शिक्षा में ई-लर्निंग की भूमिका को स्पष्ट करते हुए ई-लर्निंग की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
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शिक्षा में ई-लर्निंग की भूमिका
शिक्षा में इसकी भूमिका विशेष है। शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए अभिसूचना तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाने लगा है। जिसमें कम्प्यूटर एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में सामने आया है। आज भारत क्या विश्व के लगभग सभी देशों में शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर पर इंटरनेट सेवा का उपयोग किया जा रहा है। इसी के परिणामस्वरूप नवीन प्रत्ययों का विकास भी हुआ है; जैसे कम्प्यूटर इंटरनेट, इंट्रानेट, एक्सट्रानेट, नेटवर्किंग प्रणाली, वेबसाइट, ई-स्कूल प्रणाली, ई लर्निग प्रणाली, आभासी कक्षा (Virtual Classroom) आदि। आज शिक्षा में इन सभी प्रत्ययों को उपयोग बड़ी तीव्रता से होने लगा है।
इलेक्ट्रॉनिक अधिगम (Electronic Learning) को ई०-अधिगम (E-Learning) भी कहते हैं। इसे कम्प्यूटर प्रोत्साहित अधिगम भी कहते हैं। ई०-अधिगम को कई अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रत्यय का सम्बन्ध वृहदु अंधिगम तकनीकी (Advanced learning technology) से अधिक है। ई. अधिगम में तकनीकी तथा अधिगम विधियों को सम्मिलित किया जाता है। इसमें कम्प्यूटर नेटवर्क तथा बहुमाध्यम तकनीकी, का उपयोग किया जाता है।
उच्च शिक्षा संस्थान में सन् 2006 से हजारों छात्रों ने ऑन-लाइन अधिगम में भाग लिया। इसका आरम्भ ब्रिटेन में हुआ, ई. अधिगम को ऑन-लाइन अधिगम भी कहते हैं। आज अनेक उच्च शिक्षा संस्थाओं में ऑनलाइन अधिगम की व्यवस्था की गई है। ऑन लाइन अधिगम की सुविधा व्यक्तिगत छात्रों को भी दी जाने लगी है। शोध अध्ययनों से यह पाया गया कि सामान्यतः सभी छात्र ई. अधिगम प्रणाली से सन्तुष्ट हैं। परम्परागत अधिगम प्रणाली की अपेक्षा ई०-अधिगम अधिक प्रभावशाली है। व्यक्तिगत संस्थाओं में इस अधिगम प्रणाली का अधिकतम उपयोग किया जाने लगा है, क्योंकि यह प्रणाली अपेक्षाकृत मित्तव्ययी है। ऑन-लाइन अधिगम में प्रशिक्षित व्यक्तियों की नियुक्ति कर ली जाती है। कम्प्यूटर ऑन लाइन तथा इन्टरनेट सेवाओं के लिए भी प्रशिक्षित व्यक्तियों की सहायता ली जाती है। आज ऑन-लाइन शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार अधिक तीव्रता से हो रहा है, यहाँ तक शोध अध्ययनों हेतु भी ऑन-लाइन निर्देशन की सुविधाओं की व्यवस्था की जाने लगी है। शोध अध्ययन की सुविधा विकसित शोध संस्थानों तथा मुक्त विश्वविद्यालयों द्वारा की जाने लगी है।
संचार माध्यमों को ई॰-अधिगम के लिए समुदायों से भी सम्बन्धित किया जा रहा है। समुदाय अधिगम के मूल अधिगम प्रतिमान प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत कुछ आवश्यक क्रियाओं के सम्पादन की आवश्यकता होती है जिनकी व्यवस्था कक्षा में की जाती है। कक्षा शिक्षण के स्तर को तकनीकी के उपयोग से प्रोन्नत किया जा सकता है। आज की परिस्थितियों में अधिगम के लिए कक्षाओं में अनेक क्रियाओं तथा संसाधनों की आवश्यकता होती है।
ई-अधिगम की अवधारणा
ई.-अधिगम शिक्षा का एक नवीन प्रत्यय है। इसके अन्तर्गत इन्टरनेट तकनीकी का उपयोग पाठ्यवस्तु के प्रस्तुतीकरण एवं संचार में किया जाता है। इस तकनीकी की सहायता से अधिगम के लिए समुचित वातावरण के शिक्षकों तथा छात्रों हेतु उत्पन्न किया जाता है। ई० अधिगम जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया को प्रोन्नत करते है। समाज तथा समुदाय को अधिगम सुविधा प्रदान करती है।
ई-अधिगम का अर्थ
1. ई.-अधिगम शिक्षा का एक नवीन प्रत्यय है जो परम्परागत अधिगम से भिन्न प्रकार का है। यह अधिगम की नवीन व्यवस्था करता है।
2. ई.-अधिगम की प्रमुख विशेषता यह है कि पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतीकरण एवं संचार कम्प्यूटर इन्टरनेट प्रणाली से किया जाता है। हम कह सकते हैं कि ई. अधिगम क्या है और क्या नहीं है?
