Contents
प्रस्तावना कौशल से आप क्या समझते हैं ? इसके प्रमुख घटकों की विवेचना कीजिए।
प्रस्तावना कौशल (introduction Skill)
शिक्षण की अधिगम प्रक्रिया में प्रस्तावना कौशल एक प्राथमिक स्तर का शिक्षण कौशल है। शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए किसी पाठ की प्रस्तावना का प्रमुख स्थान है। शिक्षण अधिगम प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षक को पाठ को प्रभावी तरीके से शुरू करना अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिए शिक्षाशास्त्री दो प्रमुख विधियों का वर्णन करते हैं-
- प्रकरण को स्वच्छ एवं आकर्षक तरीके से श्यामपट्ट पर लिखना।
- प्रश्न पूछना।
इनमें से द्वितीय स्थान पर अंकित “प्रश्न पूछना” अधिक रुचिकर एवं उपयोगी विधि है। इस समय प्रस्तावना कौशल का अर्थ छात्रों से पूर्वज्ञान पर आधारित प्रश्न पूछना ही है। इन प्रारम्भिक प्रश्नों के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं-
- छात्रों के पूर्व ज्ञान का पता लगाना ।
- पूर्व ज्ञान का नये ज्ञान से सम्बन्ध जोड़ना।
- पाठ्य-विषय में छात्रों की रुचि और जिज्ञासा को जाग्रत करना ।
इस सन्दर्भ में पूर्व ज्ञान का अर्थ छात्रों का “उस प्रकरण में पहले से अर्जित ज्ञान” से है, जिसकी जानकारी शिक्षक को होने से शिक्षक उसी का प्रयोग करके नवीन ज्ञान को उससे सम्बन्धित करके छात्र को उत्सुक बना सकता है। दूसरे शब्दों में छात्र की उत्सुकता शिक्षक का प्रमुख हथियार है। छात्र को सदैव उत्सुकता प्रदान करनी चाहिए जिससे उसकी रुचि बनी रहे।
प्रस्तावना प्रश्नों में निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए-
(1) प्रस्तावाना प्रश्न शृंखलाबद्ध होने चाहिए। अर्थात् पहले प्रश्न के उत्तर से दूसरा प्रश्न सम्बन्धित होना चाहिए।
उदाहरण
प्रकरण: दिल्ली के दर्शनीय स्थल
प्रथम प्रश्न- हमारे देश का नाम क्या है ?
उत्तर- भारत
द्वितीय प्रश्न- भारत की राजधानी का नाम क्या है ?
उत्तर- नई दिल्ली
तृतीय प्रश्न- दिल्ली में घूमने योग्य कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं ?
उत्तर- लाल किला, जामा मस्जिद, कुतुबमीनार
(2) प्रश्नों की संख्या 3-5 तक रखनी चाहिए। न्यूनतम 3 एवं अधिकतम 5 । वैसे इसे लेकर कोई विशेष नियम नहीं हैं परन्तु योग्य अध्यापक अधिक-से-अधिक 2 मिनट में प्रश्न पूछकर अपनी विषय-वस्तु पर आ जाता है।
(3) अन्तिम प्रश्न ऐसा होना चाहिए जो पूर्व ज्ञान का नवीन ज्ञान से सम्बन्ध जोड़े। जैसा उपरोक्त उदाहरण में दर्शनीय स्थलों के नाम आ गए।
(4) अन्तिम प्रश्न समस्यात्मक होना चाहिए, परन्तु अगर समस्यात्मक न भी हो तो प्रकरण से जुड़े कथन पर भी विषय-वस्तु प्रारम्भ की जा सकती है।
प्रस्तावना कौशल के घटक (Component of Introduction Skill)
प्रस्तावना कौशल के प्रमुख घटक निम्न हैं-
- प्रश्नों का पूर्व ज्ञान से सम्बन्धित होना।
- प्रश्नों का मूल पाठ पर आधारित होना ।
- प्रश्नों हेतु उचित समय का होना ।
- प्रश्नों में उचित दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग होना।
- प्रश्नों का छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल होना।
- प्रश्नों में तार्किक क्रमबद्धता का होना।
IMPORTANT LINK
- सूक्ष्म-शिक्षण का अर्थ, परिभाषा, अवधारणा, विशेषताएँ, उपयोगिता एवं महत्त्व
- बदलते सूचना/संचार के परिप्रेक्ष्य में (ICT) के स्थान | Place of ICT in the Changing Conceptions of Information
- सम्प्रेषण की प्रक्रिया क्या है ? इस प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- शिक्षा में श्रव्य-दृश्य सामग्री से आप क्या समझते हैं ? शैक्षिक सामग्री का वर्गीकरण एंव लाभ
- जनसंचार क्या है ? शिक्षा में जनसंचार के महत्त्व
- मस्तिष्क उद्वेलन (हलचल) या विप्लव व्यूह रचना | मस्तिष्क उद्वेलन (हलचल) व्यूह रचना के सोपान एंव विशेषताएँ | मस्तिष्क हलचल व्यूह रचना की सीमाएँ एंव उपयोगिता
- शिक्षण की वाद-विवाद विधि के विषय में आप क्या जानते हैं ? इसके गुण एंव दोष
- शिक्षण की योजना विधि से आप क्या समझते हैं ? इसके गुण-दोष
- शिक्षण सूत्रों से क्या अभिप्राय है ? प्रमुख शिक्षण सूत्र
- शिक्षण प्रविधि का अर्थ एंव परिभाषाएँ | प्रमुख शिक्षण प्रविधियाँ | प्रश्न पूछने के समय रखी जाने वाली सावधानियाँ
- शिक्षण के प्रमुख सिद्धान्त | Various Theories of Teaching in Hindi
- शिक्षण की समस्या समाधान विधि | समस्या प्रस्तुत करने के नियम | समस्या हल करने के पद | समस्या समाधान विधि के दोष
Disclaimer