खुले विश्वविद्यालयों की शिक्षण पद्धतियों का उल्लेख करते हुए परम्परागत विश्वविद्यालय व मुक्त विश्वविद्यालय में अन्तर कीजिए।
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खुले विश्वविद्यालय की शिक्षण पद्धतियाँ
इन विश्वविद्यालयों में निम्नलिखित विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं-
1. खुले विश्वविद्यालयों में व्याख्यान सरल व रुचिकर होने के साथ-साथ छात्रों के लिए प्रेरक व उत्प्रेरक (Stimulate) का कार्य भी करते हैं।
2. छात्रों के पास व्याख्यान प्रेषण के उपरान्त, एक निश्चित अन्तराल पर विद्यार्थियों के पास प्रश्न पत्र प्रश्नावली भेजी जाती है। जिसका उत्तर विद्यार्थी एक निश्चित उत्तर पुस्तिका पर लिखकर संस्था के पास भेजता है तथा संस्था अपने विषय विशेषज्ञों द्वारा लिखित सामग्री की जाँच करके एवं संशोधित करके पुनः छात्र के पास आवश्यक निर्देशों के साथ भेजता है। इस प्रकार छात्रों की समस्याओं का निदान हो जाता है।
3. छात्रों के मध्य क्रियाशीलता, रुचि व उत्साह बनाये रखने हेतु इन विश्वविद्यालयों द्वारा व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम भी संगठित किए जाते हैं जिससे शिक्षक व शिक्षार्थी के बीच की दूरी को कम किया जा सके व उनकी व्यक्तिगत कठिनाइयों का समाधान भी संभव हो ।
4. दृश्य-श्रव्य सामग्री के प्रयोग द्वारा शिक्षण सामग्री को सरल व बोध्य बनाने का प्रयास किया जाता है ये सामग्रियाँ दो प्रकार से प्रयुक्त होती हैं-
(i) पर्दे पर न दिखायी जाने वाली सामग्री जैसे-बोर्ड, चार्ट, नक्शा, ग्लोब, तस्वीरें, ग्रामोफोन, टेपरिकॉर्डर, रेडियो द्वारा प्रसारित शैक्षणिक कार्यक्रम, शैक्षणिक टूर कहानी आदि ।
(ii) पर्दे पर दिखाई जाने वाली सामग्री (Projected Aids) जैसे-फिल्म, स्लाइड, दूरदर्शन वीडियो कैसेट, सी.डी. उपग्रह अनुदेशन आदि ।
परम्परागत विश्वविद्यालय व मुक्त विश्वविद्यालय में अन्तर
परम्परागत व मुक्त विश्वविद्यालयों में निम्न अंतर है-
1. परम्परागत विश्वविद्यालयों का अपना सीमित परिक्षेत्र होता है। मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय सीमाओं के बंधन से मुक्त है।
2. मुक्त विश्वविद्यालयों में प्रवेश का कोई बन्धन या कठिनाई नहीं हैं, परम्परागत विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में छात्रों को कठिनाई होती हैं, उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है ।
3. मुक्त विश्वविद्यालयों में उपस्थिति की अनिवार्यता नहीं है जबकि परम्परागत विश्वविद्यालयों में नियमित उपस्थिति अनिवार्य होती है।
4. परम्परागत विश्वविद्यालयों में छात्र को प्रतिदिन उपस्थित होकर पूर्णकालीन पाठ्यक्रम को पूरा करना होता है जबकि मुक्त विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम को छात्र अपनी सुविधा व समय के अनुसार पूरा कर सकता है।
5. मुक्त विश्वविद्यालय में कार्यरत लोग जैसे- व्यवसायी, कर्मचारी, कृषक तथा गृहिणियाँ भी शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं। उन्हें कहीं आना जाना नहीं पड़ता। हैं। जबकि परम्परागत विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कार्य संभव नहीं हो सकते।
6. परम्परागत विद्यालयों में प्रचलित पाठ्यक्रम परम्परागत, अनुप्रयोग तथा जीवन से बंधा हुआ होता है। यदि इसमें बदलाव होता भी है तो काफी समय बाद संभव हो पाता है जबकि मुक्त विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम व्यवसायपरक, व्यावहारिक तथा वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप होते हैं।
7. मुक्त विश्वविद्यालय में छात्रों को व्यक्तिगत आधार पर परामर्श दिया जाता है जबकि परम्परागत विश्वविद्यालयों में इस तरह की व्यवस्था कम है तथा कुछ ही विश्वविद्यालय इसका अनुपालन करते हैं।
8. मुक्त विश्वविद्यालयों में परामर्श देने के साथ-साथ दृश्य श्रव्य साधनों के द्वारा भौ विषय को स्पष्ट व सुरुचिपूर्ण बनाया जाता जबकि परम्परागत विद्यालयों में तो इसका अनुपालन कुछ सीमा तक किया जाता है परन्तु परम्परागत विश्वविद्यालयों में व्याख्यान विधि ही अधिक प्रचलित होने के कारण इस प्रकार के संसाधनों की समुचित व्यवस्था सुलभ नहीं है।
9. परम्परागत विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना अधिक खर्चीला है जबकि मुक्त विश्वविद्यालय में शिक्षण अपेक्षाकृत सस्ता है। 10. मुक्त विश्वविद्यालय देश की वर्तमान अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं जबकि परम्परागत विश्वविद्यालय एक ही लीक पर चलने की पद्धति के अभ्यस्त होने के कारण देश की वर्तमान अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ है।
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