हिन्दी साहित्य

कार्यालयी हिन्दी के प्रमुख कार्य एंव इसके प्रकार

कार्यालयी हिन्दी के प्रमुख कार्य एंव इसके प्रकार
कार्यालयी हिन्दी के प्रमुख कार्य एंव इसके प्रकार

कार्यालयी हिन्दी के प्रमुख कार्य बताइये तथा हिन्दी के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग का विवरण दीजिए। 

कार्यालयी हिन्दी

कार्यालयी हिन्दी के प्रमुख कार्य

दिन-प्रतिदिन सामान्य व्यवहार की हिन्दी से भिन्न कार्यालय के अधिकारियों अथवा कर्मचारियों द्वारा प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त हिन्दी को कार्यालयी हिन्दी कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कार्यालयी हिन्दी का अभिप्राय है वह हिन्दी जिसका प्रयोग कार्यालयों में दैनिक कामकाज में होता है। हिन्दी के विद्वानों द्वारा कार्यालयी हिन्दी के कई नाम बताये गये है।

1. व्यावहारिक हिन्दी 2. कार्मिकी हिन्दी 3. अनुप्रयोगात्मक हिन्दी 4. प्रयोजनमूलक हिन्दी 5. कामकाजी हिन्दी।

उपरोक्त सभी नामों का अर्थ है वह हिन्दी जिसका प्रयोग पत्राचार, व्यवहार, व्यापार, प्रशासन योग, चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संगीत, ज्योतिष आदि क्षेत्रों में प्रयोग होता उसे कार्यालयी या कामकाजी हिन्दी कहा जाता है। यद्यपि साहित्य भी इसके अन्तर्गत आता परन्तु उसका क्षेत्र इससे कुछ भिन्न है। साहित्यिक भाषा और कार्यालयी भाषा में अंतर होता है। साहित्यिक भाषा में ऐसे शब्दों का प्रयोग साहित्यकार करता है जो शब्द मन के भावों को, व्यक्ति के व्यवहार को अभिव्यक्त करते हैं जबकि कार्यालयी भाषा में ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि साहित्यिक या सर्जनात्मक भाषा में अन्तरिकता और शिल्प की दक्षता (छन्द, अलंकार, प्रतीक, बिम्बू, कल्पनात्मकता) अधिक होती है जबकि कार्यालयी भाषा में इन सबका कोई सम्बन्ध नहीं होता। कार्यालय की अपनी शब्दावली के साथ-साथ अपने पारिभाषिक शब्द भी होते हैं और उन शब्दों में सीमित अर्थ बंधे हुए होते है जिसका प्रयोग कार्यालय के कर्मचारी और अधिकारी दैनिक कार्य में करते हैं।

कार्यालयी हिन्दी के प्रकार

कार्यालयी हिन्दी के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) प्रशासनिक हिन्दी – प्रशासनिक हिन्दी के अन्तर्गत राजभाषा का समावेश किया जाता है। प्रारूपण पत्रलेखन, संक्षेपण पल्लवन, टिप्पणी, अनुवाद, पारिभाषिक शब्दावली, आलेखन आदि प्रशासनिक हिन्दी के अन्तर्गत आता है। कार्यालय में कार्यरत सभी अधिकारी और कर्मचारी दैनिक कार्यालयी कामकाज में इसका प्रयोग करते हैं।

(2) वाणिज्यिक हिन्दी – वाणिज्यिक के अन्तर्गत वाणिज्य सम्बन्धी जैसे वाणिज्यिक पत्राचार, शेयर बाजार सम्बन्धी, किराना बाजार सम्बन्धी, सर्राफा बाजार सम्बन्धी, टंकण, आशुलेखन आदि की आर्थिक शब्दावली आती है। बैंकों में हो रहा हिन्दीकरण इसका सुन्दर रूप हैं।

(3) तकनीकी हिन्दी – तकनीकी हिन्दी के अन्तर्गत कम्प्यूटर, हिन्दी टेलेक्स, इन्टरनेट, फैक्स, पेजर, टेलीप्रिंटर, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, ब्राउजिंग, हिन्दी साफ्टवेयर, पैकेज आते हैं। तकनीकी हिन्दी के बिना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बने रहना नितान्त दुष्कर कार्य है। देश की अधिकतर भाषायें इस दिशा में पिछड़ रही हैं। हिन्दी का रूपान्तर अंग्रेजी की भाँति हो रहा है। हिन्दी भाषियों के आर्थिक स्तर को सुधारने, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करने तथा उन्हें हीन भाव से मुक्त करने के लिए तकनीकी दृष्टिकोण से हिन्दी की प्रगति अति आवश्यक है।

(4) साहित्यिक – पहले जो लेखक व्यसन के लिए लिख रहे थे वे वर्तमान में व्यवसाय के लिए लिख रहे हैं। सम्प्रति पत्रकारिता उद्योग का रूप ले चुकी है। इसी कारण स्तम्भ लेखकों, फीचर भेटवार्ता पुस्तक समीक्षा लिखने वाले लेखक धनार्जन कर रहे हैं। उपभोक्ता वादी सभ्यता ने पत्रकारिता को सेवा के स्थान पर लाभप्रद व्यवसाय बना दिया है। पटकथा लेखन, संवाद लेखन, रंगमंच, रंग आलेख, डबिंग, समाचार वाचन, विज्ञापन आदि से लेखक धनार्जन कर रहे हैं। इस प्रकार कामकाजी हिन्दी का तीसरा प्रकार साहित्यिक लेखन है। हिन्दी साहित्य की अनेक विधाओं का रूपान्तरण दृश्य श्रव्य, माध्यमों के अनुरूप हो रहा है। नाटक के स्थान पर, टेलीग्राम, फीचर फिल्म कार्टून फिल्म, टेलीफिल्म, डाक्यूड्रामा फिल्मों का निर्माण हो रहा है। कहानी तथा उपन्यासों को दूरदर्शन पर धारावाहिकों में ढाला जा रहा है। रेडियो वार्ता, संस्मरण, फीचर आदि नयी विधाओं का सृजन हो रहा है। इस प्रकार साहित्यिक विधाओं का दृश्यों में रूपान्तरण और इनके लिए मीडिया लेखन का अभ्यास कर इसे नये रूप में लिखना इसका साहित्यिक कार्य है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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