प्रश्न पूछने के कौशल एवं उत्तर देने की कला की विवेचना कीजिए। अच्छे उत्तरों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
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प्रश्न पूछने का कौशल (Skill of Asking Question)
प्रश्न पूछने के कौशल निम्न होते हैं-
- प्रश्नों का वितरण उचित प्रकार से करना चाहिए जिससे सम्पूर्ण कक्षा के छात्रों को प्रश्न का उत्तर देने का अवसर मिले।
- पहले ही नाम लेकर प्रश्न नहीं पूछें; जैसे- माधव तुम बताओ कि प्रदेश की राजधानी कहाँ है ?
- प्रश्न सर्वप्रथम पूरी कक्षा से पूछना चाहिए। इच्छुक छात्रों के मध्य किसी एक का चयन नाम से करके पुनः उससे प्रश्न पूछा जाना चाहिए।
- प्रश्नों के स्वरूप में परिवर्तन करते रहना चाहिए। एक ही स्वरूप वाले प्रश्न कक्षा में नीरसता उत्पन्न करते हैं।
- प्रश्न नम्रता से पूछना चाहिए। डाँट-डपट वाले माहौल छात्र की मानसिक अवस्था को कुंठित कर देते हैं।
- प्रायः छात्रों के उत्तरों को दोहराने से बचें।
- प्रतिध्वन्यात्मक प्रश्न नहीं पूछे जाने चाहिए; गांधीजी का जन्म पोरबन्दर में हुआ था बताने के तुरन्त बाद प्रश्न पूछना कि गांधीजी का जन्म कहाँ हुआ था। इस प्रकार के प्रश्न निष्प्रयोजन ही होते हैं।
- यदि कोई छात्र ठीक उत्तर न दे पाए तो प्रश्न दूसरे छात्र से पूछना चाहिए। उसके द्वारा दिए गए ठीक उत्तर को पहले वाले छात्र से दोहरवाना चाहिए।
- प्रश्न पूछने के बाद उत्तर पर विचार करने के लिए छात्रों को कुछ समय देना चाहिए।
- अनिच्छुक छात्रों से भी प्रश्न पूछें।
- प्रश्न बिना संकोच के उत्साहपूर्ण ढंग से, पर बिना जल्दी किये पूछे जाने चाहिए।
- प्रश्न स्वाभाविक ढंग से पूछना चाहिए।
उत्तर लेने की कला (Skill of Finding Answer)
शिक्षण में उत्तरों का अत्यधिक महत्त्व है। गार्लिक (Garlik) के अनुसार इसके निम्नलिखित छह कारण हैं-
- शिक्षक और छात्र दोनों को ही उत्तरों से क्रमपूर्ण आयोजन का ज्ञान होता है।
- वे मानसिक क्रिया को जाग्रत करते हैं और इस प्रकार बुद्धि को प्रखर बनाते हैं।
- वे अनिवार्य रूप से स्मृति को कार्य करने के लिए बाध्य करते हैं।
- उत्तर देने में विचार की आवश्यकता पड़ती है। अतः वे तर्क को प्रशिक्षण देते हैं।
- पाठ के शिक्षण में प्राप्त सफलता की जानकारी उत्तरों की सहायता से ही मिलती हैं।
- उत्तर देने में ध्यान की आवश्यकता पड़ती है। अतः वे ध्यान केन्द्रित करने की आदत का निर्माण करते हैं।
अतः उत्तरों के प्रति सचेत रहना आवश्यक है। प्रायः उत्तरों में आये दोष का मुख्य कारण शिक्षक द्वारा बरती गई लापरवाही ही होती है। उत्तरों के द्वारा ही शिक्षक छात्रों के मानसिक एवं ज्ञानात्मक स्तर को जान पाता है। उत्तर छात्र की स्मृति को स्थायी बनाते हैं। उत्तर से छात्रों में आत्मविश्वास विकसित होता है।
अच्छे उत्तरों की विशेषताएँ (Features of Good Answers)
अच्छे उत्तरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-
(1) स्पष्ट अर्थ- उत्तर ऐसे होने चाहिए जिनका कोई स्पष्ट अर्थ हो ।
(2) शुद्ध भाषा- छात्रों के उत्तर भाषा एवं व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होने चाहिए।
(3) एक भाषा- यदि छात्र अनेक भाषाओं को मिश्रित करके उत्तर दे तो फौरन उसे शुद्ध करने को कहना चाहिए।
(4) उचित भाषा- भाषा विषय की प्रकृति के अनुसार होनी चाहिए। घरेलू बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना अनुचित है।
(5) प्रासंगिक एवं श्रवणीय- मौखिक उत्तर तेज आवाज में दिये जाने चाहिए, जिससे सम्पूर्ण कक्षा उन्हें सुन सके एवं उन्हें प्रासंगिक भी होने चाहिए।
(6) पूर्ण वाक्य- उत्तर पूरे वाक्यों में ही स्वीकार किये जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त भाव की दृष्टि से भी उत्तर पूर्ण होना चाहिए।
(7) निश्चित विचार- अनिश्चितता, उत्तरों को सन्देहास्पद बना देती है।
उत्तर निकलवाना (Receiving Answers )
“Receiving Answers are also an art itself.”
इस कार्य हेतु निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है-
- छात्रों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार रखना।
- उत्तरों के प्रति धैर्य रखना।
- प्रश्न करने के बाद तुरन्त उत्तर न माँगना ।
- पुनर्बलन प्रदान करना।
- अशुद्ध उत्तर अस्वीकार करके कारण बताना।
- प्रश्नों का वितरण सम्पूर्ण कक्षा में करना।
- उत्तरों के लिए प्रोत्साहन देना।
- उत्तर देने में अनुचित सहायता न करना।
- गलत उत्तर हेतु तिरस्कार न करना।
- विचारहीन और शरारती उत्तरों पर अंकुश रखना।
- सामूहिक उत्तरों की अवहेलना करना।
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