औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अनौपचारिक तथा औपचारिक समूह में अन्तर (Difference between Formal and Informal Groups)
(1) उद्गम (Origin) – औपचारिक तथा अनौपचारिक समूह का उद्गम अलग-अलग कारणों तथा परिस्थितियों में होता है। औपचारिक समूह एक नियोजित ढंग से स्थापित किए जाते हैं जबकि अनौपचारिक समूह नियोजित ढंग से नहीं स्थापित किए जाते बल्कि इनका उद्गम ऐच्छिक तथा आकस्मिक होता है।
(2) उद्देश्य (Objectives) – औपचारिक समूहों की स्थापना निश्चित कारणों से की जाती हैं। अतः इसके कुछ निश्चित उद्देश्य होते हैं लेकिन अनौपचारिक संगठन के उद्देश्य सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि से होते हैं।
(3) आकार (Size) – औपचारिक संगठन आकार में पर्याप्त बड़े भी हो सकते हैं लेकिन अनौपचारिक संगठन प्रायः आकार में बहुत छोटे होते हैं ताकि उनका आसानी से प्रबन्ध किया जा सके।
(4) समूह की प्रकृति (Nature of Group) – औपचारिक समूह स्थायी होते हैं तथा लम्बे समय तक चलने की सम्भावना होती है, लेकिन अनौपचारिक समूह इस दृष्टि से अस्थायी एवं अल्पकालीन होते हैं। इनका जन्म भी तेजी से होता है और इनकी समाप्ति भी शीघ्रता से होती है।
(5) समूहों की संख्या (Number of Groups) – एक औपचारिक संगठन कई छोटे-छोटे संगठनों तथा समूहों एवं उप-समूहों में विभाजित होता है इसलिए इसमें सदस्यों की संख्या काफी अधिक हो सकती है। लेकिन अनौपचारिक समूह में सदस्यों की संख्या प्रायः कम होती है। एक संगठन में औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों ही प्रकार के समूह होते हैं। लेकिन अनौपचारिक समूहों की संख्या अधिक होती है और इनमें सदस्यता का दोहरापन भी पाया जाता है।
(6) अधिकार (Authority) – औपचारिक समूह में अधिकार, औपचारिक स्रोतों से प्राप्त होत हैं अर्थात् भारार्पण के द्वारा अधिकार सत्ता ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होती है। लेकिन अनौपचारिक समूह में सभी के अधिकार बराबर होते हैं और किसी भी व्यक्ति की भूमिका उसके व्यक्तिगत गुणों के कारण से अधिक अधिकारपूर्ण हो सकती है।
(7) सदस्यों का व्यवहार (Behaviour of Members)- औपचारिक समूहों में सदस्यों का व्यवहार औपचारिक नियमों, नीतियों एवं कार्य-विधियों से प्रभावित होता है लेकिन अनौपचारिक समूह में सदस्यों का व्यवहार समूह के विशेष मूल्यों तथा परम्पराओं से प्रभावित होता है।
(8) संदेशवाहन (Communication)- औपचारिक समूह में संदेशवाहन निश्चित श्रृंखलाओं से होकर जाता है जबकि अनौपचारिक समूह में संदेश अनौपचारिक श्रृंखलाओं से होकर जाते हैं।
(9) समाप्ति (Abolition ) – औपचारिक समूह को कभी-कभी समाप्त किया जाता है क्योंकि इनका निर्माण संगठनात्मक प्रकार से होता है और उसी से इनका समापन भी हो सकता है, लेकिन अनौपचारिक समूहों को समाप्त करना बड़ा कठिन है और कभी-कभी इन्हें समाप्त करने में प्रबन्धकीय प्रयास के विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं अर्थात् अनौपचारिक समूह बन सकते हैं।
(10) नेतृत्व (Leadership) – औपचारिक समूहों में नेतृत्व संगठन के द्वारा प्रदान किया जाता है, लेकिन अनौपचारिक समूहों मे नेतृत्व समूह के सदस्य स्वयं निर्धारित करते हैं।
(11) संरचना (Structure ) – औपचारिक संगठन की संरचना वातावरण, तकनीकी एवं अन्य आवश्यकताओं के अनुसार हो सकती हैं, लेकिन अनौपचारिक संगठन की संरचना के लिए कोई निश्चित डिजाइन नहीं है।
उपर्युक्त तकनीक के अतिरिक्त एक प्रबन्धक विभिन्न सूचनाएँ, एक-दूसरे को लेकर कर्मचारियों के अनौपचारिक समूहों को अभिप्रेरित कर सकते हैं। संस्था में ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिससे कि अफवाह न फैले। इस दृष्टि से सभी आवश्यक सूचनाएँ कर्मचारियों को पहले ही दे देनी चाहिए।
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