3. ई.-अधिगम में इन्टरनेट के उपयोग से अधिगम के वातावरण का विस्तार किया जाता है। इंटरनेट की सहायता से शिक्षकों तथा छात्रों को अधिगम वातावरण का विस्तार किया जाता है। यह वातावरण छात्र केन्द्रित होता है, जबकि परम्परागत शिक्षा में अधिगम वातावरण शिक्षक केन्द्रित होता है।
4. शिक्षा का नवीन प्रत्यय, ई. अधिगम जीवन पर्यन्त शिक्षा हेतु वातावरण का सृजन करती है। समाज को वास्तविक अधिगम के अवसर प्रदान करती है।
शिक्षा की नवीन प्रणाली के रूप में चीन में तीव्रता से विकास हुआ है, परन्तु पश्चिमी देशों में यह विकास भिन्न प्रकार का है। उच्च शिक्षा में ई. अधिगम का अधिक उपयोग किया गया है, क्योंकि उच्च शिक्षा में इस प्रकार के अधिगम की अधिक आवश्यकता है।
ई. अधिगम एक व्यापक प्रत्यय है कम्प्यूटर व इंटरनेट द्वारा इस प्रकार के अधिगम का सम्पादन किया जाता है। इस अधिगम का संचार नेटवर्क के माध्यम से सभी को सभी स्थानों के लिए किया जाता है।
ई. अधिगम प्रणाली, शिक्षा की वैकल्पिक प्रणाली नहीं है अपितु एक नवीन शिक्षा की प्रणाली है जो सभी को शिक्षा के या अधिगम के अवसर प्रदान करती है। उच्च शिक्षा की एक मित्तव्ययी प्रणली है। ई.-अधिगम अधिक व्यापक एवं महत्त्वपूर्ण शिक्षा प्रणाली है। इसके द्वारा पाठ्यवस्तु का स्वामित्व विकसित किया जाता है। इसकी प्रभावशीलता परम्परागत शिक्षा के समान ही होती है।
ई. अधिगम का अनुदेशनात्मक प्रारूप अपने में पूर्ण होता है, क्योंकि इसमें वर्षों से शिक्षण सिद्धान्तों के उपयोग किया गया है। इसका उपयोग दूरवर्ती शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, सत् शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा में विश्व के अनेक देशों में किया जाने लगा है। कुछ अन्य शब्द ई. अधिगम से सम्बन्धित हैं जो ई०-अधिगम में सम्मिलित करते हैं—
- ऑन-लाइन अधिगम
- ऑन-लाइन शिक्षा
- दूरवर्ती शिक्षा
- तकनीकी आधारित प्रशिक्षण
- वेब आधारित प्रशिक्षण
- दूरवर्ती अधिगम तथा
- कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षण (CD Rom)
ई. अधिगम अधिक व्यापक प्रत्यय है। इस प्रकार के अधिगम की व्यवस्था कम्प्यूटर के सन्दर्भ में की जाती है। ई०-अधिगम को तकनीकी शब्दावली के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है।
ई- अधिगम की परिभाषा ( Definitions of E-learning )
ई. अधिगम की अनेक परिभाषाएँ उपलब्ध हैं। उनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाओं को यहाँ उल्लेख किया गया है-
प्रभावशाली शिक्षण तथा अधिगम प्रक्रियाओं को सम्मिलित करने से ई. अधिगम का सम्पादन किया जाता है। जिससे स्थानीय समुदाय तथा भूमण्डलीय समुदाय को अधिगम का अवसर मिलता है।
टीम कैली तथा सिसको के अनुसार- “ई. अधिगम द्वारा अभिसूचना सम्प्रेषण की सहायता से शिक्षा तथा प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण की क्रियायें, छात्र के अधिगम एवं प्रशिक्षण प्रक्रियाओं का उल्लेख नहीं किया जाता है। छात्र की आवश्यकताओं के अनुरूप ज्ञान तथा कौशल उत्तम ढंग से प्रदान किया जाता है। “
