुर्बलताओं के कारण हमारी शैक्षिक पुनर्गठन योजनायें असफल हो गई हैं। एक के बाद एक अनेक कमेटियों ने इन दुर्बलताओं की तरफ ध्यान दिलाया, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई सक्रिय एवं ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हमारा पाठ्यक्रम शिक्षा के वास्तविक आदर्शों एवं उद्देश्यों की पूर्ति करने में असफल हो गया है। इसने न तो विद्यालयों के हितों की सेवा की है और न समाज की आवश्यकताओं का ही ध्यान रखा है। इसमें हिचकिचाते हुए सुधार के प्रयत्न किये गये हैं।

हमारे स्कूलों में कोई पाठ्यक्रम नहीं है, विभिन्न विषयों के लिए केवल ‘सिलेबस’ ही निर्धारित है। यह केवल उस सामग्री की रूपरेखा निर्दिष्ट करता है जोकि विभिन्न विषयों के अन्तर्गत बालकों को पढ़ाया जाना है। सामग्री का चुनाव बालकों की रुचि एवं योग्यताओं को ध्यान रखे बिना ही किया गया है। विभिन्न आयु स्तर के बालकों के लिए उसमें न तो सामाजिक प्रेरणा है और न मनोवैज्ञानिक प्रेरणा ही। चूँकि वह उनके वातावरण से सम्बन्धित नहीं है, इसलिए उसका सामाजिक जीवन पर कोई प्रभाव पड़ने की सम्भावना नहीं है। उसका प्रधान लक्ष्य तथ्यात्मक सामग्री को याद कराना है। वह विद्यार्थियों में आवश्यक योग्यतायें प्रोत्साहित नहीं करता और न उनमें कोई ऐसी अच्छी एवं उचित प्रवृत्तियाँ ही विकसित करता है जोकि उसे स्वस्थ नागरिक बनाने में सहायता दें। वह बालकों को किसी व्यवसाय के योग्य नहीं बनाता और न उनकी प्राकृतिक क्षमताओं एवं शक्तियों का ही उपयोग करता है। इसका स्पष्ट परिणाम यह होता है कि बालक आत्म-निर्भर नहीं हो पाते। वह उन्हें केवल यूनिवर्सिटी शिक्षा प्राप्त करने के योग्य बनाता है। अब, यह अति आवश्यक है कि पाठ्यक्रम में अविलम्ब समुचित परिवर्तन किये जायें।

विभिन्न राज्यों के निर्धारित सिलेबसों के अध्ययन एवं विश्लेषण से यह ज्ञात होगा कि वे बहुत ‘पुस्तकीय’ स्वभाव के हैं। वे तार्किक अध्ययन के महत्व पर जोर देते हैं, और तथ्यात्मक ज्ञान प्रदान करने की व्यवस्था करते हैं। इनमें इस बात का प्रयत्न नहीं किया गया है कि बालकों को आधारभूत बातों का वास्तविक ज्ञान प्राप्त हो। इसका स्पष्ट परिणाम यह होता है कि बालक की स्मरण शक्ति पर अनावश्यक दबाव पड़ता है और उसको सामग्री भी समझ में नहीं आ पाती। इस प्रकार जो अधूरा ज्ञान प्राप्त होता है उससे बालक का दृष्टिकोण विस्तृत नहीं होता और न उसकी सहानुभूतियों का ही परिमार्जन होता है। इस प्रकार प्राप्त हुए। ज्ञान का न तो कोई उपयोग है न अर्थ ही। इन विषयों के अध्ययन से उन्हें जो क्षमता प्राप्त होती है वह बहुत साधारण और अपर्याप्त है। “ऐसे विद्यार्थियों के लिये संकुचित मनोवृत्ति वाला पुस्तकीय पाठ्यक्रम उचित प्रकार की तैयारी प्रदान नहीं करता। यह आवश्यक है कि विविध बौद्धिक एवं शारीरिक क्रियाओं में, क्रियात्मक कार्य-कलापों में सामाजिक अनुभवों में भाग लें और यह सब केवल पुस्तकीय अध्ययन द्वारा सम्भव नहीं है।”

सार्थक एवं लाभप्रद होने के लिए यह आवश्यक है कि पाठ्यक्रम बालकों के विविध मुखी व्यक्तियों के विकास का प्रयत्न करे। वह इस प्रकार बनाया जाए कि विभिन्न आयु स्तर के विभिन्न रुचि वाले बालकों की आवश्यकताओं को (बौद्धिक, शारीरिक, भावात्मक, नैतिक एवं सामाजिक) पूरा करने में समर्थ हो।

भारत में माध्यमिक विद्यालयों में आजकल जो पाठ्यक्रम प्रचलित है वह दोषपूर्ण है। माध्यमिक शिक्षा आयोग ने वर्तमान पाठ्यक्रम के निम्नलिखित दोषों की ओर ध्यान दिलाया है-

  1. वर्तमान पाठ्यक्रम संकुचित दृष्टिकोण से निर्मित किया गया है।
  2. इसमें पुस्तकीय एवं सैद्धान्तिक ज्ञान पर अत्यधिक बल दिया गया है।
  3. इसमें महत्वपूर्ण एवं सम्पन्न सामग्री का अभाव है। पाठ्यक्रम की अनावश्यक तथ्यों एवं सूक्ष्म विवरणों से लाद दिया गया है और स्मृति पर बहुत भार पड़ता है।
  4. इसमें क्रियात्मक एवं व्यावहारिक कार्यों के लिए अपर्याप्त स्थान है।
  5. इसमें बालक की आवश्यकताओं एवं क्षमताओं का ध्यान नहीं रखा गया है। व्यक्तिगत विभिन्नता उपेक्षित है।
  6. वर्तमान पाठ्यक्रम में परीक्षाओं का सर्वाधिक महत्व है।
  7. देश के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास के लिए तकनीकी एवं व्यावसायिक विषय आवश्यक हैं। वर्तमान पाठ्यक्रम में इन विषयों का समावेश नहीं है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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