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इकाई योजना के शिक्षक पद | इकाई विधि से लाभ | इकाई विधि से दोष 

इकाई योजना के शिक्षक पद | इकाई विधि से लाभ | इकाई विधि से दोष 
इकाई योजना के शिक्षक पद | इकाई विधि से लाभ | इकाई विधि से दोष 

इकाई योजना के शिक्षक पद तथा इकाई विधि के लाभ तथा दोष स्पष्ट कीजिए।

इकाई योजना

अर्थ :- इकाई वातावरण, संगठित विज्ञान, कला या आचरण का एक व्यापक एवं महत्वपूर्ण अंग होती है जिसे सीखने के फलस्वरूप व्यक्तित्व में सामंजस्य आ जाता है। एक निर्देशात्मक युक्ति है जो छात्रों को समवेत रूप में ज्ञान प्रदान करती है।

इकाई योजना के शिक्षक पद

मौरिसन द्वारा प्रतिपादित शिक्षक पद निम्न है-

1. खोज – इस पद पर शिक्षक इस बात का पता लगाता है कि नवीन इकाई के संबंध में छात्रों को कितना पूर्व ज्ञान है। शिक्षक छात्रों के पूर्व ज्ञान की खोज निम्न युक्तियों से कर सकते हैं-

  1. लिखित परीक्षा द्वारा
  2. मौखिक प्रश्नों द्वारा
  3. विचार विमर्श द्वारा

2. प्रस्तुतीकरण – इस पद के अन्तर्गत शिक्षक इकाई की विषय-वस्तु को छात्रों के समक्ष बातचीत या कथन के द्वारा प्रस्तुत करता है। इसके बाद वह प्रश्नों द्वारा यह जानने का प्रयास करता है कि छात्र, इकाई की विषय वस्तु को समझ गया है या नहीं। यदि छात्र नहीं समझ पाते हैं तो शिक्षक उसको पुनः प्रस्तुत करेगा। शिक्षक अगले पद पर तब तक नहीं जायेगा जब तक छात्र इस पद की विषय-वस्तु को पूर्णतः समझ नहीं लेते।

3. आत्मीकरण – इस पद पर छात्रों को इकाई की विषय-वस्तु को आत्मसात करने का अवसर प्रदान किया जाता है। इस सोपान में छात्र निम्न माध्यम से विषय-वस्तु आत्मसात कर सकते हैं।

  1. अध्ययन करके।
  2. लिखकर
  3. एक दूसरे से बातचीत करके।
  4. शिक्षक से परामर्श करके।

4. संगठन – इस पद में छात्र इकाई की विषय-वस्तु को व्यवस्थित रूप से लिखकर ज्ञान को संगठित करते हैं। यदि वे ऐसा करने में सफल होते हैं तो शिक्षक यह समझ लेते हैं कि वे इकाई की विषय-वस्तु को भली-भांति समझ गये हैं।

5. वाचन – इस पद के अन्तर्गत निम्नांकित दो विधियां प्रयुक्त की जाती है।

  1. आदर्श विधि
  2. वास्तविक विधि

( 1 ) आदर्श निधि – इसके अनुसार प्रत्येक छात्र को इकाई की विषय-वस्तु को कक्षा के समक्ष उसी प्रकार प्रस्तुत करना पड़ता है जिस प्रकार शिक्षक ने प्रस्तुत की थी।

( 2 ) वास्तविक विधि- इसके अनुसार कुछ छात्र इकाई का वाचन करते हैं। कुछ उसे लिखते हैं तथा कुछ उस पर विचार विमर्श करते हैं। शिक्षक उनकी इन विभिन्न क्रियाओं के आधार पर यह निर्णय करते हैं कि उन्होंने इकाई विषय-वस्तु को किस सीमा तक ग्रहण कर लिया है।

इकाई विधि से लाभ 

  1. यह विधि वातावरण सम्बंधी इकाइयों का प्रयोग छात्रों का वातावरण से सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता प्रदान करती है।
  2. विविध प्रकार की क्रियायें, अनुभवों तथा समस्या निराकरण का आयोजन करके क्रियाशीलता के सिद्धांत पर बल देती है।
  3. कक्षा कार्य को अधिक सार्थक तथा रोचक बनाती है।
  4. बालकों में विषय के प्रति रूचि उत्पन्न करती है।
  5. बालकों में योजना तैयार करने का गुण विकसित करती है।
  6. सहयोग, विनम्रता, नेतृत्व, सहकारिता, धैर्य, सहनशीलता आदि गुणों का विकास होता है।
  7. स्वास्थ्य की आदत का निर्माण होता है।

इकाई विधि से दोष 

  1. इस प्रकार के ज्ञानोपार्जन के लिए उपयुक्त नहीं।
  2. इस विधि के प्रयोग में पर्याप्त समय लगता है।
  3. समय सीमा का मिश्रण नहीं।
  4. इन शिक्षण पदों को सभी विषयों के शिक्षण में प्रयोग नहीं किया जा सकता।

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Anjali Yadav

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