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महिला सशक्तीकरण की रणनीतियाँ और मुद्दे | Women Empowerment Strategies and Issues
महिलाओं के सशक्तीकरण की आवश्यकता अत्यधिक है। बिना इनके सशक्तीकरण के महिलाओं का और न ही समाज का उत्थान हो सकता है, परन्तु महिला सशक्तीकरण के मार्ग में अनेक अवरोध है, जिनको दूर किये बिना महिलाओं को सशक्त नहीं बनाया जा सकता । महिला सशक्तीकरण के लिए कुछ रणनीतियों और उनका क्रियान्वयन इस प्रकार से किया गया है-
1. संविधान के द्वारा महिलाओं को स्वतन्त्रता और समानता का अधिकार प्रदान किया गया है ।
2. न्याय प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
3. संविधान के द्वारा लिंगीय आधार पर किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया जायेगा ।
4. संविधान महिलाओं की उन्नति के लिए उनको विशेष रूप से अवसर इत्यादि प्रदान करने का पक्षपाती है जिससे वे मुख्य धारा में आ सकें।
5. महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं की अनिवार्य तथा सार्वभौमिक शिक्षा का प्रबन्ध किया गया है।
6. महिला सशक्तीकरण लिए महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया है।
7. महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में बराबर का अधिकार प्रदान करके उनकी आर्थिक सुरक्षा को मजबूत किया गया है जो महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील पत्थर है।
8. बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के द्वारा बाल-विवाह जैसी कुरीति पर रोक लगाकर महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
9. विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के द्वारा महिलाओं को निःशुल्क विधिक सेवा प्रदान की गयी है।
10. महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ग्राम पंचायतों 243D (3) इत्यादि में महिलाओं की सहभागिता के सुनिश्चितीकरण हेतु आरक्षण प्रदान किया गया है।
11. 2010 में राजस्थान तथा 2016 में बिहार में महिलाओं को 33% आरक्षण राजनीति में अग्रणी भूमिका का निर्वहन करने हेतु आरक्षण प्रदान किया गया है।
12. 1997 के आँकड़ों के अनुसार प्रति वर्ष 5,000 महिलाओं की मौत दहेज के कारण हो जाती है, जिसे ‘दुल्हन की आहुति’ (Bride Burning) नाम दिया गया है। इस कुप्रथा के द्वारा महिलाओं का सशक्तीकरण बाधित हो रहा है, जिसके लिए 1961 में दहेज निषेध अधिनियम बनाया गया। 498 (a) के द्वारा सख्त प्रावधान इसकी रोकथाम के लिए किये गये हैं ।
13. अनुच्छेद 14, 15, 15(3), 16, 39 (a), 39)b), 42 तथा 51 (A) के अन्तर्गत स्त्री समानता तथा सशक्तीकरण हेतु प्रावधान किये गये हैं।
14. स्त्रियों को सशक्त बनाने के लिए उनके स्वावलम्बन तथा रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर बल दिया जा रहा है।
15. स्वतन्त्र भारत में गठित आयोगों द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनकी शिक्षा हेतु सुझाव दिये गये
16. पृथक् बालिका विद्यालयों की स्थापना तथा महिला निरीक्षिकाओं की नियुक्ति ।
17. बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों तथा केन्द्र सरकारों द्वारा आकर्षक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है ।
18. छात्रवृत्तियों तथा बालिका शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है।
19. महिला सशक्तीकरण हेतु कार्यात्मक साक्षरता की रणनीति का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
20. महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलम्बी बनाया जा रहा है।
21. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ‘राज्य महिला आयोग’ कार्य कर रहा है।
22. महिला सशक्तीकरण हेतु महिला हेल्प लाइन का प्रारम्भ किया गया है।
23. महिला सशक्तीकरण के लिए बालिकाओं के अपव्यय तथा अवरोधन और निर्विद्यालयीकरण को रोकने हेतु यथासम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।
24. महिला सशक्तीकरण के लिए गैर-सरकारी संगठनों तथा निजी प्रयासों को अनुदान और प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।
25. महिला सशक्तीकरण के लिए समाज में जागरूकता उत्पन्न की जा रही है जिससे महिलाओं के उत्थान में योगदान प्राप्तं किया जा सके। स्वामी विवेकानन्द के अनुसार “जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं होगा तब तक विश्व का कल्याण नहीं हो सकता। किसी भी पक्षी के लिए एक पंख से उड़ना सम्भव नहीं है।”
26. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए स्वयं महिलाओं को उनके हितों के प्रति जागरूक करना होगा । इस विषय में स्व. प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्द इस प्रकार हैं-” यदि जनता में जागृति उत्पन्न करनी है तो महिलाओं में जागृति पैदा करो, एक बार जब वे आगे बढ़ती हैं तो परिवार आगे बढ़ता है, गाँव व शहर आगे बढ़ते हैं एवं सारा देश आगे बढ़ता है।
27. सरकार द्वारा महिला शिक्षा तथा साक्षरता के प्रयास से महिलाओं की साक्षरता 1981 में 29.75 प्रतिशत से 1991 में 39.29 प्रतिशत, 2001 में 54.16 प्रतिशत, 2011 में 65.5 प्रतिशत हो गयी है, परन्तु पुरुषों की साक्षरता 75.85 प्रतिशत की तुलना में मात्र दो-तिहाई महिलायें ही पढ़ने-लिखने में सक्षम हैं, जिससे महिला सशक्तीकरण में वृद्धि हो रही है।
28. सशक्तीकरण के लिए महिला समाख्या कार्यक्रम, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना, ऑपरेशन ब्लैक-बोर्ड, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण परिषद् के महिला शिक्षा विषयी कार्यक्रम, जन शिक्षण संस्थान, पंचधारा योजना (1 नवम्बर, 1991), स्वास्थ्य सखी योजना, किशोरी बालिका योजना, कामधेनु योजना, अक्षर आँचल योजना आदि का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
महिला सशक्तीकरण के लिए किये गये कुछ कानूनी प्रावधान निम्नवत् हैं-
1. आर्थिक समानता के लिए ‘समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 ।
2. सती निषेध अधिनियम, 1987 ।
3. प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम, 1994 द्वारा भ्रूण परीक्षण की रोकथाम ।
4. विवाह कानून अधिनियम, 1976 ।
5. प्रस्तुति प्रसुविधा अधिनियम, 1961 कामकाजी महिलाओं हेतु ।
6. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 तथा हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 को संशोधित कर समयानुरूप अधिकार प्रदान करना।
7. हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005.
