अध्यापक आंचार संहिता के लक्षण लिखिये।
अध्यापक आचार संहिता के लक्षण
भारतीय संस्कृति और धर्म के अनुसार-सत्यम् शिवम् तथा सुन्दरम् मूल्यों का सदैव महत्व रहा है तथा रहेगा भी। अध्यापक का स्थान समाज में सदैव से श्रेष्ठ रहा है और समाज में परिवर्तन एवं विकास में अध्यापक की अहम् भूमिका रही है। अध्यापक अपनी वृत्ति प्रतिबद्धता प्रभावशाली शिक्षण से प्रभावशाली अधिगम किया जाए और छात्रों का विकास किया जाए। समाज के प्रति अध्यापक की यह जवाबदेही होती है।
शिक्षण आंचार संहिता प्रत्यय का रवीद्रनाथ टैंगोर अपने शब्दों में व्यक्त किया है आचार संहिता हमारे आदर्श जीवन में प्रत्येक समय तथा सभी परिस्थितियों में आन्तरिक तथा सार्वभौमिक सत्य की अभिव्यक्ति करता रहें। इन्होंने अध्यापक का जलते हुए दीपक की उपमा से है कि जलता हुआ दीपक अन्य दीपों का प्रकाशित तथा प्रज्वलित कर सकता है। जलने से तात्पर्य आंचार संहिता का पालन करना है। इसके सैद्धान्तिक तथा व्यवहारिक दोनों ही पक्ष होते हैं-
- शिक्षण का सम्प्रेक्षण छात्रों के मस्तिष्क तक पहुँचता है तथा इसको स्पर्श करता है।
- प्रभावी अध्यापक हँसते अथवा मुस्करातें हुए अपनी बात समझा देते हैं।
- अध्यापक की भूमिका बादलों की वर्षा के समान होती है वही सभी छात्रों को समान रूप से ज्ञान देते हैं, परन्तु श्रद्धावान ही फलित होते हैं।
- अध्यापक अपने कार्य को आत्मविश्वास के साथ करता है।
- अध्यापक अपने छात्रों के मध्य सम्वाद की विधि अपनाता है।
- अध्यापक छात्रों के मन को आत्मिक स्वरुप प्रदान करता है तथा एक नया आयाम देने का प्रयास करता है।
- अध्यापक अपनी शिक्षण प्रक्रिया को संवेदनशील बनाता है।
- अध्यापक अपने उत्तरदायित्वों में प्रतिबद्धता का अनुभव करता है। उसका पूर्ण समर्पण होता है।
- अध्यापक छात्रों की विकृति को सुसंस्कृति में परिवर्तित करता है अथवा सुसंस्कृति का विकास करता है।
- अध्यापक मनुष्य को मानव बनाता है। छात्रों की आध्यात्मिक तथा भावात्मक बुद्धि का विकास करता है।
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