ब्राण्डोल हॉल के अनुसार- “जब अनुदेशन का संचार आंशिक या पूर्णरूप में विद्युत यंत्रों के माध्यमों की सहायता से तथा वैबसाइट व इंटरनेट अथवा बहुमाध्यमों सीडी रोम, डी.वी.डी. से किया जाता है, तब उसे ई.-अधिगम कहते हैं।”
ब्राण्डोन हॉल का तर्क है कि “तकनीकी ई. अधिगम को प्रोन्नत करती है। ई. अधिगम की वेब साइट तथा इंटरनेट से पहिचान की गई। दृश्य वातावरण को वेब साइट से सशक्त किया जाता है। वेब साइट ई० अधिगम के लिए वातावरण का सृजन करती है। “
लर्निन सरक्वटस के अनुसार- “ई.-अधिगम के उपयोग एवं प्रक्रिया का व्यापक क्षेत्र है; जैसे वेबआधारित अधिगम, कॅम्प्यूटर-आधारित अधिगम तथा वास्तविक कक्षा शिक्षण को सम्मिलित किया जाता है। इन माध्यमों से पाठ्यवस्तु का संचार किया जाए तथा इंटरनेट का उपयोग किया जाए। दृश्य एवं श्रव्य टेप, सैटेलाइट प्रसारण में दूरदर्शन, सीडी रोम का उपयोग किया जाता हैं।
रोसनवर्ग के अनुसार- “ई. अधिगम में इंटरनेट प्रणाली का उपयोग किया जाता इंटरनेट तकनीका से पाठ्यवस्तु का संचार किया जाता है जिससे ज्ञान में वृद्धि की जाती है और छात्रों की निष्पत्तियों में वृद्धि होती है।”
रोसन वर्ग ने ई०-अधिगम के लिए तीन मूल मानदण्डों को दिया है—
1. ई.-अधिगम में नेटवर्क होता है। सूचनाओं में सहभागिता होती है और अभिसूचनाओं का भण्डारण होता है।
2. ई.-अधिगम में संचार हेतु इंटरनेट की प्रामाणिक तकनीकियों का उपयोग किया जाता है।
3. ई. अधिगम का लक्ष्य प्रसारण करना है अधिगम के समाधान परम्परागत प्रणाली से अधिक सार्थक तथा प्रभावशाली होते हैं।
‘ई-अधिगम शुद्ध अभिसूचना को अपेक्षित व्यक्ति को सही समय पर तथा सही स्थान पर समुचित माध्यमों के उपयोग से प्रदान की जाती है। “
ई.अधिगम शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रत्यय है और शिक्षा का एक नया आयाम भी है। ई. अधिगम की उपर्युक्त परिभाषाओं तथा अर्थ में निम्नांकित विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
ई-अधिगम की प्रमुख विशेषताएँ हैं-
- इस प्रकार के अधिगम में छात्रों को अपनी गति से सीखने का अवसर दिया जाता है। इसे स्वाध्याय भी कह सकते हैं।
- यह अधिगम स्वतः निर्देशित होता है। छात्र अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यवस्तु का चयन करता है। अधिगम के लिए माध्यम का चयन भी अपनी आवश्यकतानुसार किया जाता है।
- ई. अधिगम में बहुमाध्यमों का उपयोग किया जाता है। विविध प्रकार की संचार व प्रसारण की प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाता है।
- ई. अधिगम छात्र केन्द्रित होता है।
- ई. अधिगम में भौगोलिक बाधाओं का समाधान होता है तथा मुक्त शिक्षा का प्रावधान भी होता है।
- ई. अधिगम में अधिक संख्या में छात्रों को सम्मिलित किया जाता है कक्षा में छात्रों की संख्या अधिक होती है।
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