8. घरेलू हिंसा संरक्षण विधेयक, 2005.
9. वेश्यावृत्ति निवारण अधिनियम, 1956 के तहत बलपूर्वक देह व्यापार निषेध तथा 1986 में इसमें संशोधन कर इसे और भी सशक्त बनाया गया ।
10. बाल-विवाह प्रतिषेध, 2006.
11. महिलाओं को सशक्त करने के लिए उनका स्वास्थ्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अतः महिलाओं को स्वस्थ बनाने के लिए कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
किरण बेदी के शब्दानुसार “एक स्वस्थ तथा शिक्षित महिला राष्ट्र के लिए सम्पदा होती है। वह समाज की समृद्धि में उसी प्रकार योगदान करती है जैसे एक निरक्षर, निर्धन तथा अस्वस्थ महिला कमजोर कुपोषित बच्चों को जन्म देकर समाज का बोझ बढ़ाती है। अतः महिलाओं से सम्बन्धित मुद्दे केवल महिलाओं के ही नहीं हैं, उनका सम्बन्ध समूचे समाज और राष्ट्र से है। “
इस प्रकार महिला सशक्तीकरण के लिए रणनीतियों का अभाव नहीं है, परन्तु इन रणनीतियों के क्रियान्वयन पर प्रश्न चिन्ह अवश्य उठते हैं। महिलायें इस पुरुष-प्रधान समाज में अभी भी समानता की हकदार नहीं समझी जाती है। हंसा मेहता समिति (1962) का इस विषय में विचार है कि “यदि नये समाज का निर्माण ठोस आधार पर करना है तो स्त्रियों को वास्तविक एवं प्रभावपूर्ण ढंग से पुरुषों के समान अवसर देने होंगे।”
मुद्दे (Issues)
महिला सशक्तीकरण से सम्बन्धित मुद्दों का क्षेत्र अति व्यापक है, क्योंकि ये केवल एक लिंग न होकर सृष्टि के सृजन में बराबर की भूमिका निभाती हैं, परिवार के भरण-पोषण के साथ-साथ बच्चों के मानसिक विकास पर भी इनका अक्षुण्ण प्रभाव पड़ता है। इसी कारण से भारतीय तथा पाश्चात्य शिक्षाविदों ने पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की शिक्षा को प्रमुखता दी, क्योंकि महिला शिक्षित होकर अपने पूरे समाज को शिक्षित करने का कार्य करती है। इस विषय में विश्वविद्यालय आयोग (1948-49) के विचार इस प्रकार हैं- “स्त्री शिक्षा के बिना लोग शिक्षित नहीं हो सकते। यदि शिक्षा को पुरुषों अथवा स्त्रियों के लिए सीमित करने का प्रश्न हो तो यह अवसर स्त्रियों को दिया जाये, क्योंकि उनके द्वारा ही भावी संतान को शिक्षा दी जा सकती है।”
महिला सशक्तीकरण से सम्बन्धित मुद्दे निम्नवत् है-
1. महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाना ।
2. महिलाओं को सशक्त बनाना ।
3. आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाना।
4. महिलाओं का राष्ट्रीय प्रगति में योगदान सुनिश्चित करना ।
5. महिलाओं के लिए घर तथा बाहर सुरक्षात्मक वातावरण तैयार करना ।
6. महिलाओं के स्वास्थ्य तथा गरिमामयी जीवन की सुनिश्चितता ।
7. पुरुष प्रधानता और श्रेष्ठता के जाल को तोड़ना ।
8. महिलाओं को आत्माभिव्यक्ति तथा आत्म-प्रकाशन के अवसर प्रदान करना ।
9. प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की शक्ति का सदुपयोग करना ।
10. सामाजिक कुरीतियों तथा अन्ध-विश्वासों की समाप्ति करना ।
11. सुयोग्य भावी सन्तानों की तैयारी हेतु
12. महिलाओं में जागरूकता तथा शिक्षा का प्रसार ।
13. महिलाओं की समाज में सहभागिता में वृद्धि करना ।
14. महिला सशक्तीकरण हेतु महिलाओं की व्यक्तिगत रुचियों तथा क्षमताओं के अनुरूप शिक्षा।
15. अपव्यय तथा अवरोधन और निर्विद्यालयीकरण की रोकथाम करना ।
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