साझेदारी फर्म को विघटन से क्या आशय है? कर्म के विघटन व साझेदारी के विघटन में क्या अन्तर है? साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियाँ रीतियों का वर्णन कीजिये।
अर्थ एवं परिभाषा – भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 के अनुसार जब एक फर्म (सार्थ) के सभी साझेदार आपस में, पूर्व स्थापित सम्बन्ध विच्छेद कर लें तो इसे साझेदारी फर्म का विघट कहते हैं। एक फर्म के विघटन के बाद फर्म का व्यवसाय अनिवार्यतः समाप्त हो जाता है क्योंकि व्यवसाय समाप्त हुए बिना फर्म का विघटन नहीं हो सकता।
भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 39 के अनुसार, “फर्म के समस्त साझेदारों के बीच साझेदारी समाप्त हो जाने को फर्म का विघटन कहते हैं।”
जब एक या कुछ साझेदारों के मध्य साझेदारी सम्बन्ध समाप्त होता है, अथवा एक या कुछ साझेदार फर्म से अलग हो जाते है तो साझेदारी का विघटन कहते हैं। ऐसी दशा में शेष पुनर्गठन (नवीन समझौता) कर व्यवसाय चालू रख सकते हैं।
Contents
फर्म का विघटन एवं साझेदारी के विघटन में अन्तर-
फर्म का विघटन होने पर साझेदारी का भी विघटन हो जाता है लेकिन साझेदारी का विघटन होने पर फर्म का विघटन होना आवश्यक नहीं है। किसी साझेदार के प्रवेश करने पर या अवकाश ग्रहण करने पर या किसी साझेदार की मृत्यु हो जाने पर साझेदारों के मध्य पूर्व में हुआ समझौता समाप्त हो जाता है तथा बाद में एक नया समझौता कर व्यवसाय जारी रखा जा सकता है। जबकि फर्म के विघटन में साझेदारी के अन्त के साथ व्यवसाय का भी अन्त हो जाता है।
साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियाँ ‘या’ ढंग-
साझेदारी फर्म के विघटन की परिस्थितियों को भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धाराएं 40 से 44 तक स्पष्ट किया गया है जिनका वर्णन निम्नानुसार हैं-
(क) ठहराव द्वारा विघटन (Dissolution by Agreement) (धारा 40)- फर्म के विघटन के लिए जब सभी साझेदार सहमत हो या साझेदारी संलेख में अथवा उनके बीच में ऐसा कोई अनुबन्ध हुआ हो।
(ख) अनिवार्य विघटन (Compulsory Dissolution or dissolution by the Operation of Law) (धारा 41 ) – निम्नलिखित परिस्थितियों के अन्तर्गत किसी फर्म का अनिवार्य विघटन हो जाता है:
- जब कोई ऐसी घटना हो जाये तो फर्म के व्यवसाय के संचालन को अवैधानिक बना दें।
- जब सब या एक को छोड़कर शेष साझेदार न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित (मान्य) कर दिये जायें।
(ग) आकस्मिक घटना के घटित होने पर विघटन (Dissolution on the happening of Unexpected Event) (धारा 42)- इसके अन्तर्गत निम्नलिखित दशाओं में से किसी भी दशा में फर्म का विघटन हो जाता है-
- यदि साझेदारी का गठन एक निश्चित अवधि के लिए हुआ है तथा वह अवधि समाप्त हो गयी है;
- यदि साझेदारी का गठन एक या कुछ उपक्रम अथवा उद्देश्य के लिए किया गया है तो उसके पूर्ण होने पर;
- किसी साझेदार के दिवालिया घोषित हो जाने पर;
- किसी साझेदार की मृत्यु होने पर।
(घ) सूचना द्वारा विघटन (Dissolution by Notice of Partnership at Will) (धारा 43)- यदि साझेदारी ऐच्छिक है तो कोई भी भी साझेदार अन्य साझेदारों को फर्म के विघटन से सम्बन्धित, अपने अभिप्राय की लिखित सूचना देकर फर्म का विघटन करा सकता है।
(ङ) न्यायालय द्वारा विघटन (Dissolution by Court) (धारा 44)- किसी साझेदार द्वारा वाद प्रस्तुत करने पर न्यायालय द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में फर्म का विघटन सम्बन्धी आदेश पारित किया जा सकता है :
- जब कोई साझेदार अस्वस्थ मस्तिष्क का हो गया है।
- जब कोई साझेदार किसी कारण से साझेदार के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्पादन करने में स्थायी रूप से अयोग्य हो गया है।
- जब कोई साझेदार ऐसे आचरण का दोषी हो जिससे व्यवसाय को क्षति पहुँचने की सम्भावना हो या हो रही हो।
- जब कोई साझेदार निरन्तर और जान-बूझकर आपसी समझौते या साझेदारी संलेख का उल्लंघन करता है।
- जब कोई साझेदार, फर्म में निहित अपने समस्त हितों को किसी तीसरे व्यक्ति (पक्षकार) को हस्तान्तरित कर दे।
- जब फर्म का व्यवसाय बिना हानि के चलाया जाना सम्भव न हो।
- जब किसी कारण से फर्म का विघटन न्यायालय के दृष्टिकोण से उचित एवं न्यायसंगत हो।
IMPORTANT LINK
- लेखांकन क्या है? लेखांकन की मुख्य विशेषताएँ एवं उद्देश्य क्या है ?
- पुस्तपालन ‘या’ बहीखाता का अर्थ एवं परिभाषाएँ | पुस्तपालन की विशेषताएँ | पुस्तपालन (बहीखाता) एवं लेखांकन में अन्तर
- लेखांकन की प्रकृति एवं लेखांकन के क्षेत्र | लेखांकन कला है या विज्ञान या दोनों?
- लेखांकन सूचनाएं किन व्यक्तियों के लिए उपयोगी होती हैं?
- लेखांकन की विभिन्न शाखाएँ | different branches of accounting in Hindi
- लेखांकन सिद्धान्तों की सीमाएँ | Limitations of Accounting Principles
- लेखांकन समीकरण क्या है?
- लेखांकन सिद्धान्त का अर्थ एवं परिभाषा | लेखांकन सिद्धान्तों की विशेषताएँ
- लेखांकन सिद्धान्त क्या है? लेखांकन के आधारभूत सिद्धान्त
- लेखांकन के प्रकार | types of accounting in Hindi
- Contribution of Regional Rural Banks and Co-operative Banks in the Growth of Backward Areas
- problems of Regional Rural Banks | Suggestions for Improve RRBs
- Importance or Advantages of Bank
Disclaimer